
Deshnok Accident : 11 दिन बाद आधी रात को धरना उठा, पूर्वमंत्री गोविंदराम, महेन्द्र गहलोत का दावा- शर्तें मानी, 40 लाख तक मिलेंगे
- हादसे में छह की मौत पर मुआवजे, न्याय की मांग पर चल रहा था धरना
RNE Bikaner.
11 दिन से बीकानेर जिला कलेक्ट्रेट पर चल रहा अनिश्चितकालीन धरना आखिरकार बीती देर रात वार्ता के बाद खत्म हो गया। संभागीय आयुक्त और आईजी की मौजूदगी में प्रशासनिक दल और पूर्वमंत्री गोविंदराम, महेन्द्र गहलोत की अगुवाई में आंदोलनकारियों के प्रतिनिधिमंडल के बीच देर रात वार्ता पूरी हुई। इसके बाद धरनास्थल पर पहुंचे नेताओं ने बताया कि सभी मांगें मान ली गई है। संघर्ष की जीत हुई है। मोटे तौर पर प्रत्येक पीड़ित परिवार को लगभग 40 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता मिलेगी। इसके साथ एक-एक संविदा नौकरी और डेयरी बूथ भी अलॉट होने का वादा किया गया है। इस मौके पर अगुवाई करने वालों में शामिल रामनिवास कूकणा और विधायक डूंगरराम गेदर भी मौजूद रहे।
पहले जानिये मामला क्या है:
देशनोक के पास ब्रिज पर 19 मार्च को एक ट्रक पास से गुजर रही कार पर पलट गया। हादसे में 06 लोगों की मौत हो गई। सैन समाज के ये सभी मृतक अपने-अपने परिवार के मुखिया थे जो एक ही आयोजन मंे शिरकत करने गये थे। ये सभी नोखा के निवासी थे। दुर्घटना के बाद एकबारगी आक्रोश और प्रशासन के बाद मामला शांत हो गया और अंतिम संस्कार कर दिया गया। लगभग 15 दिन पहले कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेन्द्र गहलोत, पूर्व मंत्री गोविंदराम की अगुवाई में मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा और न्याय देने की मांग पर आंदोलन शुरू किया गया। इस दौरान बीकानेर जिला बंद रखा गया। जिलेभर में रैलियां निकली। बीकानेर कलेक्ट्रेट पर पिछले 11 दिन से धरना चल रहा था।
क्या निकला नतीजा:
वार्ता के बाद लौटै नेता गोविंदराम मेघवाल और महेन्द्र गहलोत ने बताया कि मृतकों के परिजनों को पहले ही पांच-पांच लाख चिरंजीवी योजना की बीमा राशि के मिल चुके हैं। प्रशासन ने 10-10 लाख रूपए प्रति परिवार और देने की हामी भरी है। इसके साथ ही लगभग 25 लाख दुर्घटना प्राधिकरण के माध्यम से फास्ट ट्रैक कोर्ट में फैसला करवाकर दिलाने मे प्रशासन का सहयोग रहेगा। इसके अलावा प्रत्येक परिवार से एक-एक व्यक्ति को नोखा में संविदा पर नौकरी, प्रत्येक परिवार को डेयरी बूथ के लिए स्थान मिलेगा।
आंदोलन में सियासत के आरोप:
हालांकि यह पीड़ित परिवारों के लिए न्याय के लिए संघर्ष का आंदोलन था लेकिन खुद आंदोलनकारियों ने माना कि यह सियासत का शिकार होने लगा था। पूर्व मंत्री महेन्द्र गहलोत ने वार्ता के बाद कहा, पहले पीड़ित परिवारों ने कहा था भाजपा वाले आएंगे। उनकी सरकार है। हमें मदद दिलवाएंगे। वे नहीं आए तब हमें बुलाया। हमने न्याय और स्वाभिमान के लिए आंदोलन किया। पिछले कुछ दिनों से कुछ लोग धरने में नहीं आ रहे लेकिन अपने आदमी भेज रहे थे। वे यहां बैठे लोगों को बहला-फुसलाकर इस बात के लिए उकसा रहे थे कि अब आंदोलन समाप्त करने की बात उठाओ।
महेन्द्र गहलोत ने कहा, प्रशासन को हमारी इस कमजोरी का पता चल गया। हम अभी आंदोलन समाप्त नहीं करना चाहते थे लेकिन जब ऐसी बातें आने लगी तो वार्ता के लिए गये लेकिन अपनी शर्तों पर वार्ता की। पीड़ित परिवारों को हक दिलाया और स्वाभिमान की इस लड़ाई में जीत हुई।
उधर…केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने किया हस्तक्षेप:
दूसरी ओर भाजपा के नेताओं ने दावा कि केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के हस्तक्षेप से प्रशासन सक्रिय हुआ और आंदोलनकारियों को वार्ता के लिए बुलाकर पीड़ित परिवारों के प्रति सहानुभूतिपूर्वक विचार कर मांगें मानी। गौरतलब है कि इस मामले में केन्द्रीय मंत्री मेघवाल के एक बयान के बाद प्रदर्शनकारियों ने उनका पुतला फूंका था। इसके बाद भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री मेघवाल के पुत्र रविशेखर मेघवाल का बयान काफी चर्चा में रहा था। इस बयान में रविशेखर ने पूर्वमंत्री गोविंदराम पर आंदोलन के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने का आरोप लगाया था। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह आंदोलन न्याय की लड़ाई के साथ ही सियासी दांवपेंच में उलझता जा रहा था जिसका बीती रात पटाक्षेप हो गया।