CBI Raid : कमीशनखोरी में नप गए रेलवे के अधिकारी, गति शक्ति प्रोजेक्ट में सीबीआई ने किया गिरफ्तार
उत्तर रेलवे के आधुनिक बनाने के लिए शुरू किए गए गति शक्ति प्रोजेक्ट में कमीशनखोरी का मामला सामने आया है। रेलवे अधिकारियों द्वारा कमीशन लेने की नजर सीबीआई की हो गई और आरोपी रेलवे अधिकारियों सहित नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इसमें सीबीआई ने प्रोजेक्ट व रेलवे के अधिकारियों से पांच को गिरफ्तार कर लिया है।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गति शक्ति प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा, सीनियर सेक्शन इंजीनियर (ड्राइंग) अशोक रंजन व कार्यालय अधीक्षक अंजुम निशा के अलावा टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक प्रवीण कुमार सिंह व कर्मचारी जिमी सिंह के रूप में हुई है। जबकि रेलवे के अभियंता केके मिश्रा अभी फरार चल रहे है और उसकी गिरफ्तारी के लिए सीबीआई छापेमारी कर रही है।
भदोही में चल रहे काम के बिलों का भुगतान कराने के लिए रेलवे के लखनऊ और वाराणसी में तैनात अधिकारी कंपनी संचालक से लाखों रुपये वसूल रहे थे। सीबीआइ ने मामले में नौ नामजद आरोपितों समेत अन्य अज्ञात के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की है। इनमें विवेक कुशवाहा के अलावा वाराणसी के वरिष्ठ मंडल अभियंता (समन्वय) राकेश रंजन, वाराणसी के कार्यालय अधीक्षक मनीष,
वाराणसी के सीनियर सेक्शन इंजीनियर (वर्क्स) अभिषेक गुप्ता, वाराणसी में लेखा अनुभाग में तैनात योगेश गुप्ता, वाराणसी में सहायक अभियंता कार्यालय में तैनात वरिष्ठ लिपिक सुशील कुमार राय, नई दिल्ली की टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, उसके संचालक प्रवीण कुमार सिंह व कर्मचारी जिमी सिंह के नाम शामिल हैं।
सीबीआइ ने पांचों गिरफ्तार आरोपितों को मंगलवार को लखनऊ स्थित विशेष कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। सीबीआइ ने मामले में सोमवार शाम लखनऊ डीआरएम आफिस समेत अन्य स्थानों पर छानबीन शुरू की थी। लखनऊ में चार, वाराणसी में छह व गाजियाबाद में एक स्थान पर छापेमारी की गई।
इस दौरान आरोपित विवेक कुशवाहा के पास से ढाई लाख रुपये व अंजुम निशा के पास से 80 हजार रुपये बरामद हुए। यह रकम कंपनी के कर्मचारी जिमी सिंह ने उन्हें बतौर घूस दी थी। अंजुम को दी गई रकम का हिस्सा सीनियर सेक्शन इंजीनियर अशोक रंजन को दिया जाना था। छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। इनमें संपत्तियों के दस्तावेज भी शामिल हैं।
सीबीआइ के अनुसार, अभियंता केके मिश्रा को भी 2.75 लाख रुपये घूस दी गई थी। उसकी तलाश की जा रही है। टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड ने गति शक्ति प्रोजेक्ट के तहत भदोही में काम लिया था, जिसमें रेलवे अधिकारियों की मिलीभगत से धांधली हो रही थी।
सीबीआइ को बिल पास कराने के नाम पर लाखों की कमीशनखोरी की शिकायत मिली थी। गोपनीय सूचना थी कि जिमी सिंह सोमवार को रेल अधिकारियों को लाखों रुपये देने लखनऊ आ रहा है। इस पर सीबीआइ ने अपना जाल बिछाकर कार्रवाई की। जांच में यह भी सामने आया कि पिछले माह भी प्रवीण कुमार सिंह ने जिमी सिंह के माध्यम से रेल अधिकारियों को लाखों रुपये कमीशन पहुंचाया था।