
हर सरकार तबादला नीति की बात करती है, बनाती नहीं, तबादला नियम व निर्देशों से ही काम चलाने का रिवाज है सरकारों का
- विधायकों को खुश रखना पहली प्राथमिकता है, इस कारण नीति नहीं
अभिषेक आचार्य
RNE Special.
नया शिक्षा सत्र आरम्भ होने में अब तो एक महीना भी पूरा नहीं बचा, मगर अब भी शिक्षक तबादले नहीं हुए है। ना कोई तबादलों की सुगबुगाहट हो रही है। बीच सत्र में अन्य विभागों के तबादलों पर से प्रतिबंध हटा मगर शिक्षा विभाग में नहीं हटा।
नई भाजपा सरकार आने के बाद अभी तक शिक्षक तबादलों का काम हो ही नहीं पाया है। सर्वाधिक कर्मचारी राज्य के शिक्षा विभाग में है, इस कारण यहां तबादलों के लिए कसरत भी बहुत होती है। शिक्षक वर्ग सबसे बड़ा है, इस कारण इनमें तबादलों की मारामारी रहती है।
राज बदल गया तो उम्मीद जगी:
पिछले शासन में जिस पार्टी का राज था उसने अपने चहेतों को मनचाही जगह पर स्थानांतरित किया। तब इस राज के चहेतों ने झेला। अब जब राज आ गया तो भी एक इच्छित स्थान पर तबादला चाहते है तो वो गलत भी नहीं।
अपने विधायकों पर दबाव डाल रहे:
ये शिक्षक अब अपने विधायकों पर दबाव डाल रहे है कि पिछले शासन में हम प्रताड़ित हुए तो इस शासन में तो राहत मिले। ये उनका कहना गैरवाजिब भी नहीं। विधायक पर दबाव आना स्वाभाविक है। वे सीएम तक अपनी समस्या लेकर जाते है और तबादलों का दबाव बनाते है। अब विधायकों के दबाव को मानना भी मजबूरी है।
शिक्षा विभाग में तबादला नीति नहीं:
शिक्षा विभाग में तबादला नीति बनाने की बात 3 दशक से चल रही है। मगर नीति तो अब तक नहीं बनी। आंध्रप्रदेश व असम की तबादला नीतियों का अधिकारियों ने जाकर परीक्षण किया। उनके आधार पर नीति का प्रारूप बनाकर दिया। मगर वो अब तक कागजों में बंद है। उस पर सरकार की मुहर ही नहीं लगी।
इसलिए नहीं लगी मुहर:
दरअसल अगर तबादला नीति बन जाएगी तो फिर विधायकों की ईच्छा के अनुसार तबादले होने सम्भव नहीं। ऐसे में विधायकों को खुश रखने के लिए हर बार तबादला नीति छोड़ नियम बना लिए जाते है और राज्यादेशो से तबादले कर दिए जाते है। इस बार भी आनन फानन में इसी तरह तबादले होने की संभावना है।
नीति होना जरूरी:
शिक्षक नेता महेंद्र पांडे का कहना है कि एक बार तबादला नीति बनाने का जोखिम उठा लिया जाए तो फिर कभी शिक्षक तबादलों से असंतोष पनपेगा ही नही। राजयदेशों से तबादले होंगे तो प्रताड़ना भी होगी और असंतोष भी पैदा होगा। शिक्षक तबादला नीति बनानी चाहिए। इससे शिक्षा व शिक्षक के हितों की रक्षा होगी।
महेंद्र पांडे, प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ