
बीकानेर विकास प्राधिकरण विधेयक आनन-फानन में पारित करवाने को कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या बताया
हैरानी: विधेयक पर चर्चा बीकानेर शहर के दोनों एमएलए मौजूद नहीं, जिले के एक विधायक डा.विश्वनाथ ने रखे विचार
RNE Jaipur.
बीकानेर और भरतपुर विकास प्राधिकरण विधेयक बुधवार को विधानसभा में रखने के साथ संक्षित चर्चा कर पारित कर दिये गये। आनन-फानन में विधेयक लाने, संक्षिप्त चर्चा कर पारित करने को कांग्रेस ने लोकतंत्र कि हत्या तक कहा। खासतौर पर बीकानेर विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में आने वाले 188 गांवों के सरपंचों, जनप्रतिनिधियों से राय लिये बगैर काम करने का आरेाप लगाय। कांग्रेस ने विधेयक को जनमत के लिए भेजने की मांग भी रखी। ध्वनिमत से निर्णय के दौरान यह मांग खारिज हो गई और आखिरकार विधेयक पारित कर दिया गया।
188 गांव शामिल होंगे, 07 गैर शासकीय सदस्य बनेंगे:
स्वायत्त शासन एवं गनरीय विकास मंत्री हरलाल सिंह खर्रा ने बताया कि बीकानेर शहर बड़ा है जिसकी वर्तमान जनसंख्या 09 लाख है। नगर का तेजी से विकास हो रहा है। समीपवर्ती क्षेत्र तेजी से आवासित हो रहा है। विकास की गति को देखते हुए तीव्र विकास के लिए विकास प्राधिकारण की आवश्यकता महसूस हो रही थी। प्राधिकरण में आयुक्त आईएएस, सचिव आरएएस पदस्थापित किया जा चुका है। बीकानेर विकास प्राधिकरण की अधिसूचना 15 दिसंबर 24 को जारी की गई। उस वक्त नगर विकास न्यास था। उस समय कुल गांवों की संख्या 90 थी। प्राधिकारण बनने के बाद 98 जोड़े गये। ऐसे में 188 गांव विकास प्राधिकारण में आएंगे। इसमें सात गैर शासकीय सदस्य बनेंगे। एमएलए-एमपी भी इसमें नामित किए जा सकते हैं। क्रिमिनल एक्ट भी रखे गये हैं। प्राधिकरण में न्यायिक अधिकारी होंगे।
कांग्रेस ने कहा, लोकतंत्र की हत्या, ऐसे शब्द बोले जिन्हें कार्रवाई से हटाया:
विधेयक पर विचार के दौरान कांग्रेस के विधायकों ने इस विधेयक पारित करवाने के तरीके को लोकतंत्र की हत्या बताया। विधायक हरिमोहन शर्मा ने कहा, ये कानून नहीं है कानून की हत्या है। बिल की हत्या है, हमारे अधिकारों की हत्या है। सरकार का अविवेकपूर्ण निर्णय है। विधायक शर्मा ने कहा, प्राधिकरण दिसंबर में बना। सरकार सो रही थी कि इतने समय तक विधेयक नहीं लाई। बिल लाती। इस पर विचार होता। अब आनन-फानन में विधेयक लाये। कुछ चर्चा हुई और पास कर दिया। यह लोकतंत्र की हत्या है। यह फैसला निंदनीय है और नीयत में खोट है और खोट के कारण कानून पास करवाया जा रहा है। इससे उन ग्राम पंचायतों, सरपंचों और वहां के निवासियों की हालत खराब हो जाती है जो प्राधिकरण में शामिल किए जाने वाले गांव में रहते हैं। वे न मकान सकेंगे, न चबूतरे बना सकेंगे।
जूली बोले और वॉकआउट:
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा, इतना बड़ा विकास प्राधिकारण बनाने का निर्णय और सरकार बगैर चर्चा करवाए अध्यादेश के जरिये बनवाना चाह रही है इसका क्या कारण है। जब आपको पता था कि विधानसभा चल रही है। वक्त आप बिल लेकर आते। यानी एक तो सरकार की गलती और उसके बाद पर्दा डालना चाहो तो इससे आप बच नहीं सकते। ऐसी क्या जल्दी है। पूरा विधेयक देखा है सौ-सौ पेज से ज्यादा के विधेयक हैं भरतपुर-बीकानेर के।
नियमों के मुताबिक सदन शुरू होने के छह सप्ताह में टेबल करना होता है। आपने नहीं किया । ये विधि विभाग की गलती है। कहां सो रही थी सरकार कि आज आखिरी दिन है। ये तो अध्यक्षजी की मेहरबानी है कि एक घंटे में तीन-तीन महत्वपूर्ण बिल पारित करवा रहे हो। राजस्थान की जनता के हित में नहीं है। एक-एक बिल चाहता था कि उस पर एक-एक दिन चर्चा हो। इस प्रकार का अन्याय राजस्थान की जनता के साथ मत कीजिये। इतना बड़ा विकास का मामला है तो इस पर चर्चा करनी चाहिये थे। इसका पुरजार रूप से विरोध करते हैं। इस बिल के विरोध में हमारा दल बहिर्गमन करता है।
इन्होंने भी किया विरोध:
विधायक डूंगरराम गेदर, रवीन्द्रसिंह भाटी, मनोज कुमार सादुलपुर, मनोज कुमार सरदारशहर ने भी आनन-फानन में विधेयक लाने और इस पर पूरी चर्चा नहीं करने का आरोप लगाया। इन विधायकों ने प्राधिकरण क्षेत्र में शामिल किए जाने वाले गांवों के पंच-सरपंचों के प्रतिनिधित्व की मांग उठाई।
भाजपा और बीकानेर जिले के इकलौते विधायक डा.विश्वनाथ मेघवाल ने इस पर विचार रखे। डा.मेघवाल ने कहा, बीकानेर शहर नापासर, देशनोक लगातार विकसित और आबाद होते जा रहे हैं। इनका सुनियोजित विकास करने के लिए प्राधिकरण बनाने की जरूरत महसूस हुई। आवास, योजनाओं की सुचारू विकास होगा। बीकानेर प्रगति करेगा। इसमें पहले 90 गांव तक अब 188 गांव शामिल कर लिये हैं। भविष्य की आवश्यकता है तो नया मास्टर प्लान बनाया गया है। जनप्रतिनिधियों से चर्चा, आमजन से सुझाव आपत्तियां मांगी गई थी। न्यू बीकाणा के नाम से नया शहर बनाया जाएगा। एमएलए और एमपी को इसमें जगह दी जाए।
कांग्रेस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव की मांग:
विधेयक के मुद्दे पर कांग्रेस के बहिगर्मन करने से संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल: विकास में व्यवधान करना ही कांग्रेस की नीति बन गई है। विकास प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य विकास करना होता है। बहाना ढूंढ़कर चले गये। बहिर्गमन करने वाली पार्टी के विरूद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया जाए।