राजनीतिक नियुक्तियों की उलटी गिनती शुरू, जयपुर से दिल्ली तक दौड़
RNE Network
राज्य की भजनलाल सरकार ने अपना एक साल पूरा कर लिया। इस एक साल के जलसे में सीएम भजनलाल शर्मा ने एक नहीं बल्कि दो बार पीएम मोदी को राज्य में बुलाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी कर दिया। ये शक्ति प्रदर्शन करके उन्होंने पार्टी के भीतर के और विपक्ष के नेताओं के सामने ये साबित कर दिया कि वे न कुछ समय के सीएम हैं, न कमजोर सीएम हैं, न पर्ची के सीएम हैं। वे मजबूती से सरकार चलायेंगे। यहीं रहेंगे। मोदी ने भी मंच से उनको साथ बुलाकर खड़ा किया और यही संदेश दिया।
एक साल का ये बड़ा इफेक्ट सीएम भजनलाल शर्मा ने विपक्ष के साथ साथ पार्टी के उन नेताओं पर भी छोड़ा है जो भीतर से अलग सपने पाले हुए थे। उच्चाधिकारियों की एक बैठक में साफ साफ यह कहकर कि मेरे पास सबकी कुंडली है और मुझे पता है कौन काम करने वाला है और कौन नहीं, उन्होंने ब्यूरोक्रेसी को भी चेता दिया। रही सही कसर जनवरी में बड़े फेरबदल के बाद पूरी हो जाएगी और ब्यूरोक्रेसी के भी सारे भ्रम टूट जायेंगे। सीएम में यह शक्ति आई उप चुनावों के परिणाम से। 7 में से 5 सीटें जीतकर और 4 सीटें उसमें से विपक्ष से छीनकर जता दिया कि राजनीति के भी वे कच्चे खिलाड़ी नहीं है। इन उप चुनावों के परिणाम के बाद एक साल पूरा होने के जश्न हुए और उसमें सीएम भजनलाल शर्मा अलग ही रूप में सामने आये। कईयों की बोलती बंद हो गई।
सालाना जलसे पूरे करने के बाद अब सीएम ताबड़तोड़ निर्णय करने में लग गए हैं। उनके तेवर भी पूरी तरह बदल गए हैं। अब सबसे पहले उन्होंने जो काम हाथ मे लिया है वो है मंत्रिमंडल के विस्तार का। मंत्रिमंडल में अभी 6 पद रिक्त है और किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे पर फैसला होना बाकी है। किरोड़ी बाबा का फैसला तो आलाकमान के स्तर पर होना है मगर उनकी राय भी उसमें अब खासा महत्त्व रखेगी। मंत्रियों के कामकाज के आधार पर उनके विभागों में भी फेरबदल की संभावना है। ये फेरबदल भी सीएम की रिपोर्ट के आधार पर ही होगा। उसकी रिपोर्ट भी सीएम ने बनाई है। उनके नये प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ से अच्छे संबंध है तो उनसे जरूर चर्चा हुई है। खुद सीएम ने पहले संगठन का ही काम किया है इस कारण उनका संगठन से बेहतर तालमेल है। कल दिल्ली में उन्होंने आलाकमान के नेताओं से इस विषय में वार्ता भी की है।
सीएम पर दबाव भी है और वे स्वयं चाहते हैं कि अब राजनीतिक नियुक्तियां भी की जानी चाहिए ताकि नेताओं को काम करने का पूरा अवसर मिले और उनकी एक टीम भी खड़ी हो। जिला स्तर की नियुक्तियां तो वैसे भी संगठन की राय से की जानी है। प्रदेश स्तर की नियुक्तियों पर अब उलटी गिनती शुरू हो गई है और उसके लिए सीएम सक्रिय भी हो गए हैं। कुछ प्रदेश स्तर की राजनीतिक नियुक्तियां लोकसभा चुनाव से पहले हुई थी मगर वे दिल्ली के अनुसार हुई थी क्योंकि उनका तो अपना चुनावी गणित था।
अब राजनीतिक नियुक्तियां निष्ठा के आधार पर उन नेताओं की होनी है जो या तो चुनाव हार गए, या फिर चुनाव नहीं लड़ सके। संगठन में पूरी सेवा देने वाले नेताओं को भी एडजस्ट किया जायेगा। ऐसे नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है। उन सबको एडजस्ट करने के लिए ही सीएम दिल्ली में नेताओं से चर्चा करने के लिए गये। उनके साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ भी थे ताकि सरकार व संगठन का तालमेल दिखे, बात भी सहज में स्वीकारी जाये। पार्टी ने जो नेता नियुक्तियों की आस में है उन्होंने जयपुर से दिल्ली तक अपनी दौड़ भी शुरू कर दी है। इससे स्पष्ट है कि अगले महीने नियुक्तियों का पिटारा खुल सकता है। उसमें भी चोंकाने वाले नाम होंगे, ये तय है।
दिसम्बर तक जिलाध्यक्षों के चुनाव हो जाएंगे और अगले महीने राठौड़ स्थायी प्रदेश अध्यक्ष बन जाएंगे। संगठन के चुनाव पूरे होने के बाद जिला स्तर की नियुक्तियों में भी देर नहीं की जायेगी। कुल मिलाकर अगला महीना राजनीतिक व प्रशासनिक रूप किसी के लिए खुशी तो किसी के लिए गम लाने वाला होगा।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।