डोटासरा, जूली, रंधावा बोले, कांग्रेस यही तेवर-एकजुटता दिखायें तो अर्जुनराम की हार तय
- बीकानेर में भीड़ देख इतने खुश हुए डोटासरा कि मंच पर डांस करने लगे
- बीकानेर में जनसंवाद एवं रामकिसन सियाग स्मृति रक्तदान शिविर
आरएनई,बीकानेर।
प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा, प्रभारी सुखजिंदरसिंह रंधावा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित कांग्रेस नेताओं में जहां बीकानेर के जनसंवाद में जुटी भीड़ देख जोश आ गया वहीं कार्यकर्ताओं में भी उत्साह का माहौल बन गया। प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा इस कदर खुश हुए कि मंच पर डांस तक करने लगे। नेताआें ने कहा, कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता ऐसे ही तेवर और एकजुटता दिखायें तो बीकानेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की जीत और भाजपा के अर्जुनराम की हार को कोई रोक नहीं सकता।
डोटासरा, रंधावा, जूली के ये बयान इससे पहले हुए बीकानेर दौरे से बिलकुल उलट थे। पिछले दौरे में जब ये नेता बीकानेर आये तो पूरे पदाधिकारी तक नहीं जुटे थे। ऐसे में मंच से ही निष्क्रिय लोगों को निकालने तक का आदेश दे दिया था। इसके साथ ही बीकानेर में दुबारा दौरे करने की बात भी कही। इसी कड़ी में पहले 24 फरवरी को कार्यक्रम तय हुआ था लेकिन बाद में इसे बदलकर 27 फरवरी कर दिया गया।
देहात कांग्रेस अध्यक्ष बिशनाराम सियाग के दिवंगत भाई और कांग्रेस नेता रामकिसन सियाग की स्मृति में इसी दिन रक्तदान शिविर भी हुआ था। इस शिविर में भी बड़ी तादाद में कार्यकर्ताओं ने रक्तदान किया। शिविर में भी डोटासरा, जूली, रंधावा सहित नेताओं ने भागीदारी की।
भीनासर पुरानी चुंगी चौकी के भवन में हुए इस समारोह में पूर्व मंत्री गोविंदराम मेघवाल, भंवरसिंह भाटी ने भी कहा, कांग्रेस एक हो तो कोई हराने वाला नहीं। विधानसभा चुनाव में हुई हार के लिए भी कुछ ऐसे ही समीकरण बताये गए जहां पार्टी के नेताओं ने बगावत या भीतरघात से नुकसान पहुंचा।
रंधावा के नेताओं पर तंज :
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने राजस्थान में पार्टी की हार के लिए नेताओं को जिम्मेदार बताया है। कहा- ‘राजस्थान में कांग्रेस कमजोर नहीं हैं, बल्कि किसी लीडर ने कांग्रेस को कमजोर कर दिया हैं।
बीकानेर में कांग्रेस के संवाद कार्यक्रम में मंच पर बैठे पूर्व मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला, गोविंदराम मेघवाल और भंवर सिंह भाटी से सवाल किया कि हम क्यों हारे? उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि ‘आप नहीं हारे हो, स्टेज पर बैठे नेताओं ने आपको हरा दिया।’ इस बारे में सोचना पड़ेगा।
रंधावा ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में जुट जाएं। कांग्रेस को मजबूत करना है तो वर्कर की सुननी पड़ेगी। सिर्फ भाषण देने से कुछ नहीं होगा। रंधावा ने कहा कि पार्टी का नेता भले ही किसी पार्टी में चला जाए लेकिन कार्यकर्ता नहीं जाएगा।
रंधावा ने गोविंदराम मेघवाल के बयान पर भी तल्ख टिप्पणी की। मेघवाल ने अपने भाषण में कहा- बड़े नेता हमें गोद में ले लें, हम बीकानेर की सीट निकाल देंगे। इस पर रंधावा ने कहा- ‘हम गोद में तो ले लेंगे लेकिन गोद में लेने लायक बनो तो सही। ‘
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि भजनलाल शर्मा के राज में अपराध बढ़े हैं। डोटासरा ने पिछले कुछ दिनों में हुए रेप, हत्या और अपहरण के आंकड़े भी गिनाए। मंच पर बैठे पूर्व मंत्रियों से कहा कि विधानसभा चुनाव की बात को छोड़कर अब लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जायें। मेघवाल और डॉ. कल्ला की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप पर जिम्मेदारी ज्यादा है। इस पर दोनों ने कहा कि लोकसभा चुनाव में पूरी शिद्दत से पार्टी के साथ काम में लगेंगे।
रेंवतराम पंवार को वापस पार्टी में लेने का संकेत :
डोटासरा ने पूर्व मंत्री भंवर सिंह भाटी से कहा कि आपसे लोगों की नाराजगी है तो घर-घर जाकर दूर कर लें। डोटासरा ने कोलायत से चुनाव लड़ने वाले रेंवतराम पंवार को भी वापस पार्टी में लेने का संकेत दिया। इस पर भाटी ने कहा कि आप चाहो तो उन्हें वापस ले लो। इस पर डोटासरा ने कहा भाटी की रजामंदी नहीं हुई तो भी रेंवतराम को पार्टी में ले सकते हैं। बशर्तें पंवार की कोई शर्त नहीं हो। डोटासरा ने गोविंदराम मेघवाल को माला और कल्ला को शॉल भी ओढ़ाया। इस पर डोटासरा ने कहा कि आपका जोश देखकर आपको माला पहनाई है। अब आपको ये लोकसभा सीट निकालनी है।
सांसद अर्जुनराम को बताया “पापड़ बेचने वाला”
अधिकांश वक्ताओं ने वर्तमान सांसद अर्जुनराम मेघवाल पर जमकर हमले किए। खासकर गोविन्दराम मेघवाल ने सांसद को “पापड़ बेचने वाला” बताते हुए कहा कि पांच साल में कोई काम नहीं हुआ। नौकरी से रिटायर होकर राजनीति में आ गए। वहीं डोटासरा ने कहा कि किसी को किनारे करना है तो कांग्रेस नेता अर्जुनराम को किनारे करें। आपस में एक-दूसरे को नहीं।
पिछली बार नहीं पहुंचे पदाधिकारी
कांग्रेस की पिछले दिनों सूरज टॉकिज में हुई मीटिंग में पार्टी पदाधिकारी ही नहीं पहुंचे थे। प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने तब स्टेज से ही कार्यकर्ताओं की हाजिरी ली तो पता चला कि बहुत कम संख्या में मुख्य पदाधिकारी आए हैं। नाराज डोटासरा ने पूर्व मंत्रियों के समक्ष भी नाराजगी जताई कि जिस जिले से तीन-तीन मंत्री थे, हम वहां से इस तरह हार गए।