कांग्रेस में गुटबाजी अब भी बरकरार, पीसीसी बैठक में दरार चौड़े आई
RNE Bikaner
विधानसभा चुनाव हार के बाद उप चुनावों में भी हुई करारी हार के बाद भी कांग्रेस में गुटबाजी थमी नहीं है। अब भी पार्टी दो धड़ों में साफ साफ बंटी हुई नजर आ रही है। आलाकमान के लाख प्रयासों के बाद भी अशोक गहलोत व सचिन पायलट गुट के मध्य तकरार थमने का नाम ही नहीं ले रही। दोनों नेता भी अवसर मिलते ही एक दूसरे पर कटाक्ष करने से नहीं चूकते।
अब तक पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा दोनों के मध्य सेतु बनकर स्थिति को संभाले हुए थे मगर 16 व 17 दिसम्बर की प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में वे भी इस गुटबाजी का हिस्सा बनने से बच नहीं सके। दरअसल 16 को उन प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक थी जिनकी नियुक्ति डोटासरा ने की थी। इस बैठक में मंच के पीछे जो बैनर लगाया गया उससे सचिन पायलट की फोटो गायब थी। जबकि बैनर पर अशोक गहलोत व टीकाराम जुली की फोटो लगी हुई थी।
बात यहीं से बिगड़ गई। गहलोत की फोटो लगी देखकर व सचिन की नदारद देखकर सचिन के समर्थक भड़क गए। उन्होंने बैठक में ही हंगामा कर दिया। सचिन समर्थकों का कहना था कि पायलट का फोटो जानबूझकर नहीं लगाया गया है। पूर्व सांसद भरतराम मेघवाल ने इस पर सीधे ही डोटासरा से सवाल कर लिया। फिर क्या था, पायलट समर्थक अन्य नेताओं ने भी बोलना शुरू कर दिया। हंगामे की स्थिति बन गई। टीकाराम जुली ने समझाने की बहुत कोशिश की पर ये समर्थक समझने को तैयार ही नहीं थे। इस पर गोविंद डोटासरा ने जवाब दिया कि यह सब फोटो प्रोटोकॉल के हिसाब से लगते हैं। तब पायलट समर्थक कहने लगे कि हम मिलकर संगठन को मजबूत बनाना चाहते हैं पर इस तरह की छोटी हरकत की जा रही है। पिछले कुछ समय से इस गुटबाजी को बैलेंस करने वाले डोटासरा भी कल इसका हिस्सा बन गये।
पायलट समर्थक मानते हैं कि डोटासरा गहलोत के निकट है और इस कारण उनका फोटो तो बेनर पर लगाया गया और पायलट का नहीं लगाया गया। बैनर पर गहलोत के फोटो से पायलट समर्थक ज्यादा नाराज दिखे। अब फोटो तो एक बहाना था, पिछले दिनों के बयानों से दोनों नेताओं के बीच चल रही तकरार को लेकर ही हंगामा करना था। जबकि यह बैठक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के निर्देश पर बुलाई गई थी। इन नेताओं ने डोटासरा व जुली को उप चुनाव की हार के बाद दिल्ली बुलाया और संगठन को मजबूत करने के निर्देश दिए। मगर बैठक से डोटासरा ही गुटबाजी के जाल में उलझ गये।
कांग्रेस की यह गुटबाजी उप चुनाव के समय ही उभर गयी थी। जब पायलट ने अपने को दौसा सीट तक सीमित कर लिया और देवली उणियारा में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। यहां लड़े नरेश मीणा को लेकर भी गहलोत ने एक द्विअर्थी बयान दिया था। उन्होंने कहा कि ये पता लगाया जाना चाहिए कि नरेश मीणा को निर्दलीय किसने खड़ा किया। ये जांच का विषय है और पार्टी जांच करेगी। पहले नरेश को पायलट का ही समर्थक माना जाता था।
फिलहाल ये तो स्पष्ट है कि राजस्थान में कांग्रेस के दोनों गुट एक बार फिर आमने सामने है। अब तो उसमें पीसीसी चीफ डोटासरा भी उलझते नजर आ रहे हैं। आलाकमान का हस्तक्षेप व कठोर निर्णय ही स्थिति में सुधार ला सकता है।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।