Skip to main content

Karnataka High Court : “मोदी को वोट…” लिखे शादी कार्ड मामले में FIR पर रोक!

“मोदी को वोट..” लिखी कुमकुम पत्रिका बांटने वाले के खिलाफ एफआईआर पर रोक

Karnataka High Court : “मोदी को वोट…” लिखे शादी कार्ड के मामले में FIR पर रोक लगाई

RNE Network.

‘शादी में आप मुझे जो उपहार देंगे, वह नरेंद्र मोदी के लिए वोट है’ कुछ एस ही मैसेज लिखे शादी के कार्ड बांटने के मामले में karnataka High Court ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर पर रोक लगाई हाई। आरोपी शिवप्रसाद पर शादी का निमंत्रण भेजने के लिए मामला दर्ज किया गया था, जिसमें लिखा था, “मोदी को वोट देना मेरी शादी का उपहार है।”

इस मामले में न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने अंतरिम स्थगन आदेश पारित किया और कर्नाटक सरकार तथा मामले में मूल शिकायतकर्ता एक मतदान अधिकारी को नोटिस जारी कर दक्षिण कन्नड़ जिले के निवासी शिवप्रसाद द्वारा दायर याचिका पर जवाब मांगा है। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी पर “अजीब अपराध” का मामला दर्ज किया गया है।

“Bar and Bench” की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने शिवप्रसाद के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाते हुए कहा, “याचिकाकर्ताओं/आरोपियों पर एक अजीब अपराध का आरोप है। पहले याचिकाकर्ता ने अपनी शादी का निमंत्रण कार्ड छपवाया और एक पोस्टस्क्रिप्ट छपवाई, जिसमें लिखा था, ‘शादी में आप मुझे जो उपहार देंगे, वह नरेंद्र मोदी के लिए वोट है।’ इसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127 ए के तहत अपराध कहा गया है। ”

दरअसल इस वर्ष 25 अप्रैल को चुनाव अधिकारी संदेश के.एन. द्वारा शिवप्रसाद के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने उनके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा) तथा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 127ए के तहत मामला दर्ज किया था।

अधिवक्ता विनोद कुमार के माध्यम से दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनका निमंत्रण कार्ड इस वर्ष 1 मार्च को छपा था, जो 2024 के संसदीय चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागू होने से काफी पहले का समय था।

दूसरी ओर याचिकाकर्ता ने कहा कि चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कार्यक्रमों की तिथि 16 मार्च को घोषित की और प्रतिवादी चुनाव अधिकारी ने इसके करीब एक महीने बाद 19 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने अदालत को बताया कि चुनाव अधिकारी की शिकायत के बाद मजिस्ट्रेट अदालत ने बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए और बिना कोई विवेक प्रयोग किए याचिकाकर्ता और बालकृष्ण ए. के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दे दी। बालकृष्ण ए. उस एजेंसी के मालिक हैं जिसने शिवप्रसाद की शादी के निमंत्रण कार्ड छापे थे।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि आरपी अधिनियम केवल तभी लागू होता है जब आचार संहिता लागू हो। उन्होंने आगे कहा कि मजिस्ट्रेट दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों का पालन करने में विफल रहे और इस प्रकार, उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर “कानून की दृष्टि से गलत” थी। इस मामले की अगली सुनवाई इस वर्ष 12 दिसंबर को होगी।