दावा : प्रसूताओं-गर्भवतियों की मौतों में बड़ी गिरावट आई
- वर्ष 2022-23 में एक लाख प्रसूताओं में से 99 की मौत
- वर्ष 2023-24 में मौतों का आंकड़ा प्रति लाख 66 हो गया
- 2022-23 में जिले में 55 मातृ मृत्यु दर्ज
- 2023-24 में घटकर 34 रह गई मातृ मृत्यु
RNE Network.
बीकानेर जिला और स्वास्थ्य प्रशासन ने दावा किया है कि यहां मातृ मृत्युदर के मामलों में जबर्दस्त कमी आई है। मतलब यह कि प्रसव के दौरान और उसके बाद होने वाली महिलाओं के मौतों की तादाद घट गई है। अगर यह दावा पूरी तरह जमीनी है तो काफी सुकूनदायी है।
जानिए क्या है प्रशासन का दावा :
सीएमएचओ डॉक्टर राजेश गुप्ता ने दावा किया है कि बीकानेर जिले में जिला प्रशासन तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सतत प्रयासों से मातृ मृत्यु दर में आमूल चूल गिरावट दर्ज हुई है। वर्ष 2022-23 में जहां प्रति एक लाख जीवित जन्म पर 99 प्रसूताओं की मृत्यु हो जाती थी, वर्ष 2023-24 में यह संख्या घटकर 66 रह गई है। संख्या की बात करें तो 2022-23 में जिले में 55 मातृ मृत्यु दर्ज की गई थी, जो वर्ष 2023-24 में घटकर 34 रह गई। वर्तमान वर्ष के दो माह में मात्र दो मातृ मृत्यु ही दर्ज हुई है।
इन प्रयासों से पाया यह लक्ष्य :
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि द्वारा मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता से मॉनिटर किया जा रहा है।
पहले हर महीने की 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता था।
अब हर महीने 9, 18 तथा 27 तारीख को सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाने लगा है।
इस दिन सभी गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच चिकित्सक द्वारा की जाती है।
हाई रिस्क प्रेग्नेंट महिलाओं की अलग से सूची तैयार होती है।
सुरक्षित प्रसव का प्रबंधन व योजना भी इस अभियान के अंतर्गत बनाई जाती है।
बीकानेर में नवाचार करते हुए जनता क्लीनिक पर भी प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन शुरू किया गया है।
एनीमिया मुक्त राजस्थान अभियान ने बढ़ाया हीमोग्लोबिन
डॉ गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार के एनीमिया मुक्त राजस्थान अभियान के अंतर्गत किशोरियों व गर्भवतियों के हीमोग्लोबिन स्तर को ऊपर लाने के लिए बेहतरीन प्रयास हुए हैं। इसका परिणाम यह रहा कि गत वर्ष 7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन वाली महिलाओं की संख्या 4 हजार 373 थी जो वर्ष 2023-24 में घटकर मात्र 2 हजार 467 रह गई। आयरन की शक्ति के साथ गर्भवती की प्रसव के समय रिस्क की गुंजाइश भी बहुत कम हो जाती है। प्रसव के समय कॉम्प्लिकेशन से यदि रक्तस्राव अधिक भी हो जाए तो भी मातृ मृत्यु नहीं होती क्योंकि हीमोग्लोबिन का स्तर अच्छा होता है।
मॉनिटरिंग से सेवाएं हुई दुरुस्त :
राज्य सरकार के प्रमुख अभियानों में शामिल सघन निरीक्षण अभियान ने भी मातृ मृत्यु कम करने में बड़ा योगदान दिया है। सरकार द्वारा प्रत्येक अस्पताल का प्रतिमाह बार-बार औचक निरीक्षण अभियान चला कर जांच करवाई गई। इससे चिकित्सकों व अन्य स्टाफ का मुख्यालय पर ठहराव बढ़ा है, लेबर रूम, लेबर टेबल, साजो सामान, आवश्यक दवाइयां की उपलब्धता, परिवहन व्यवस्थाएं, जननी सुरक्षा योजना आदि सभी बिंदुओं पर स्वास्थ्य केंद्र बेहतर हुए हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र में ही सामान्य प्रसव सुविधाओं का विस्तार हुआ है। यही नहीं रेफरल सेवाएं भी सुदृढ़ हुई है जिससे मातृ मृत्यु को नीचे लाने में बड़ी मदद मिली है।
संस्थागत प्रसव बढ़ा, होम डिलीवरी ना के बराबर :
जिले में वर्ष 2022-23 में 50,715 संस्थागत प्रसव हुए वहीं 2023-24 में 52,135 संस्थागत प्रसव हुए हैं। इसी कारण घर पर प्रसव की संख्या 161 से घटकर मात्र 8 रह गई। सुरक्षित संस्थागत प्रसव ने मातृ मृत्यु दर को नीचे लाने में बड़ा योगदान दिया है।
प्रयासों के लिए साधुवाद, दावों पर इसलिए संदेह :
प्रशासन के जिन प्रयासों की बात हुई हैं निसंदेह वे सही तरीके से क्रियान्वित होते हैं तो लक्ष्य मिलना कठिन नहीं। इससे इतर बीते दिनों जिस तरह की जानकारियाँ सामने आई, उसको देखकर लगता है प्रशासन के इन दावों को एक बार क्रॉस चेक कर पुष्टि भी करनी चाहिए। वजह, बीकानेर में पिछले दिनों सरकार ने ही डेंगू-मलेरिया के आंकड़ों पर संदेह जताया था। बीते साल की ही बात करें तो प्रसवपूर्व जांच के आंकड़ों पर सवाल उठा था। बड़ी तादाद में एक-दो जांच के बाद गर्भवतियों की जानकारी ही नहीं मिल पाई थी। ऐसे में जब प्रसव पूर्व जांच के लिए रजिस्टर्ड महिलाओं के प्रसव और उसके बाद की पूरी जानकारी यदि संदेह में रहती है तो मौत के आंकड़े कितने प्रामाणिक हो सकते हैं यह विचार का विषय है।