शंकरसिंह, विप्लव, छैल, मस्ताना की राजस्थानी रसधार में भीगे श्रोता
आरएनई, बीकानेर।
मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी‘ की 126वीं जयंती पर आयोजित ‘राजस्थानी रसधार’ में चार कवि अपनी रचनाओं के साथ श्रोताओं से रूबरू हुए। इन कवियों में शंकरसिंह राजपुरोहित, विप्लव व्यास, छैलू चारण ‘छैल’ और आनंद मस्ताना शामिल रहे। इस मौके पर मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार हरीश बी. शर्मा ने कहा, जो लोग कहते है राजस्थानी मान्यता की लड़ाई आजादी के बाद की है तो उन्हें मुरलीधर जी के बारे में जानना चाहिए।
आजादी से 17 साल पहले ही मुरलीधर जी ने केवल राजस्थानी में ही लिखने और बोलने का प्रण लें लिया था। इस प्रण को अंतिम सांस तक निभाया। शर्मा ने कहा, राजस्थानी मान्यता आंदोलन को गति देने का एक ही मंत्र हैं ‘एको, चेतो अर खुड़को करो’।
कर लो दुनिया मुट्ठी में :
कवि-गीतकार शंकर सिंह राजपुरोहित ने ‘करलो दुनिया मुठ्ठी में, ओ बेचणीया रो दावों है..’ सुनाकर दाद बटोरी। गीतकार छैलू चारण ने “कलम कोरणी सोहणी,थळवट रो उजियास सकल विधावां में लिख्यो, वाह मुरलीधर व्यास|” दोहे के माध्यम से मुरलीधर व्यास नमन किया। उन्होंने “मुंडे रे तालो जाडियोडो कुण खुलवावे जी’ से खूब तालियां बटोरी।
युवा गीतकार विप्लव व्यास ने अपना राजस्थानी गीत “रई पीड़ री पीड़…” प्रस्तुत किया। युवा गीतकार आनंद मस्ताना ने अपने राजस्थानी गीत “आओ नी आओं नी म्हारा गिरधारी और देखौनी देखौनी म्हारे देस ने” सुनाया।
इससे पूर्व व्यास स्मृति संस्थान के अध्यक्ष श्रीनाथ व्यास ने मुरलीधरजी के जीवन से जुड़े प्रसंग बताए। कार्यक्रम संयोजक योगेश राजस्थानी ने मुरलीधर जी सृजनकर्म से परिचित करवाया। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि शशांक शेखर जोशी ने किया। कार्यक्रम में शायर इरशाद अजीज, संजय पुरोहित, डॉ. अजय जोशी, राजाराम स्वर्णकार, राजेन्द्र जोशी,क़ासिम बीकानेरी, प्रशांत जैन, गौरीशंकर प्रजापत,गिरिराज पारीक आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।