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चार-पांच परिवार पूरा मीडिया मैनेज कर रहे, भारतीय मूल्यों की हो रही अनदेखी

विश्व संवाद केंद्र मे मीडिया की दशा और दिशा पर हुआ मंथन : 

आरएनई, मूण्डवा। 

विश्व संवाद केंद्र, जोधपुर द्वारा एक दिवसीय मीडिया अधिवेशन संपन्न हुआ। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग के सभागार में आयोजित हुए इस अधिवेशन में तीन चर्चा सत्र के साथ प्रश्नोतर व जिज्ञासा समाधान हुआ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचार प्रमुख बालकिशन ने बताया कि इस अधिवेशन के प्रथम सत्र के वक्ता भारतीय नीति प्रतिष्ठान के निदेशक कुलदीप रत्नू ने कहा कि पूरे विश्व के चंद लोगों के द्वारा मुश्किल से चार पांच परिवार के लोगों के द्वारा मीडिया को मैनेज किया जा रहा है। वो लोग ही तय करते हैं कौनसी फिल्म बनेगी, कौनसा धारावाहिक बनेगा, किस प्रकार का टैलेंट हंट शो चलेगा, किस प्रकार के विज्ञापन बनेगा और चलेगा।

भारत की सुदृढ़ संयुक्त परिवार की व्यवस्था को तोड़कर व्यक्तिवादी समाज खड़ा किए जाने का षडयंत्र चल रहा है। भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की सर्व ग्राह्यता और सर्वसमावेशी विचारधारा को खंडित करने का प्रयास किया जा रहा है। भारतीय भाषाओं का मीडिया आज भी अंग्रेज़ी मीडिया की तुलना में अधिक पाठक संख्या होते हुए भी निर्बल है। वर्तमान में मीडिया में समाचार कम और मनोरंजनात्मक मसाला अधिक छप रहा है। जनमानस में यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि मीडिया द्वारा अर्थ के लिए अगर नैतिक मूल्य का त्याग करना प्रारंभ कर दिया तो समाज जीवन में नकारात्मक बिंदुओं को ही बल मिलेगा जो देश व समाज के लिए बहुत हानिकारक रहेगा।

प्रथम सत्र के दूसरे वक्ता पत्रकार व मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार के मीडिया सलाहकार हीरेन जोशी ने कहा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद सम्पूर्ण देश का वातावरण परिवर्तित हुआ है। मीडिया के लिए भी एक विराट अवसर उपलब्ध हुआ है। नए दौर में नई सकारात्मक, प्रगतिशील, सर्वसमावेशी पत्रकारिता का युग नजर आ रहा है। अब पत्रकारिता अपने रचनात्मक दौर में है। वर्तमान में सत्ताधीशों में अहंकार ना होकर जनता की सेवा और उपासना का भाव जग रहा है। पत्रकारिता के साथ साथ समाज जागरण और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का कार्य करना हमारा ध्येय हो। अच्छी बात हो तो थोड़े को भी ज्यादा करके प्रकाशित करें। बुराई को उतना ही दिखाया जाए जितनी आवश्यकता हो। पत्रकार को समदर्शी होने के साथ साथ सकारात्मक पक्षपाती भी होना चाहिए।

अधिवेशन के दूसरे सत्र में ई टी वी भारत, कोटा के वरिष्ठ पत्रकार मनीष गौतम ने सदन को संबोधित करते हुए बताया कि ऑनलाइन और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आ जाने के बाद भी आज भी समाचार पत्रों का महत्व कम नहीं हुआ है। डिजिटल मीडिया ने बड़े बड़े मीडिया संस्थाओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है।डिजिटल मीडिया में रिपोर्टिंग, एडिटिंग, राइटिंग, एंकरिंग, प्रूफ रीडिंग सभी कार्य स्वयं को ही करने हैं। यह वन मेन आर्मी की तरह है। वर्तमान में पाठक बहुत ही बुद्धिमान है। तार्किक और तथ्यात्मक समाचारों को ही पढ़ते हैं।

द्वितीय सत्र में दूसरे वक्ता के रूप में बोलते हुए कथा प्रस्तुतकर्ता युवा समिति के राष्ट्रीय सलाहकार राजवीर चलकोई ने बताया कि भारत के दबे हुए, छुपे हुए इतिहास को मीडिया निकालकर बाहर लाएं तभी भारत का स्वत्व जागेगा। वामपंथी इतिहासकारों ने हमारी पीढ़ी को अपने गौरव से दूर करने का कुत्सित प्रयास किया। प्राचीन काल में हम सही थे। मध्यकाल और आधुनिक काल में हमारी पहचान छुपाई गई। आज आवश्यकता है उस विस्मृत गौरव को पुनः प्रतिष्ठापित करने की। केवल दिल्ली सल्तनत का इतिहास ही भारतीय इतिहास नहीं है। दिल्ली सल्तनत के सुलतानों को तो राजस्थान के वीर राजाओं ने उनकी सल्तनत से केवल कुछ दूरी पर जाकर ही हराया था। मीडिया को भी दिल्ली केंद्रित ना होकर व्यापक दृष्टिकोण रखकर कार्य करना चाहिए।

प्रांत स्तरीय इस कार्यक्रम में कुल 225 संभागियों ने भाग लिया। “लेट्स कनेक्ट” में नागौर से अजय शर्मा, शिवजीत टाक, देवानंद गहलोत, शरद कुमार जोशी, हनुमान ईनाणिया, रतन सिंह राठौड़, अणदाराम कुचेरा, विक्रम सामरिया, नृसिंह कङेल व राजू बासठ द्वारा सहभागिता दी गई।