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स्वास्थ्य विभाग ने शुरू किया जागरूकता सप्ताह, संक्रमण से बचाव और एएमआर रोकथाम के लिए कार्यशालाओं का आयोजन

RNE Bikaner.

बिना डॉक्टर की सलाह के बार-बार एंटीबायोटिक दवाएं लेना सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। यह आदत एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) का कारण बन सकती है, जिससे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पैरासाइट्स पर दवाओं का असर खत्म हो जाता है। इस समस्या को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने आमजन को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस अवेयरनेस वीक की शुरुआत की है, जो 18 से 24 नवंबर तक चलेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की थीम के तहत सोमवार को स्वास्थ्य भवन परिसर में नीले बैलून छोड़कर जागरूकता सप्ताह का शुभारंभ किया गया। इस दौरान सीएमएचओ डॉ. राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक उपयोग से एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस की समस्या गंभीर रूप ले रही है। डब्ल्यूएचओ के शोध के अनुसार, 2019 में एएमआर के कारण करीब 12 लाख 70 हजार मौतें हुईं।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि जब किसी संक्रमण के इलाज के लिए बार-बार और जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक दवाएं ली जाती हैं, तो शरीर उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। इससे संक्रमण का इलाज मुश्किल हो जाता है और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

सप्ताह के दौरान होंगे जागरूकता कार्यक्रम

जिला आईडीएसपी प्रभारी डॉ. उमाशंकर यादव ने जानकारी दी कि जागरूकता सप्ताह के दौरान डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और फार्मासिस्ट के लिए विशेष कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। साथ ही आमजन को एंटीबायोटिक दवाओं के अनर्गल उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया जाएगा।

क्या है एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस?

डॉ. गुप्ता ने बताया कि एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) वह स्थिति है, जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और दूसरे पैरासाइट दवाओं के प्रभाव से बचने के लिए खुद को बदल लेते हैं। इससे एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं अप्रभावी हो जाती हैं। इस स्थिति में संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है, जिससे गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग ने अपील की है कि आमजन दवाओं का अनावश्यक उपयोग बंद करें और संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखें। जागरूकता ही इस समस्या का समाधान है।

इस मौके पर डिप्टी सीएमएचओ (परिवार कल्याण) डॉ. योगेंद्र तनेजा, जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश जनागल, प्रदीप कुमार चौहान, पुनीत रंगा, मोनिका शर्मा, इमरान खान, दिनेश श्रीमाली, अजय भाटी, गिरधर गोपाल किराडू, दाऊ लाल ओझा और नर्सिंग स्टाफ के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।