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जनरंजन : कांग्रेस में गहलोत तो भाजपा में राजे – दिया की एंट्री, बदल रहे राजनीतिक समीकरण

RNE, BIKANER

राजनीति बड़े ही उतार चढ़ाव का खेल है, कब किसका पलड़ा भारी हो या कब कौन पर्दे के पीछे से सामने आ जाये, इसका अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है। सियासत को इसी कारण शतरंज का खेल माना जाता है। इसमें जितना बोलने का असर होता है, उससे कहीं अधिक न बोलने का भी मोल होता है। राजस्थान के दोनों राजनीतिक दल, कांग्रेस व भाजपा, के नेताओं के बीच यही खेल चलता दिख रहा है। जो जनता के लिए काफी रोचक तो है ही, साथ ही राजनीतिक समय को भी समझने का भी अवसर देता है।
बात पहले कांग्रेस की। इसमें पिछले 4 साल से सीधे सीधे दो धड़े दिखते हैं। एक पूर्व सीएम अशोक गहलोत का तो दूसरा पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का। जब पार्टी की सरकार थी तब टकराहट शुरू हुई। कई हाईवोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामा हुए। आलाकमान को भी बहुत कुछ सहना पड़ा, क्योंकि वो दोनों में से किसी को भी खोना नहीं चाहती थी। सचिन को कांग्रेस सीडब्ल्यूसी का सदस्य व महासचिव बना छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया। दोनों कांग्रेस में अब भी बरकरार है।

गहलोत के नेतृत्त्व में पार्टी विधानसभा चुनाव हारी तो उनको झटका लगा। लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने बेटे को चुनाव लड़ाया तो वे सिमट गये। उस समय सचिन स्टार प्रचारक बन देश भर में घूमे। गहलोत के पुत्र चुनाव हार गये और सचिन ने जिनको टिकट दिलवाया, वे जीत गये। पायलट उभरे तो जो पहले गहलोत के साथ थे, अब उनके साथ खड़े दिखे।
तीन महीने तक गहलोत बेड रेस्ट पर रहे, डिस्क की तकलीफ के कारण। दिल्ली भी नहीं गये।

अशोक गहलोत चले दिल्ली

सचिन ने इस अवधि में जमकर बैटिंग की। पार्टी ने उनको जम्मू कश्मीर चुनाव के स्टार प्रचारकों की सूची में भी रखा। वहां भी गहलोत नहीं थे।गहलोत के कुछ ठीक होने की खबरें साया हुई तो हरियाणा के लिए स्टार प्रचारकों में सचिन व उनका, दोनों का नाम भी था। फिर गहलोत 4 दिन पहले दिल्ली गये, नेताओं से मिले। पार्टी ने उनको हरियाणा के लिए मुख्य ऑब्जर्वर बनाया। लगा, फिर अपनी अहमियत को उन्होंने स्थापित किया है। अब आगे क्या रहता है, ये समय बतायेगा।

अब बात भाजपा की। भाजपा की राज्य की कद्दावर नेता व पूर्व सीएम वसुंधरा राजे लोकसभा चुनाव के समय अपने पुत्र के संसदीय क्षेत्र को छोड़कर कहीं भी नहीं गई। उन्हें सीएम नहीं बनाया गया। एक तरह से वे किनारे पर थी। उन्होंने बोलकर कुछ झटका दिया। उनके पद – कद – मद, अंगुली पकड़ चलाना और पीतल की कील के बयानों ने हड़कम्प मचा दिया। हरियाणा के लिए जब पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की तो उसमें राजे का नाम था। एक बार फिर वे मुख्य धारा में आ गई। ये परिवर्तन ही माना जाना चाहिए।

लेकिन स्टार प्रचारकों की सूची में राज्य से जो नया नाम आया, वो चकित करने वाला था। पहले इस भूमिका में उनको कभी नहीं देखा गया। इस नाम से कई राजनीतिक कयास भी चल पड़े हैं। ये नाम है डिप्टी सीएम दिया कुमारी का।

उनको पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सूची में रखा है। तब से सवाल उठ गया कि पार्टी कोई अलग तरह का संकेत व संदेश तो नहीं दे रही। सवाल जिंदा है मगर जवाब भविष्य के गर्भ में है। मगर इतना तो तय है कि राज्य की कांग्रेस व भाजपा के भीतर बहुत कुछ चल रहा है, जिसे नेपथ्य से सामने आने में अभी समय लगेगा



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।