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सर्राफ का हमला: कर्नाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र ने 11.49 से 15.25 लाख में डायलिसिस मशीनें खरीदी, राजस्थान ने 21.16 लाख क्यों दिये!

  • खींवसर की गहलोत सरकार को क्लीन चिट: डॉलर की रेट, खरीद के समय में फर्क, मेंटीनेंस की समयावधि से भी बढ़ जाती है रेट
  • 364 डायलिसिस मशीन व 182 आरओ सिस्‍टम हेतु निविदा आमंत्रित की गई

RNE, Network.

राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को उस वक्त हालात हैरान करने वाले हो गये जब भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री कालीचरण सर्राफ ने अपनी ही सरकार के चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर को डायलिसिस खरीद के मसले पर घेर लिया। सर्राफ ने इस मशीनों की खरीद के टैंडर से लेकर रेट तक पर सवाल उठाये। कहा, जो डायलिसिस मशीन कर्नाटक में 13.39 लाख, गुजरात में 15.25 लाख, केरल में 12.56 लाख, महाराष्ट्र में 11.49 लाख में खरीदी गई वो राजस्थान में 21.16 लाख में क्यों खरीदी गई।

हैरानी की बात यह है कि हालांकि यह डायलिसिस मशीन खरीद मामला पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल का है लेकिन मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर ने लगभग क्लीच चिट देते हुए खरीद की रेट राजस्थान में ज्यादा होने के कई संभावित कारण गिना दिये। इस सवाल-जवाब के दौरान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और विधायक गोविंदसिंह डोटासरा बोले तो विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी तैश में आ गये। संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने भी कार्रवाई की मांग उठा दी।

कालीचरण-गजेन्द्र सिंह के बीच यूं चले सवाल-जवाब :
विधायक कालीचरण सर्राफ का सवाल :

क्या पूर्ववर्ती सरकार के समय आरएमएससीएल द्वारा डायलिसिस मशीनें व एनीमिया कार्ड मंहगे दामों पर खरीदे गए थे? क्‍या खरीदे गए उपकरणों की जांच की गयी थी? जांच में कौन-कौन अधिकारी दोषी पाये गये एवं उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?

चिकित्सा मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर का जवाब :

पूर्ववर्ती सरकार के समय आरएमएससीएल द्वारा डायलिसिस मशीनें व एनिमिया कार्ड महंगे दामों पर नहीं खरीदे गये हैं। डायलिसिस मशीन व आरओ सिस्‍टम दिनांक 18.04.2023 को खूली निविदा के माध्‍यम से टर्न-की आधार पर 364 डायलिसिस मशीन व 182 आरओ सिस्‍टम हेतु निविदा आमंत्रित की गई। आरटीपीपी एक्‍ट 2012 व आरटीपीपी रूल्‍स 2013 के नियमों की अनुपालना सुनिश्चित करते हुए उपकरणों के क्रय से पूर्व उपकरणों की दरों का बाजार सर्वे करवाने के पश्‍चात दरें औचित्‍यपूर्ण पाये जाने के पश्‍चात दिनांक 04.10.2023 को LOA जारी किया गया।

एनीमिया कार्ड (सिकल सैल कार्ड):- दिनांक 27.09.2023 को खुली निविदा के माध्‍यम से 35 लाख सिकल सैल कार्ड हेतु निविदा आमंत्रित की गई। आरटीपीपी एक्‍ट 2012 व आरटीपीपी रूल्‍स 2013 के नियमों की अनुपालना सुनिश्चित करते हुए उपकरणों के क्रय से पूर्व उपकरणों की दरों का बाजार सर्वे करवाने के पश्‍चात दरें औचित्‍यपूर्ण पाए जाने के पश्‍चात दिनांक 11.12.2023 को LOA जारी किया गया।

खरीदे गये उपकरणों की तकनीकी समिति द्वारा भौतिक परीक्षण (डेमो) के माध्‍यम से उपकरणों की जांच करवाई गई एवं उपकरणों में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं पाई गई। जांच में कोई भी अधिकारी दोषी नहीं पाया गया।

उखड़े सर्राफ : ये गलत जवाब है, अधिकारियों ने लिखकर दिया आपने पढ़ दिया

मंत्री के जवाब पर असंतुष्ट होकर उखड़े सर्राफ ने पूरक प्रश्न से पहले तल्ख टिप्पणी की। कहा, ये गलत जवाब है, अधिकारियों ने लिखकर दिया और आपने पढ़ दिया। सर्राफ ने आंकड़े रखते हुए सवाल किया, जो डायलिसिस मशीन कर्नाटक में 13.41776 39 लाख, गुजरात में 15.25 लाख, केरल में 12.56800 लाख, महाराष्ट्र में 11.49 लाख में खरीदी गई वो राजस्थान में 21.19516 लाख में खरीदी गई!

टेंडर प्रक्रिया पर भी सवाल :

दूसरी जगह 12-13 लाख में मशीनें खरीदी जा रही है और राजस्थान में आप 21 लाख में खरीद रहे हो। फिर भी कह रहे हो दाम सही है। इसी तरह से टेंडर में तीन फार्म एक ही व्यक्ति की। तीनों का आपस में लेन-देन। उसमें से एक को टेंडर दिया। इतना ही नहीं टेंडर शर्तों में शिथिलता देने का प्रजेंटेशन टैंडर भरने से एक दिन पहले जिस फर्म ने दिया उसी को वर्क ऑर्डर दे दिया।

गहलोत सरकार में खरीद, भजनलाल सरकार में क्लीन चिट :

हैरानी की बात यह भी है कि बार-बार टेंडर खारिज होने के बाद गहलोत सरकार कार्यकाल के आखिरी दिनों में मशीनों की खरीद प्रक्रिया हुई। जिस फर्म को टेंडर नहीं मिला उसने सरकार की ओर से बनाई गई अथॉरिटी के सामने अपील की। इस अपील को 04 जनवरी 2024 को खारिज किया गया। मतलब यह कि भाजपा सरकार के गठन के बाद इस मामले में टेंडर पर शिकायत को आखिरी क्लीन चिट दी गई।

यूं चली टेंडर और खरीद प्रक्रिया

मंत्री खींवसर के जवाब के मुताबिक 364 डायलिसिस मशीन, आरओ प्लांट, एयर कंडीशनर, पलंग क्री प्रक्रिया आठ फरवरी 2022 को शुरू की गई। पहली बिड में कोई भी बिडर सही नहीं पाया गया। सब को डिस्क्वालिफाई किया गया। इसमें एक कंडीशन रखी गई थी कि मैन्यूफैक्चरर और इंपोर्टर का ही माल लिया जाएगा।
दूसरी बिड 23 अगस्त 2022 को हुई, इसमें डायलिसिस मशीन, आरओ, एसी और आईसीयू बैड सभी को एक साथ क्लब कर लिया गया। इसमें भी कोई बिडर नहीं आया।
तीसरी बिड 21 अक्टूबर 2022 को हुई इसमें मेन्यूफ़ेक्चरर, इंपोर्टर के साथ ही सबको बुला लिया। डायलिसिस मशीन, आरओ, एसी, आईसीयू बैड को रखा गया। इसके साथ ही तीनों बिड कैंसल हो गई।
चौथी बिड 18 अप्रैल 2023 को हुई। बाकी शर्तें पहले जैसी ही रही बस खरीद में से आईसीयू पलंग और एसी हटा दिये। इसमें दो फर्म ने पार्टीसिपेशन किया। अपरामया इंजीनियरमिग और दीवा फार्मास्युटिकल। इनमें से अपरामया को डील दी गई। दीवा के पेपर कंपलीट नहीं हेाने और पास्ट एक्सपीरियंस सही नहीं होने से बिड खारिज की गई।

जिस कंपनी की बिड खारिज हुई वह इसके खिलाफ अपील में गई। वहां से 11 दिसंबर 2023 को सैकंड अपील में गई। ये अपील 04 जनवरी 2024 को रिजेक्ट की गई। मतलब यह कि तब तक राजस्थान में भाजपा के भजन लाल सरकार आ चुकी थी।

मंत्री ने राजस्थान में महंगी खरीद के ये कारण गिनाये :

हो सकता है कि दूसरे राज्यों में हुई खरीद और राजस्थान की खरीद के समय में फर्क हो। मतलब यह कि यहाँ बाद में खरीदी हो तब तक रेट बढ़ गई हो।
मशीन में इंपोर्टेंट पार्ट होते हैं। फ़ॉरेन एक्स्चेंज में डॉलर की कीमत बढ़ जाने से भी रेट बढ़ सकती हैं
सारी मशीनें एक जैसी नहीं होती।
गारंटी-वारंटी और मेंटीनेंस की समयावधि का फर्क भी रेट पर पड़ता है।

हँगामा :

इस सवाल-जवाब के बीच ही कांग्रेस विधायक गोविंद डोटासरा खड़े होकर बोलने लगे। ऐसे में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी भी तैश में आ गए। कहा, नेता प्रतिपक्ष को हर सवाल में खड़ा होने का अधिकार है। आपको कोई अधिकार नहीं है।