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SIR in West Bengal : पूरी बस्तियाँ खाली कर भाग रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए

 

RNE Kolkata.
 

पश्चिम बंगाल में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों में भगदड़ मच गई है। रातोंरात सैकड़ों की तादाद में घुसपैठिए अपने देश बंगला देश भाग रहे हैं। कोई नदी के रास्ते जा रहा है तो कोई बगैर तारबंदी वाली सीमा से लौट रहा है। कई बस्तियाँ खाली होती दिख रही है। इस सब की वजह वह SIR प्रक्रिया है जो चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में शुरू की है। वोटरलिस्ट शुद्धिकारण के इस प्रक्रिया में घुसपैठियों की पहचान सामने आ रही है। यही वजह है की वे अब भागने को मजबूर हो रहे हैं। जानकारों का कहना है, यह भगदड़ देश के दूसरे हिस्सों से भी सामने आने का अनुमान है। इसकी वजह है कि घुसपैठियों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में अपने पांव जमा लिए हैं।
 

जानिए क्या कह रहे हैं खुद घुसपैठिए : 
 

SIR प्रक्रिया से भारत में घुसपैठ कर बसे बांग्लादेशियों में गुस्सा देखने को मिल रहा है। ये लोग सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में फैल चुके हैं। उत्तर 24 परगना के हाकीमपुर पोस्ट में जुटे कुछ बांग्लादेशियों ने खुद यह बात मीडिया को बताई। उनका कहना है कि अगर एसआईआर शुरू नहीं होता, तो उन्हें अपने देश वापस लौटना नहीं पड़ता।
 

छह महीने पहले तक उन्होंने सोचा भी नहीं था कि घुसपैठियों के रूप में उनकी पहचान इस तरह उजागर होगी। चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर प्रक्रिया को सख्ती से लागू किए जाने के बाद वे धीरे-धीरे बेनकाब हो रहे हैं। यही वजह है कि इन घुसपैठियों में एसआईआर को लेकर गुस्सा साफ देखा जा रहा है।

TMC का रूख : 
 

घुसपैठियों की बढ़ती बातें बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए चिंता का कारण बन गई हैं। हाकीमपुर में तृणमूल समर्थक भी अब घुसपैठियों के चारों ओर सतर्क रहते हैं। कैमरे के सामने कुछ लोग गले की खराबी का बहाना बनाकर बचने की कोशिश करते नजर आए, लेकिन थोड़ा दबाव पड़ते ही उनकी आवाज़ पूरी तरह सामान्य हो गई।

ऐसे भारत में आए घुसपैठिए : 
 

रात के अंधेरे में कोई नदी पार करके, तो कोई तारबंदी रहित सीमा से चुपचाप भारत में प्रवेश कर गया। घुसपैठ के लिए ठेकेदारों को पैसे देकर अनुमति मिल जाती थी और वे ठेकेदार ही बताते थे कि कहाँ और कैसे रहना है। इन बांग्लादेशियों ने भारत में अपना खुद का इकोसिस्टम बना लिया है।

देश में फैले : 
 

हाकीमपुर ग्राम पंचायत के तृणमूल नेता भी मान रहे हैं कि ये बांग्लादेशी पूरे देश में फैल गए हैं और भारत सरकार की योजनाओं का लाभ उठाते हैं। बीजेपी का दावा है कि एसआईआर लागू होने के बाद इन 'सरकारी लोगों' की बेचैनी बढ़ गई है। वहीं, विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग से एसआईआर स्थगित करने की मांग इसी कारण की है।

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