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अजय अर्जुन का चुनावी जीत का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा

आरएनई, बीकानेर।
विधानसभा चुनाव में बीकानेर की 7 में से 6 सीटों पर हारने के बाद हताश हुई कांग्रेस अभी तक हताशा से उबर नहीं पाई है। तीनों मंत्री चुनाव हार गये और वो बड़े भी अंतर से। जिले के इन दिग्गज नेताओं की हार से कांग्रेस का पस्त होना लाजमी भी है। दिग्गज नेता डॉ बी डी कल्ला, चुनाव केम्पेन कमेटी के अध्यक्ष व काबीना मंत्री गोविंद मेघवाल व ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी चुनाव हार गये। इसके अलावा कांग्रेस बीकानेर लोकसभा चुनाव भी लगातार चार बार हार चुकी है। हर बार नया प्रयोग मगर हार का अंतर बढ़ता ही गया। तीन चुनाव तो केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल लगातार जीत चुके हैं। अब तक तो वो अजेय रहे हैं। पहला चुनाव 25 हजार से भी कम से जीता। दूसरा डेढ़ लाख से अधिक तो तीसरा इससे दुगुने से भी अधिक। इस कारण अब तक अजेय हैं। उनके सामने अब तक कांग्रेस टक्कर का उम्मीदवार उतार नहीं पाई है, इसलिए भाजपा भी उनकी जीत को लेकर आश्वस्त है।
बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें है, उसमें से 6 ग्रामीण इलाके की है। हालांकि अनूपगढ़ जिला बन गया मगर अभी तक बीकानेर संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा है। कांग्रेस की ग्रामीण राजनीति पर पकड़ किसान नेता रामेश्वर डूडी की है। वे दो बार जिला प्रमुख, एक बार सांसद व एक बार नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। इन दिनों वे अस्वस्थ हैं और विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाये। उनकी जगह उनकी धर्मपत्नी सुशीला डूडी लड़ी और वे चुनाव जीती। उनकी कमी का असर व नुकसान भी कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। इस कारण भी कांग्रेस कार्यकर्ता हताश है।
बीकानेर लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार की रायशुमारी के लिए कुछ दिन पहले जब रंधावा, डोटासरा व जुली बीकानेर आये तो बहुत कम कार्यकर्ता जुट पाये थे। जिस पर पीसीसी चीफ डोटासरा ने अपने संबोधन में नाराजगी जताई। यहां तक कह दिया कि जो लोग नहीं आते और पदों पर बैठे हैं उनको मुक्त कर दो। पीसीसी को उनकी पूरी रिपोर्ट भेजो। वे बहुत नाराज हुए थे।
डोटासरा की बात को देहात कांग्रेस अध्यक्ष व डूडी के निकटस्थ बिसनाराम सियाग ने चुनोती के रूप में लिया। दुबारा कार्यकर्ता संवाद आज यानी 27 फरवरी को रखा है। आज ही स्व रामकिशन सियाग की स्मृति में बड़ा रक्तदान शिविर भी है। इस बार देहात अध्यक्ष सियाग ने सम्मेलन से पूर्व हर ब्लॉक में बैठकें की है और सबको सक्रिय किया है। वे पूरा शक्ति प्रदर्शन तीनों वरिष्ठ नेताओं के सामने करेंगे। इस काम में उनके साथ नोखा विधायक सुशीला रामेश्वर डूडी भी लगी हुई है। भीड़ व कांग्रेस कार्यकर्ता तो सियाग, सुशीला जी जुटा लेंगे, पर क्या रंधावा, डोटासरा व जुली इन कार्यकर्ताओं में जान फूंक पायेंगे। हताशा से बाहर ला पायेंगे। बड़े नेताओं को क्या सक्रिय कर पायेंगे। ये ही बड़ा सवाल है। क्योंकि अभी तक टिकट भी तय नहीं है। रामेश्वर डूडी ने अपने दम पर मोडाराम मेघवाल को जिला प्रमुख बनाया था, वे भी टिकट के दावेदार है। अब टिकट तो दिल्ली से तय होगा मगर वोट तो कार्यकर्ता लायेंगे, उनको सक्रिय करना बड़ा काम है। क्योंकि ये नहीं हो सका तो अर्जुन के रथ को रोकना बड़ा मुश्किल होगा।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘