Google मना रहा "जश्न-ए-इडली" : Doodle में आज IDLI का फोटो
Updated: Oct 11, 2025, 16:55 IST
RNE WebWorld.
Idli (इडली) यूं तो साउथ इंडियन डिश है लेकिन India ही नहीं दुनियाभर में इडली के शौकीन रहते हैं। हजारों लोग ऐसे हैं जो दीवानगी की हद तक इडली खाना पसंद करते हैं। इडली की लोकप्रियता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि Google ने आज यानी 11 अक्टूबर अपना Doodle इडली को समर्पित कर दिया है। डूडल वह चित्र है जिससे मिलकर इस सर्च इंजन का नाम बनता है। खास मौकों पर गूगल अपना यह डूडल खास चीजों को समर्पित करता है।
आज गूगल ने केले के पत्ते पर इडली बनाने की पूरी प्रक्रिया सजाकर डूडल बनाया है। इसमें उरद की दाल, चावल, इडली बनाने का सांचा, पकी हुई इडली, इसके साथ सांभर, नारियल चटनी, लाल चटनी आदि शामिल है।
तो क्या South Indian डिश नहीं है Idli :
गूगल के इस डूडल के साथ ही इडली के उत्पतिस्थल को लेकर भी जानकारियाँ सामने आने लगी है। दावा किया जा रहा है कि जिस Idli को South Indian डिश माना जा रहा है वह इंडोनेशिया से 7वीं से 12 शताब्दी में आई। Wikipedia सहित अन्य स्रोत कहते हैं कि इंडोनेशिया के हिन्दू राजा जब भारत आते तो अपने हलवाइयों को साथ लाते। वहीं से ये व्यंजन आया है।
10वीं शताब्दी के कन्नड ग्रन्थों में उल्लेख :
दूसरी ओर 10वीं शताब्दी के कन्नड ग्रन्थों में Idli का उल्लेख होने की बात भी सामने आ रही है। बताया जाता है कि इसका उल्लेख शिवकोटि आचार्य के कन्नड़ लेख में हैं। उसमें कहा गया है कि इडली उड़द की दाल के ऐसे घोल से बनती है जो किण्वित (जिसे आम बोलचाल में खमीर उठना कहते हैं) यानि फरमेंटेड हो।
सांभाजी की दाल ने दिया इडली में "सांभर" का साथ :
यहां एक दिलचस्प बात यह भी है कि इडली का उद्गम स्थल भले ही विवादित हो लेने इसका साथ देने वाली सांभर शुद्ध भारतीय है और शिवाजी महाराज के पुत्र महाराज सांभाजी की देन हैं। पहली बार सांभर बनने का भी एक खास वाकया है। कहा जाता है कि सांभाजी तंजावुर (Thanjavur) गए तो उनके लिए मूंग दाल बनानी थी वो नहीं थी। इतना ही नहीं इसमें खटाई के लिए "कोकम" डाला जाता था वो भी नहीं था। ऐसे में तुअर की दाल पकाई गई और इसमें सब्जियाँ डालने के साथ ही खटाई के लिए इमली डाली गई। यह दाल सांभाजी को इतनी पसंद आई कि इसका नाम भी उन्हीं के नाम पर सांभर हो गया।
बनती कैसे है इडली :
इडली का नाम लेते ही जेहन में तस्वीर बनती है सफेद, नरम, फूली हुई डिश और इसके साथ गरम सांभर और नारियल की चटनी। यह जितनी स्वादिष्ट है उतनी ही पौष्टिक भी। यही वजह की अन्तरिक्ष में ले लाने के लिए सबसे पहले भारतीय व्यंजन पर विचार हुआ वह इडली ही है।
इडली बनाया हालांकि आसान है लेकिन अच्छी इडली बनाने के लिए जितनी जरूरत सामग्री की होती है उतनी ही धैर्य की भी। वजह, पूरी तरह खमीर उठी हुई इडली बनाने के लिए 12 से 15 घंटों तक का समय लग जाता है।
इडली बनाने के लिए चावल और छिलके उतरी हुई उड़द की दाल लें। इन्हें एक साथ या अलग-अलग जैसा चाहें भिगोकर रख दें। दिन का समय और गर्मी हो तो लगभग छह घंटे और रात को भिगोते हैं तो पूरी रात भीगने दें।
इसके बाद इन्हें मिक्सी में दरदरा पीस लें। इस घोल को भी पाँच से छह घंटे खमीर उठने के लिए रख दें।
इसके बाद इडली के सांचों को हलका चिकना कर उसमें घोल भरें। पकने पर उतारें और सांभर, नारियल की चटनी के साथ परोसें।