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Inspirational village : हरियाणा-राजस्थान सीमा का ऐसा गांव, जहां आज तक किसी व्यक्ति पर अपराधिक मामला नहीं 

150 साल पहले राजस्थान से आकर परिवार बसा था हरियाणा में 
 

नेशनल हाईवे 709 ई पर स्थित राजस्थान सीमा से सटी ग्राम पंचायत ढाणी श्यामा की अपनी गौरव गाथा है। गांव के बहुत से लोग सरकार के बड़े-बड़े पदों पर आसीन हुए हैं। यही गांव की पढ़े लिखे होने का प्रमाण है। यही नहीं गांव में अभी तक किसी भी व्यक्ति पर किसी प्रकार का कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है। यह इस बात की ओर संकेत करता हैं गांव में छोटे मोटे मामले आपसी सहमति से पंचायत में ही सुलझा लिए जाते हैं।

आज गांव में न तो किसी व्यक्ति पर आपराधिक आरोप है और न ही कोई लंबित मुकदमा यह अपने आप में एक दुर्लभ उदाहरण है। इस बार पहली बार अलग पंचायत बनने के बाद पूरी पंचायत को सर्वसम्मति से चुना गया है। पंचायत के बुजुर्ग और पंच मिलकर निष्पक्ष फैसला सुनाते हैं, जिसे दोनों पक्ष मानते हैं। गांव में एक प्राचीन मंदिर है जिसमें गांव के सभी लोगों की आस्था है व्रत त्योहार पर गांव के लोग मंदिर में आस्था के साथ पूजा अर्चना करते हैं। 

उल्लेखनीय है हुणताराम डीडवाना के रहने वाले थे। उनके पुत्र गोपीराम हुए वह भी डीडवाना राजस्थान रहते थे। गोपीराम के तीन पुत्र रामनाथ, श्योजीराम और श्यामा राम हुए वे भी डीडवाना रहते थे। श्यामा राम अपने भतीजों साथ करीब 150 वर्ष पहले लोहारू आकर बस गए। कुछ वर्ष रहने के बाद तत्कालीन लोहारू नवाब अमीनुद्दीन के साथ झगड़ा हो गया। जिसके वजह से दोबड़ा राजस्थान जाकर बस गए। 

कुछ दिन बाद नवाब से झगड़े की सुलह होने के बाद वापस आ गए और श्यामा राम के नाम से अपने भतीजों के साथ गांव बसा लिया। श्यामा राम उस समय बडगुजर और गुरावां परिवार को अपने साथ लेकर आए थे। श्यामा राम के भांजे भाठोलिया परिवार को मावंडा राजस्थान से लेकर ढाणी श्यामा बसा लिया।

इसके बाद भाठोलिया परिवार ने अपने भांजों को जाखोद से लाकर ढाणी श्यामा बसा लिया। उस समय गांव में आजीविका का प्रमुख संसाधन खेतीबाड़ी था। समय परिवर्तन के साथ-साथ गांव के लोगों ने शिक्षा का अपना प्रमुख जरिया बनाया। गांव के युवाओं ने पढ़ाई में मेहनत की जिसके चलते गांव में आरटीए, एवं डीएसपी के पदों तक पहुंचे। 

सरकार नौकरी व महानगरों में युवा कर रहे व्यापार 

आज गांव के करीब तीन दर्जन से अधिक युवा सरकारी सेवाओं में हैं और बहुत से युवाओं ने व्यवसाय को अपनाया जो आज असम, जयपुर, सिलीगुड़ी, चेन्नई, पुणे जैसे शहरों में व्यापार कर रहे हैं। यहां का हर निवासी जानता है कि कोई मामला सुलझाना है तो पहले अपने गांव में हल निकालना होगा। 

उन्होंने बताया कि जब गांव को बसाया गया था तब केवल चार-पांच घर थे, जंगल से घिरा इलाका था। आज गांव में बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन भी यहां की सबसे बड़ी पूंजी शांति व सद्भाव है।

पंचायत का लेखा-जोखा

जनसंख्या: 1054
साक्षरता दर : 98%
जिला मुख्यालय से दूरी: 64 किमी
कनेक्टिविटी: स्टेट हाइवे 25 से जुड़ा है
पहचानः गांव में एकता की भावना
प्रमुख उत्पादन: गेहूं,
सरसों, बाजरा, कपास
आयका प्रमुख स्रोत: कृषि एवं पशुपालन।