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एडिलेड टेस्ट में हार से रोहित -कोहली के टेस्ट टीम में जगह पर उठ रहे सवाल

  • कमजोर ऑस्ट्रेलिया के सामने बैटिंग कोलेस्प विकल्प तलाशने को कर रहा मजबूर

RNE Network

एडिलेड टेस्ट में टीम इंडिया ने पिंक बॉल के सामने महज सवा दो दिन में ही सरेंडर कर दिया और भारत को 10 विकेट से आसानी से ऑस्ट्रेलिया ने हरा दिया।

भारत के लिए चिंता का सबब टीम इंडिया का बैटिंग ऑर्डर न्यूजीलैंड के घरेलू दौरे से बना हुआ है। रोहित शर्मा और विराट कोहली की खराब फार्म के कारण टीम इंडिया ने पर्थ टेस्ट की ऐतिहासिक जीत के बाद मिला मूमेंटम खो दिया है। ऑस्ट्रेलिया के पास अब ग्लेन मैक्ग्रा, जेसन गिलेस्पी और ब्रेट ली जैसा पेस अटैक नहीं है और न ही ऑस्ट्रेलिया की 22 गज की क्रिकेट पिच उतनी ग्रीन ग्रास वाली है। ठंड भी कम पड़ रही है फिर भी कोहली और रोहित शर्मा परफॉर्म नहीं कर पा रहे है।


ध्यान रहे 2020-21 की ऑस्ट्रेलिया में हुई बॉर्डर -गावस्कर ट्रॉफी के तीन टेस्ट टेस्ट मैच की कप्तानी अजिंक्य रहाणे ने की थी, कोहली पेरेंटिंग लीव पर थे और भारत ने सीरीज 2-1 से अपने नाम की थी।

कुछ समय पहले तक भारत टेस्ट क्रिकेट इसलिए नहीं जीत पाता था क्योंकि हमारे पास वो बॉलिंग अटैक नहीं था जो विपक्षी टीम के 20 बल्लेबाजो को सीमित स्कोर पर समेट सके और अब दिक्क़त दूसरी पैदा हो गई है। प्रॉपर टेस्ट इनिंग खेलने वाले बल्लेबाज नजर नहीं आ रहे है। आज भारत के पास दुनिया का नंबर वन पेस बॉलर जसप्रीत बुमराह, सिराज भी सही चैनल पर गेंदबाजी कर रहे है और जल्द मोहम्मद शमी भी टीम से जुड़ने वाले है, लेकिन बैटिंग फॉर्म की रिदम बन ही नहीं पा रही है। ऑस्ट्रेलिया के स्ट्राइक बॉलर मिचेल स्टार्क का पीक पीरियड जा चुका है, आईपीएल में हुई नीलामी इस बात की तस्दीक कर देती है। स्टार्क हर ओवर में लूज गेंद देते ही है और हाफ पॉली गेंद खूब करते है। पैट कमिन्स की उतनी पेस ही नहीं है जो बैटर्स को परेशान कर सके और हेजलवुड इंजर्ड हो चुके है।

पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बिना कोहली भारत ने सीरीज जीती थी और रोहित शर्मा की अनुपस्थिति में भारत ने पर्थ टेस्ट में विजय हासिल की थी।

अब सवाल तो उठने लाजिमी ही है कि क्या वाकई टीम इंडिया की टेस्ट टीम को कोहली -रोहित शर्मा की इतनी जरूरत है या दोनों स्टार्स क्रिकेटर्स को रहाणे -पुजारा की तरह विदा कर दिया जाए।BCCI को कोहली -रोहित शर्मा को सख्त संदेश देना चाहिए कि आप अतीत के गौरव और ब्रांड नेम से टीम इंडिया का हिस्सा निकट भविष्य में नहीं बन सकते, आपको अपनी जगह कमानी होगी अन्यथा विकल्प बहुतेरे मौजूद है। एडिलेड में युवान आलराउंडर नीतीश रेड्डी ने दोनों पारियों में मिलाकर 80 प्लस रन किए है,मतलब साफ है न तो विकेट इतनी मुश्किल थी और न ही ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी इतनी असरकारक थी।


गेन्दबाजो ने तो ऑस्ट्रेलिया को 400 से पहले रोक दिया लेकिन हर बार बैटिंग कोलेप्स होकर 150-180 कोई टीम बनाएगी तो गेन्दबाजो के पास अटैक के लिए क्या रह जाएगा।

दुनिया का हर दिग्गज क्रिकेट एक्सपर्ट और कमेंटटर यह मानता है कि बुमराह आज की क्रिकेट के नंबर वन बॉलर है, शुक्र मनाए टीम इंडिया के बल्लेबाज कि उन्हें बुमराह को फेस नहीं करना पड़ता है। बुमराह के रहते टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर हार थोड़ी कम हजम होती है क्योंकि ऐसा करके भारत के बैट्समैन बुमराह की स्किल को पूरा अवसर न देने का जुर्म कर रहे है।अभी बॉर्डर -गावस्कर ट्रॉफी के तीन टेस्ट बचे है, ऑस्ट्रेलिया के पास वो टीम ही नहीं है जो भारत को आउटप्ले कर दे। ऑस्ट्रेलिया के पास सिर्फ ट्रेविस हेड और स्टिव स्मिथ जैसे दो बैटर्स है, हेजलवुड के अलावा कोई गेंदबाज इतनी चुनौती पेश नहीं कर रहा है और वो भी फिलहाल घायल है।


टीम इंडिया के सामने WTC फाइनल में जगह पक्की करनी का लक्ष्य है, अगले तीन टेस्ट में पर्थ की तरह विजय पताका लहराई जा सकती है, बस जरूरत है टीम इंडिया का बैटिंग ऑर्डर फॉर्म में आए, विशेषकर रोहित शर्मा और विराट कोहली। अगले तीन टेस्ट में भी अगर रोहित -कोहली नहीं चले तो टी टवेंटी क्रिकेट की तरह रोहित -विराट टेस्ट टीम से बाहर होने की दहलीज तक पहुंच जाएंगे और हो सकता है कि BCCI दोनों के लिए फेयरवेल मैच की योजना बनाकर दोनों की टेस्ट क्रिकेट सेवाओं को अलविदा कह दे।



मनोज रतन व्यास के बारे में :

मनोज रतन व्यास को समान्यतया फिल्म समीक्षक, लेखक, कवि के रूप में जाना जाता है। कम लोग जानते है कि बिजनेस मैनेजमेंट के महारथी और मीडिया में प्रसून जोशी के साथ एडवरटाइजमेंट क्रिएटीविटी टीम के सदस्य रहे मनोज गहरी दृष्टि वाले खेल समीक्षक हैं। rudranewsexpress.in के पाठक Sunday Sports Talk में उनकी इसी “फील्ड से फिनिश लाइन” तक वाली समीक्षकीय दृष्टि से हो रहे हैं रूबरू।