नागौर: सांसद बेनीवाल ने हाउसिंग बोर्ड की 27 बीघा जमीन पर भूमाफिया की तारबंदी पर सवाल उठाया
- बेनीवाल के मुद्दे को भाजपा नेताओं का भी मिल रहा साथ
- बेनीवाल की सीट खींवसर पर उपचुनाव होगा, भूमाफियाओं की दबंगई बन सकती है मुद्दा
RNE, Nagaur.
नागौर सांसद एवं आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के एक पत्र और ‘ट्विट’ ने राजस्थान की भजनलाल सरकार की चिंता बढ़ा दी है। मामला हाउसिंग बोर्ड की बेशकीमती जमीन पर हुई भूमाफियाओं की तारबंदी का है। इसके तार कहां तक जुड़े इस ओर भी बेनीवाल ने इशारा किया है। ऐसे में दबंगई और भ्रष्टाचार उस वक्त मुद्दा बन सकता है जब राज्य में पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें एक सीट खींवसर भी है जो हनुमान बेनीवाल के एमपी बनने से खाली हुई हैं। भाजपा यहां लगभग 2000 वोटों से चुनाव हारी थी। इसलिये उप चुनाव वाली पांच में से इस एक सीट पर जीत की उम्मीद ज्यादा हैं।
हाउसिंग बोर्ड प्लॉट देने के पैसे ले चुका, वहां भू-माफिया कर रहे कब्जा :
बेनीवाल ने लिखा है, नागौर शहर में ताऊसर रोड़ पर आवासन मंडल को आवंटित बेशकीमती 500 करोड़ रुपए से अधिक कीमत की जमीन पर भू -माफिया जबरन कब्जा कर रहे है और जिला प्रशासन ऐसे माफियाओं के आगे बेबस नजर आ रहा है। चूंकि उक्त भूमि पर राजस्थान आवासन मंडल ने भूखंड देने की योजना निकाल रखी है और लोगो ने आवेदन भी कर दिए जिसके एवज में आवेदन शुल्क भी लोगो ने जमा करवाया है।
सुप्रीम कोर्ट तक हाउसिंग बोर्ड के पक्ष में फैसला कर चुका :
आरएलपी सुप्रीमो का कहना है, इस भूमि पर वर्षो पूर्व लोगो ने अवैध रुप से नामांतरण करवाया लेकिन उस नामांतरण को जिला स्तर से लेकर हाईकोर्ट व माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने गलत नामांतरण करवाने वालों के खिलाफ अपना निर्णय दिया था। भू-माफियाओं ने अधिकारियों से व तत्कालीन अतिरिक्त जिला कलक्टर कुचामन सिटी कमला अलारिया से मिलीभगत करके इस जमीन के नामांतरण से जुड़ी पत्रावली को न्यायालय अतिरिक्त जिला कलक्टर,कुचामन सिटी में एक अपील के रूप में प्रस्तुत किया। दिनांक 16/01/2023 को ADM न्यायालय कुचामन सिटी ने भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को अंधेरे में रखकर भू माफियाओं को संरक्षित करने वाला जो निर्णय दिया उससे न्याय व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा होता है।
मुख्यमंत्री भजन लाल से बेनीवाल के सवाल :
मैं संवेंदनशील मुख्यमंत्री होने का दावा कर रहे भजनलालजी से पूछना चाहता हूं कि –
- 1- नागौर शहर में आवासन मंडल को आवंटित इस भूमि तथा इसके आस पास खाली पड़ी सरकारी भूमि पर भू – माफिया जबरन कब्जा लेने पर आमदा है,जिला प्रशासन नागौर की भूमिका संदेह के दायरे में है क्योंकि ऐसे प्रकरण में जिला प्रशासन को तत्काल स्वत: संज्ञान लेकर कब्जा करने वाले लोगो को बेदखल करने के जरूरत है मगर अतिक्रमण करने वालो का संरक्षण उपखंड अधिकारी नागौर और जिला प्रशासन नागौर द्वारा किया जा रहा है क्यों ?
- 2- तत्कालिन ADM कुचामन सिटी ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को दरकिनार करके 16/01/2023 को जो निर्णय इस मामले में दिया ,मेरा सवाल है की क्या तत्कालीन ADM कुचामन सिटी और तत्कालीन जिला प्रशासन के अधिकारी माननीय सुप्रीम कोर्ट से बड़े कैसे हो गए ?
- 3 -मामला नागौर शहर से जुड़ा है ऐसे में तत्कालीन कुचामन सिटी ADM ने उनके न्यायालय में इस मामले की सुनवाई कैसे की जबकि वो उनका क्षेत्राधिकारी भी नही था ?
- 4- तत्कालीन जिला कलक्टर नागौर ने उक्त मामले की पत्रावली किस विधिक आधार पर तथा किसके कहने से ADM कुचामन न्यायालय को प्रेषित की ?
रालोपा प्रमुख सांसद हनुमान बेनीवाल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को इस संबंध में पत्र लिखा है। साथ ही यूडीएच मंत्री व मुख्य सचिव को भी पत्र लिखकर मामले की गंभीरता को देखते हुए भू-माफियाओं के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर एसओजी से जांच करवाने की मांग की है।
ये है मामला
नागौर-ताऊसर रोड पर जमीन पर आवासन मंडल ने 188 मकान देने के नाम पर आवेदन लिए थे। उस जमीन पर पिछले 3 दिन में चारों तरफ गहरे गड्ढे खुदवाकर तारबंदी कर दी गई है। ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी A व B श्रेणी के मकानों के लिए 1300 से अधिक आवेदन किए गए थे। आवासन मंडल को इन आवेदनों के जरिए कुल एक करोड़ से रुपए से अधिक की राशि प्राप्त हुई थी।
ताऊसर रोड स्थित करीब 27 बीघा जमीन के मालिकाना हक से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में जीतने के बाद राजस्थान हाउसिंग बोर्ड ने मार्च-अप्रैल 2024 में लोगों को आवास आवंटित करने के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। इनमें मध्यम आय वर्ग-A के 58 व मध्यम आर्य वर्ग-B के 24 मकानों सहित आर्थिक दृष्टि से कमजोर आय वर्ग के 58 एवं अल्प आय वर्ग के 48 मकानों के लिए आवेदन मांगे गए थे।