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कला रंग राग : दो दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव का आगाज

RNE, BIKANER .

‘हरियाळा बन्ना रे, नादान बन्ना रे…,ओ लाल, मेरी पत्त रखियो बला झूले लालण…सरीखे लोक गीतों की स्वर लहरियां। कानों को सुकून देती बांसुरी, नगाड़ा, अलगौजा, कमायचा, ढोलक, ढोल, चंग की मधुर धुनें। लोक गीत, नृत्य और वाद्य का ऐसा समागम हुआ कि पांव थिरकने को मजबूर हो गए। राजस्थानी संस्कृति की यह झलक शनिवार को धरणधीर मंदिर परिसर में साकार हो उठी। इसके साक्षी बने संगीत, कला प्रेमी श्रोता। अवसर था सांस्कृतिक संस्थान लोकायन एवं राजस्थान कला और संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘कला रंग राग’ दो दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव का के उद्घाटन का।  महोत्सव का उद्घाटन लोक कला मर्मज्ञ और कथाकार पद्मश्री चन्द्र प्रकाश देवल, मालचंद तिवारी, कैलाश कबीर, लोकायन अध्यक्ष महावीर स्वामी और समाजसेवी रामकिशन आचार्य ने किया।

कला-संगीत के सबरंग :

श्रोता कभी नगाड़ों की मस्ती में झूमते दिखे तो कभी बांसुरी की तान में खो गए। कभी लोक गायिका मांगीबाई और शकूर की ‘हिचकी…’ ने किसी की याद दिला दी तो कभी बबलू-सलीम के ‘रश्क-ए-कमर…’ के जरिये प्रेमिका और चाँद के बीच खूबसूरती की तुलना हुई। गोपाल एंड पार्टी ने चंग गूँजे वहीं मानसी पंवार की शिष्या वर्षा सैनी के भंवई नृत्य का रोमांच महसूस किया। समापन में ‘बापू सेहत के लिए…’ फेम जैसलमेर के ख्यातिनाम कलाकार गाजीखान बरना एंड पार्टी ने लोक कला, संगीत और गीत की ऐसी स्वर लहरियां छेड़ी कि श्रोता मंत्रमुग्द हो गए। कलाकरों ने अपनी गायिकी विशेष शैली की यादगार छाप छोड़ी। गाजी खान के सान्निध्य में बाल कलाकारों ने “डेजर्ट सिम्फनी” की मधुर प्रस्तुति दी। इसमें कमायचा, हारमोनियम,खड़ताल, ढोलक और ढोल की जुगलबंदी से धरणीधर परिसर गूंज उठा।

कल होगा कलाकारों का सम्मान :

लोकायन के सचिव गोपाल सिंह ने  बताया कि लोकायन संस्थान के संस्थापक, इतिहासविद और लोक कला मर्मज्ञ कृष्ण चन्द्र शर्मा की  स्मृति में सम्मान समारोह होगा।  इस कड़ी में पहला ‘कला राग सम्मान’ जैसलमेर की ‘कमायचा लोक संगीत संस्थान हमीरा’ को प्रदान किया जाएगा। दूसरा पुरस्कार “कला रंग सम्मान” बीकानेर की मथेरण कला कलम के चित्रकार मूल चन्द महात्मा को प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार के रूप में 21000  रुपए नकद राशि के साथ ही सम्मान पत्र प्रदान कर शॉल ओढ़ाया जाएगा।

25 साल पूरे होने पर सम्मान…

लोकायन संस्थान के अध्यक्ष महावीर स्वामी ने बताया कि स्थापना के 25 साल पूरे होने के मौकेे पर बीकानेर कि उन 25 विभूतियों को भी सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने लोक साहित्य, लोक संगीत, लोक कलाओं एवं धरोहर सरंक्षण की दिशा में अपना योगदान दिया है। इन विभूतियों में डॉ.श्रीलाल मोहता, डॉ.भंवर भादाणी, गिरिजाशंकर शर्मा, विद्यासागर आचार्य, इलाहिबख्श उस्ता, जसकरण गोस्वामी, निर्मोही व्यास, अमरचंद पुरोहित, लक्ष्मीनारायण सोनी, श्याम महर्षि, पन्नालाल पुरोहित, अमरचंद सुथार, बुलाकीदास बावरा, चंद्रशेखर श्रीमाली, सन्नू हर्ष, कलाश्री, नथू खान छींपा, जान मोहमद छींपा, कन्हैयालाल सेवग ‘मामाजी’, मांगी बाई, गवरा बाई, निर्मोही व्यास, ढूंढ महाराज, जगनाथ चूरा, भोजराज सोलंकी, राजकुमार डफगर, लक्ष्मी नारायण  स्वामी, प्रियंका स्वामी शामिल हैं।