
साहित्यिक संगम: कविता, ग़ज़ल और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का उत्सव
- रविवार के दिन पुस्तक प्रेमियों की उमड़ी भीड़
- कवयित्री सम्मिलन एवं ग़ज़ल संध्या हुई आयोजित
- हिंदी ग़ज़ल का आधुनिकता बोध बेमिसाल है – ज्ञानप्रकाश विवेक
RNE Network
साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले का तीसरा दिन कवयित्रियों और ग़ज़लकारों के नाम रहा। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत नगाड़ा वादन एवं ओडिसी नृत्य की प्रस्तुतियाँ हुईं। अन्य प्रकाशकों द्वारा भी अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। रविवार की वजह से हर आयु के लोग मेले में भारी संख्या में शिरकत करते नज़र आए।
‘अस्मिता’ नाम से आयोजित कवयित्री सम्मिलन प्रख्यात ओड़िआ लेखिका यशोधारा मिश्र की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें अंजु रंजन (हिंदी), मालविका जोशी (हिंदी), नीलांचली सिंह (हिंदी), सरोजिनी बेसरा (संताली) एवं ए. साथिया सारदामणि (तमिऴ) ने अपनी-अपनी भाषाओं में एवं अनुवाद सहित कविताओं का पाठ किया।
ग़ज़ल संध्या कार्यक्रम ज्ञानप्रकाश विवेक की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें हरेराम समीप, कमलेश भट्ट कमल, सविता चड्ढा और विज्ञान व्रत ने अपनी ग़ज़लों का पाठ किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में ज्ञानप्रकाश विवेक ने कहा कि वर्तमान हिंदी ग़ज़ल में आधुनिकता बोध अपनी सबसे ऊँचाई पर है जो उसकी बहुत बड़ी उपलब्धि है। उनका एक शेर जो खूब पसंद किया गया वह था ‘‘दस्तकें दर पर बहुत देर तलक दी उसने, काश एक बार नाम मेरा पुकारा होता। विज्ञान व्रत की पंक्तियाँ थीं ‘‘ एक सच है मौत भी, वह सिकंदर है तो है’’। हरेराम समीप ने अद्भुत संवेदना से भरी ग़ज़ले सुनाईं। कमलेश भट्ट कमल की पंक्तियाँ थी ‘‘सलीका जिंदगी जीने का आता ही नहीं तुमको, कि सुख भी हैं कई इन कष्टों की दुनिया में’’। सविता चड्ढा की पंक्तियाँ थीं ‘‘दुनिया लाख बुरी हो लेकिन, हमें यहीं रहना होता है’’।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत आद्या सिंह ने लोक वाद्य नगाड़ा की प्रस्तुति दी और शांभवी महेश ने ओडिसी नृत्य में रामाभिषेक और शिवतांडव प्रस्तुत किया।
कल ‘विविधता में एकता के माध्यम के रूप में अनुवाद’ विषयक परिचर्चा एवं बहुभाषी कविता-पाठ का आयोजन किया जाएगा। परिचर्चा की अध्यक्षता हरीश नारंग करेंगे जिसमें रख़्शंदा जलील एवं रेखा सेठी अपने विचार रखेंगी। बहुभाषी कविता-पाठ की अध्यक्षता प्रख्यात हिंदी कवि आशुतोष अग्निहोत्री करेंगे, जिसमें असमिया, बाङ्ला, हिंदी, कश्मीरी, तमिऴ एवं तेलुगु के कवि अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे।