शिक्षक बोले, मंत्री का निर्णय सही लेकिन जब भी तबादले हो तब ये ध्यान रखा जाए
आरएनई, बीकानेर।
राजस्थान में बैन हटते ही एक ओर जहां तबादलों की धूम मचने लगी है वहीं तबादलों की सर्वाधिक चहल-पहल वाले शिक्षा विभाग में मंत्री मदन दिलावर के एक आदेश के बाद सन्नाटा छा गया है। मंत्री दिलावर ने कहा है, ‘परीक्षाओं को देखते हुए शिक्षा विभाग में फिलहाल तबादले नहीं किये जाएंगे।‘ हालांकि इस आदेश से एकबारगी तबादला चाहने वाले सैकड़ों शिक्षकों में नाउम्मीदी जागी लेकिन जो कारण बताया गया है उससे शिक्षक भी सहमत है। अधिकांश शिक्षक संगठनों ने यह माना है कि अभी तबादले करना छात्रहित में उचित नहीं है। इसके बावजूद शिक्षक संगठनों ने ट्रांसफर में स्पष्ट और पारदर्शी नीति की जरूरत भी बताई है। शिक्षकों को आशंका है कि तबादलों में मनमानी या भेदभाव हो सकता है।
जानिये क्या कहते हैं शिक्षक नेता:
अभी तबादले टालने का निर्णय बहुत अच्छा: रवि आचार्य
राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रदेश मंत्री रवि आचार्य सबसे पहले शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के इस निर्णय का स्वागत करता हूं कि उन्होंने परीक्षा का समय देखते हुए फिलहाल तबादले करना टाल दिया है। शिक्षामंत्री और शिक्षक सभी का पहला कर्तव्य छात्रहित है। इस लिहाज से यह निर्णय बिलकुल उचित है। खुद शिक्षामंत्री ने कहा है कि वे परीक्षाएं खत्म होने के बाद तबादले करेंगे। जाहिर है कि शिक्षक हित और पारदर्शिता रखी जाएगी। इसके बावजूद हमारी मांग है कि स्पष्ट नीति के अनुरूप तबादले हों। जरूरत समझें तो इसके लिये शिक्षक संगठनों से विचार-विमर्श भी कर सकते हैं।
विधवा, परित्यक्ता, दिव्यांग को मिले प्राथमिकता: पांडे
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री महेन्द्र पांडे कहते हैं, जब परीक्षा सिर पर है और शिक्षा विभाग स्टूडेंट्स के लिए पढ़ाई के अतिरिक्त घंटे तय करने, क्वेश्चन बैंक जारी करने जैसे काम कर रहा है उस दौर में तबादले शुरू कर दिये जाते तो हर हाल में पढ़ाई और स्कूल सभी प्रभावित होते। ऐसे में अभी तबादले नहीं करने का निर्णय अच्छा है।रही बात तबादलों की तो यह सभी अच्छी तरह जानते हैं कि शिक्षा विभाग में तबादला चाहने वालों की संख्या सैकड़ों नहीं हजारों में हैं। इसकी वजह भी साफ है कि कोई स्पष्ट तबादला नीति, नियम नहीं है। तबादला नीति के साथ ही नियुक्ति के नियमों में भी कुछ ऐसे प्रावधान होने चाहिए कि शिक्षक को इच्छित जगह पोस्टिंग मिल जाएं और बाद में तबादले की जरूरत ही नहीं नहीं पड़े। फिलहाल बड़ी तादाद में तबादले चाहने वाले हैं। ऐसे में यह तय होना चाहिए कि सभी स्तर के तबादले हों। इसके साथ ही दिव्यांग, विधवा, परित्यकता, असाध्य रोगियों के तबादले उनके इच्छित स्थान पर प्राथमिकता से करने चाहिए।
गर्मी की छुट्टियों में हर साल तबादले करें: श्रवण पुरोहित
राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) के प्रदेश मंत्री श्रवण पुरोहित का कहना है, अभी तबादले नहीं होने चाहिए इस बात पर पूरी तरह सहमत हूं। इसके साथ ही यह भी तय होना चाहिए कि तबादले कब होने चाहिए। मेरा मानना है कि हर साल गर्मी की छुट्टियों में सरकार को यह काम करना चाहिए। उस वक्त स्कूलों में छुट्टी होती हैं। शिक्षक भी छुट्टी की अवधि में ही एक से दूसरी जगह ज्वाइन कर सकते हैं।दूसरी बात यह है कि तबादलों के लिए इतनी उत्सुकता क्यों हैं? इसका जवाब है शिक्षा विभाग की नीति। खासतौर पर थर्ड ग्रेड टीचर की बात करें तो पिछले 12 सालों में इस ग्रेड के दो बार तबादले हुए हैं। एक बार कांग्रेस सरकार के शासनकाल में वर्ष 2010 में और इसके आठ साल बाद भाजपा सरकार में 2018 में। ऐसे में अभी भी इस वर्ग के तबादले हुए छह साल बीत चुके हैं। जाहिर है इतनी लंबी अवधि में आवेदनों की भरमार हो जाती है। इस वर्ग के लगभग 2.25 लाख शिक्षक है। सरकार ने शाला दर्पण के माध्यम से अगस्त 2022 में जब तबादला आवेदन मांगें तो इनमें से 85 हजार से अधिक शिक्षकों ने अपने गृह जिले में जाने की इच्छा जताई थी।
मायने क्या है:
शिक्षक नेताओं के तथ्यों के आधार पर ही देखें तो लंबे समय तक तबादले नहीं होने ओर स्पष्ट ट्रांसफर पॉलिसी नहीं होने से ही तबादलों को लेकर इतनी उत्सकुता, भीड़ और मारामारी है। ऐसे में एक ओर जहां फिलहाल सभी संवर्ग के तबादले करने की मांग उठ रही है वहीं स्थायी नीति बनाने की मांग हमेशा से उठती ही रही है।