इजरायल गए युवकों ने परिवार की बल्ले-बल्ले, एक हजार करोड़ रुपये भेजे
उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन के गठन का रास्ता साफ कर दिया। यह मिशन हर वर्ष सवा लाख से अधिक युवाओं को देश-विदेश में रोजगार उपलब्ध कराएगा। एक साल पहले ही श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने केंद्र सरकार के कौशल विकास के तहत छह हजार श्रमिकों को इजरायल भेजा था, जिन्होंने एक वर्ष में लगभग एक हजार करोड़ रुपये अपने परिवारों को भेजे हैं। अब मिशन के माध्यम से यह प्रक्रिया और व्यवस्थित की जाएगी।
करीब एक माह के अंतराल पर गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में कुल 30 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है। ‘उत्तर प्रदेश रोजगार मिशन’ गठन के बाद प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को उनकी योग्यता और कौशल के अनुसार निजी क्षेत्रों में नौकरी दिलाने में मदद करेगा। सरकार का लक्ष्य है कि एक वर्ष के भीतर देश में एक लाख और विदेश में 25 से 30 हजार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
श्रम मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि अब तक रोजगार के लिए श्रमिकों को विदेश भेजने का काम सीधे श्रम एवं सेवायोजन विभाग नहीं करता था। इसके लिए लाइसेंसधारी एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता था। कई श्रमिक अपने प्रयास से या एजेंटों की मदद से विदेश जाते थे, जिससे कई बार उन्हें शोषण या धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब श्रम विभाग विदेश में रोजगार दिलाने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।
मंत्री ने बताया कि वैश्विक स्तर पर प्रदेश की श्रम शक्ति खासकर पैरा मेडिकल, नर्सिंग स्टाफ, ड्राइवर, कुशल श्रमिकों की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह मिशन उस क्षमता को दिशा और अवसर देने का माध्यम बनेगा। मिशन को उच्च स्तरीय संस्था के रूप में सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाएगा। इसका संचालन पांच स्तर की समितियों द्वारा किया जाएगा, जिनमें शासी परिषद, राज्य संचालन समिति, राज्य कार्यकारिणी समिति, जिला कार्यकारिणी समिति और राज्य कार्यक्रम प्रबंधन इकाई शामिल होंगी।
विभाग के अनुसार, वर्तमान में जर्मनी में एक हजार नर्सिंग स्टाफ, जापान में एक हजार केयर गिवर और इजरायल में पांच हजार केयर गिवरों की आवश्यकता है। मिशन के माध्यम से इन पदों के लिए उत्तर प्रदेश से श्रमिकों को प्रशिक्षण दिलाकर सीधे भेजा जाएगा। विदेश जाने वाले प्रत्येक श्रमिक का रिकार्ड सरकार के पास होगा, जिससे किसी भी आपात स्थिति में उन्हें मदद पहुंचाई जा सकेगी। कैबिनेट में लिए गए एक अन्य निर्णय के तहत उत्तर प्रदेश कारखाना नियमावली 1950 में संशोधन की संस्तुति दी गई है। अब महिलाओं को कुछ विशेष शर्तों के साथ खतरनाक श्रेणी के सभी 29 कारखानों में काम करने की अनुमति दे दी गई है।