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कमरों की छतों पर छाने वाली बीकानेर की बादल महल कला को मोबाइल कवर तक उतार लाये कलाकार

  • बीकानेर के भिति चित्रों के बादल को नए आयाम ओर सरफेस पर किया चित्रित

RNE BIKANER .

मंदिरों, बड़ी इमारतों और ऐतिहासिक भवनों के कमरों में छत पर छाई रहने वाली बीकानेर की बादल महल कला को कलाकारों ने कई नए सरफेस पर उतार खत्म होती इस कला को जीवनदान देने की कोशिश की हैं।

कला के यह प्रयोग राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षा संस्था में राजस्थान ललित कला अकादमी तथा कला संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित ग्रीष्म कालीन मथेरन कला प्रशिक्षण में देखने को मिले हैं। इस शिविर में बच्चों ने मथेरी कला में बीकानेरी बादल महल की बारीकियां सीखी।

मथेरी कला के प्रशिक्षक मूलचंद महात्मा, समन्वयक मोना सरदार डूडी, सहायक कमल जोशी और सह संयोजक सुनीलदत्त रंगा ने पुरातन शैली में चित्रित होने वाले बीकानेरी बादल को नए पटल आधुनिक सरफेस पर चित्रित करवाया।

इस शैली को पुनः जीवित करने की सोच से मिट्टी के सकोरे, टी शर्ट, मोबाइल कवर तथा आधुनिक परिवेश में काम आने वाली दैनिक वस्तुओं को सजावट के तौर पर तैयार किया गया। ललित कला अकादमी के सचिव और चित्रकार डाॅ रजनीश हर्ष ने बताया कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदेश के कई जिलों में भी चल रहे हैं।

इनका उद्देश्य राजस्थान की पौराणिक और लुप्त हो रही कला और कलाकारों को बढ़ावा देना है, जिससे ये कलाएं पुनः अपना स्वरूप बरकरार रख सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान इस लुप्त कला को अलग-अलग परिवेश में बना कर नवजीवन दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि बाजारवाद में इस कला को एक नए रूप में उतारा जाएगा, जिससे आम आदमी का ध्यान आकर्षित हो तथा कला और कलाकारों को बढ़ावा मिल सके।