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उछब थरपणा के आखिरी दिन बीकानेरी कलाओं की प्रदर्शनी सजी

आरएनई,बीकानेर।
राजस्थानी साफा, पाग-पगड़ी, कला-संस्कृति संस्थान एवं थार विरासत का पांच दिवसीय नगर स्थापना दिवस समारोह ‘उछब थरपणा’ रविवार को संपन्न हुआ। इस दौरान नत्थूसर गेट के बाहर स्थित नालन्दा सृजन सदन में आयोजित चंदा-कला एवं बीकानेर की विभिन्न कलाओं की प्रदर्शनी का समापन भी किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि सीएम मूंधड़ा चैरिटेबल ट्रस्ट के किशन मूंधड़ा थे। उन्होंने कहा कि नगर का स्थापना दिवस प्रत्येक शहरवासी के लिए गौरवमयी होता है। इसे पूर्ण उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस बार अनेक संस्थाएं इसके लिए आगे आई हैं। यह अच्छी पहल है। विभिन्न कलाओं की प्रदर्शनी आयोजित करने से युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने की अवसर मिलेंगे। मूंधड़ा ने बालिकाओं द्वारा लगाई गई कलाकृतियों की सराहना की और कहा कि इन्हें ऐसे अवसर लगातार दिए जाएं।
जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारका प्रसाद पचीसिया ने कहा कि बीकानेर में अनेक प्रतिभाएं हैं। इन्हें आगे बढ़ने के अवसर दिए जाने जरूरी है। उन्होंने बताया कि जिला उद्योग संघ में परिसर में आर्ट गैलरी का निर्माण करवाया गया है, जो कि ऐसे कलाकारों के लिए लाभदायक साबित होगी।
वरिष्ठ कवि-कथाकार कमल रंगा ने कहा कि बीकानेर की लोक कला और लोक संस्कृति देश और दुनिया में विशेष स्थान रखती है। युवा पीढ़ी के हाथों में यहां की कला और संस्कृति का भविष्य सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी के माध्यम से जीवन के विभिन्न रंगों को उकेरा गया। उन्होंने कहा कि दोनों संस्थाएं ऐसे आयोजन के लिए साधुवाद की पात्र हैं। उन्होंने बीकानेर की साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और परंपरागत विशेषताओं के बारे में बताया और कहा कि इन्हीं विशेषताओं के कारण यह शहर अपनी अलहदा पहचान रखता है।
संस्कृति कर्मी कृष्ण चंद्र पुरोहित ने पांच दिवसीय कार्यक्रमों की रूपरेखा की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में 25 कलाकारों ने अपनी कलाकृतियों को आमजन के अवलोकनार्थ रखा। थार विरासत के राजेश रंगा ने आगंतुकों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि पांच दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न विधाओं को शामिल करने के प्रयास हुए। कार्यक्रम का संचालन हरि शंकर आचार्य ने किया। इस अवसर पर अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।’लोक कलाओं का प्रचार’ विषय पर चर्चा आयोजित, सभी कलाकारों को दिए प्रमाण पत्र।
इससे पूर्व ‘लोक कलाओं का प्रचार’ विषय पर परिचर्चा आयोजित हुई। इसमें नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक रमेश तांबिया बतौर अतिथि मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि बीकानेर प्रतिभाओं की खान है। इन कलाकारों की कलाओं को  देश और दुनिया तक पहुंचाने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग करना जरूरी है। इससे इन कलाकारों को संबल मिलेगा तथा बीकानेर की कला देश और दुनिया में प्रसिद्ध हो सकेगी। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम इन कलाओं के प्रसार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। युवा कलाकार इस ओर विशेष ध्यान दें।
विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद रामलाल सोलंकी ने कहा कि युवाओं को चाहिए कि वे लक्ष्य निर्धारित कर इसे प्राप्त करने में जुट जाएं। इस दिशा में आने वाली बाधाओं से डरे बिना वे अनवरत आगे बढ़ें। सहायक निदेशक (जनसंपर्क) हरिशंकर आचार्य ने कहा कि लोक कलाओं के क्षेत्र में बेटियों का आगे आना अच्छे संकेत हैं। बेटियां पूर्ण मनोयोग के साथ आगे बढ़ें।  प्रयास संस्थान के धर्मेंद्र छंगाणी ने आर्टिजेंस के लिए किए जा रहे हैं कार्यों की जानकारी दी।
इस दौरान वरिष्ठ चित्रकार एम. जहांगीर को लोक कला साधक सम्मान अर्पित किया गया। अतिथियों ने जांगिड़ को माला और शॉल अर्पित कर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन राजेश रंगा ने किया।
इन कलाकारों की रही भागीदारी
प्रदर्शनी में डॉ. मोना सरदार डूडी की कुरेचन कला, धर्मा स्वामी मॉडर्न आर्ट, महावीर रामावत पेन्सिल पोट्रेट, कृष्णचंद पुरोहित साफा पगडी कला, योगेन्द्र पुरोहित इन्स्टोलेशन आर्ट, कमल किशोर जोशी पोट्रेट कला, रामकुमार भादाणी सुनहरी कलम, रवि उपाध्याय यर्थाथ आर्ट, फराह कन्टेम्परी आर्ट, प्रिया मारू दृश्य कला, सैफ अली उस्ता आर्ट, संगीता चौधरी मिनियचर आर्ट, गणेश रंगा पेन्सिल आर्ट, केशव जोशी लीफ आर्ट, पुलकित हर्ष पेन्सिल आर्ट, भूमिका रांकावत मण्डाला आर्ट,
कृष्णकांत व्यास वुडन आर्ट, मुकेश जोशी सांचीहर मॉडर्न आर्ट, मंशा रावत लिपन आर्ट, योगेश रंगा पिछवाई आर्ट, मुस्कान मालु कनटेम्परी आर्ट, तनिशा निर्वाण मॉर्डन आर्ट, मोहित पुरोहित चन्दा आर्ट, आदित्य चन्दा आर्ट, मयंक रामावत डिजिटल आर्ट, दिनेश नाथ लेंडस्केप आर्ट, निकिता सारण चारकोल आर्ट को प्रस्तुत किया गया। अतिथियों ने इसका अवलोकन किया सराहा।इस दौरान रामेश्वर स्वामी, तोलाराम सारण, वासु ,राज कुमार राजपुरोहित आदि मौजूद रहा।