HARYANA ELECTIONS : हॉट सीट पर कड़ा है मुकाबला, एन्टीनकम्बेंसी का भी असर
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हरियाणा की जो 5 हॉट सीट है उसमें एक है कुरुक्षेत्र की लाडवा सीट। कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में 4 विधानसभा सीटें है, उसमें से ये वो सीट है जिस पर 2019 में भाजपा को हार मिली थी। यहां कांग्रेस के मेवा सिंह चुनाव जीते थे। मगर उस समय कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट भाजपा ने जीती और यहां से सांसद बने राज्य के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी। जिन्हें मनोहरलाल खट्टर को हटाकर भाजपा ने सीएम बनाया।
इस बार राज्य में चुनाव सैनी के नेतृत्त्व में ही लड़ा जा रहा है। राजनीतिक क्षेत्र में पहले ये चर्चा थी कि सैनी करनाल सीट से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने लाडवा के लिए कभी रुची भी नहीं दिखाई। उसका अंदाजा इस बात से लग सकता है कि यदि पहले से इस सीट पर उनका लड़ना तय होता तो वे सीएम रहते कुछ खास घोषणाएं इस क्षेत्र के लिए करते। मगर उनको तो भरोसा था कि पार्टी करनाल से ही उन्हें लड़ायेगी, वहां के लिए घोषणाएं कर दी। पार्टी के दबाव में उनको लाडवा से उतरना पड़ा है।
जबकि ये विधानसभा सीट भी उनके संसदीय क्षेत्र में ही आती थी। मगर सांसद रहते हुए इस सीट पर उनकी सक्रियता कम रही थी। इस बार भाजपा ने उनको इस सीट से इसलिए उतारा है क्यूंकि भाजपा हारी हुई सीट जीतना चाहती है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हरियाणा में चुनाव प्रचार की शुरुआत कुरुक्षेत्र से ही की है।
मुख्य मुकाबला भाजपा – कांग्रेस में
भाजपा ने लाडवा से भले ही सीएम को उतारा है मगर उनको इस सीट पर वाक ओवर नहीं मिला है। उनके सामने वर्तमान विधायक मेवा सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार है, जो विपक्ष में रहते हुए पिछले कार्यकाल में सक्रिय रहे हैं। वे सैनी को कड़ी टक्कर देंगे।
लाडवा सीट का इतिहास
परिसीमन के बाद बनी इस सीट पर 4 चुनाव हुए हैं। जिसमें भाजपा 1 बार ही जीत पाई है। 2019 के चुनाव में भाजपा ने पवन सैनी को उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने मेवा सिंह को। मेवा सिंह ने 12 हजार से अधिक वोटों से पवन सैनी को हराया। 2014 का चुनाव पवन सैनी भाजपा से 3000 से कुछ अधिक वोटों से जीते थे।
वोटों का गणित
लाडवा विधानसभा सभा मे सबसे अधिक वोट जाटों के है और उससे थोड़े कम सैनी समाज के है। बाकी अन्य जातियां है। सैनी वोट की बहुलता को देखते हुए ही भाजपा ने यहां सीएम नायब सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जिन्होंने पूरे दमखम से अपना पर्चा लवाजमे के साथ दाखिल किया था।
नफा – नुकसान इस तरह
भाजपा – नफा
- नायब सिंह सैनी का सीएम होना।
- सैनी वोट बड़ी संख्या में होना।
- सांसद रहते किये कामों की दुहाई।
- सीट से विधायक नहीं सीएम चुनने का अवसर।
भाजपा – कमियां
- एन्टीनकम्बेंसी का असर
- किसान आंदोलन से नाराजगी
- क्षेत्र में सक्रिय न रहना
- महंगाई, बेरोजगारी।
कांग्रेस – नफा
- कांग्रेस के पक्ष में राज्य का माहौल
- मेवा सिंह की 5 साल सक्रियता
- किसान, जवान, पहलवान की नाराजगी का लाभ
- महंगाई, बेरोजगारी से परेशान लोगों का साथ
कांग्रेस – नुकसान
- सामने सीएम का उम्मीदवार होना
- कांग्रेस की भीतरी कलह
- संगठन का ढांचा मजबूत नहीं
- अन्य उम्मीदवारों की वोट कटिंग
चुनाव की स्थिति
लाडवा में इस बार भले ही सीएम सैनी चुनाव लड़ रहे हों मगर मुकाबला कांटे का है। कांग्रेस संभावित राज की उम्मीद में उत्साहित है तो भाजपा को किसान आंदोलन, अग्निवीर से घाटा उठाना पड़ रहा है। 10 साल के भाजपा शासन के कारण स्वाभाविक सत्ता विरोध भी है। अब मतदाता जो कम मुखर है, वो क्या फैसला लेता है, उसका अंदाजा अभी लगाना मुश्किल है।