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हरियालो उत्सव: जिस महिला कार्मिक-शिक्षिका के वार्डरोब में लहरिया नहीं, वे हाथोंहाथ बाजार निकली

RNE, NETWORK

राजस्थान में हरियाली के तीज के मौके पर कल होने वाले ‘हरियालो उत्सव’ में रिकॉर्ड पौधे लगाने की तैयारियों के बीच महिला कार्मिकों, शिक्षिकाओं की पेशानी पर बल पड़ गये हैं। यह चिंता सरकार के उस निर्देश से हुई है जिसमें महिला कार्मिकों-शिक्षकों को उत्सव में शामिल होने के लिए पाबंद करने के साथ ही एक खास ड्रेस में आने का निर्देश भी दिया गया है। जिन महिलाओं के वार्डरोब में सरकार की ओर से तय की गई ड्रेस नहीं है उन्हें हाथोंहाथ बाजार जाना पड़ रहा है।

मामला यह है:

दरअसल राजस्थान में कल यानी 07 अगस्त को हरियालो राजस्थान (एक पेड़ मां के नाम) कार्यक्रम वृहद स्तर पर हो रहा है। इसके लिए सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों, आम लोगों की भागीदारी तय की जा रही है। शिक्षा विभाग ने भी सभी शिक्षकों-कर्मचारियों को इसमें भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा है।

निदेशक आशीष मोदी ने इस संबंध में एक आदेश जभी जारी किया है। इस आदेश में जहां कार्यक्रम में मौजूदगी सुनिश्चित करने को कहा है वहीं कार्यक्रम के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं। इन्हीं में से एक गाइड लाइन यह है कि समस्त महिला कार्मिक और शिक्षिकाएं ‘लहरिया’ पहनकर कार्यक्रम में शिरकत करेंगी।

लहरिया है सावन की परंपरागत पोशाक:

लहरिया उस साड़ी या ओढ़नी को कहते हैं जिसमें खास लहरदार धारियां बनी होती है। यह राजस्थान में सावन या बारिश के सीजन में महिलाओं की ओर से पहनी जाने वाली पारंपरिक पोशाक है। इसलिये आमतौर पर महिलाओं के पास लहरिया होता ही है लेकिन धीरे-धीरे परंपरागत पोशाकों का प्रचलन कम होने और खासतौर पर कामकाजी महिलाओं के वार्डरोब में ऐसे कैजुअल विकल्प कम होने से महिला कार्मिकों को हाथोंहाथ इसका इंतजाम करना पड़ रहा है।

इस बीच यह तंज भी कसा जा रहा है ‘सरकार ने अगर ड्रेस कोड तय किया है तो उसके लिए बजट भी तय करना चाहिये और महिला कार्मिकों-शिक्षकों को सरकारी की ओर से ‘लहरिया’ मुहैया करवाया जाना चाहिए।’