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आचार्य-किराड़ू ने लोकतंत्र को बचाने में पत्रकारिता का योगदान बताया

RNE Bikaner

78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर Rudra News Express कार्यालय में वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने ध्वजारोहण किया। साहित्यकार-कलाकार नगेन्द्र नारायण किराड़ू विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।

पत्रकारिता की पहली शर्त राष्ट्र प्रेम :

इस मौके पर आचार्य ने आजादी के आंदोलन से लेकर लोकतंत्र को अक्षुण्ण बनाये रखने में पत्रकारों और पत्रकारितों के महत्व का जिक्र किया। आचार्य ने कहा, पत्रकारिता निरी रिपोर्टिंग नहीं है। पत्रकारों को सबसे पहले एक जिम्मेदार नागरिक होना बहुत जरूरी है। इसके लिए सबसे बड़ी जरूरत है राष्ट्र के प्रति प्रेम। कुछ भी लिखने से पहले एक बार यह दिमाग में होना चाहिये कि इससे मेरे राष्ट्र का अहित तो नहीं होगा।

सत्ता के खिलाफ लिखें लेकिन पूर्वाग्रह से नहीं :

राजनीति और व्यवस्था की विसंगतियों पर कलम की पैनी धार चलाने में कोई परहेज नहीं है। सत्ता के खिलाफ लिखना कभी भी राष्ट्र के खिलाफ नहीं माना जा सकता। इसके बावजूद यह देखना भी जरूरी है कि सत्ता या व्यवस्था के खिलाफ लिखना हमारा पूर्वाग्रह न बन जाएं। कहीं हम किसी अन्य सत्ता विरोधी विचार, संगठन या किसी तीसरी शक्ति के इरादों को पूरा करने का हथियार न बन जाएं।

ऐसे में पत्रकारिता को महज घटनाओं की मसालेदार रिपोर्टिंग मानकर तात्कालिक प्रभाव या पठनीयता के लिये तैयार एक कॉपी मानने की बजाय इसके दूरगामी परिणाम दिलो-दिमाग में होने चाहिये।

साहित्य-पत्रकारिता के अंतरसंबंध :

साहित्यकार-कलाकार नगेन्द्र नारायण किराड़ू ने कहा, पत्रकारिता और साहित्य के बीच बहुत ही गहरा-अटूट रिश्ता है। आम आदमी के दर्द, परेशानी, पीड़ा को प्रभावी तरीके से व्यवस्था-सत्ता के सम्मुख लाना पत्रकारिता का काम होता है। इसी दर्द को अनुभूत कर संकेतों मंे अभिव्यक्त कर हर एक दिल में जगा देना साहित्यकार का काम होता है। इससे होता यह है कि सभी हमदर्द हो जाते हैं। ऐसा हो जाना दर्द से निजात की एक बड़ी पहल होती है। यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है।

दबावमुक्त पत्रकारिता का प्रयास :

Rudra News Express के सीईओ रंगकर्मी अभिषेक आचार्य ने कहा, न्यूज चैनल, वेब पोर्टल्स, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया माध्यमों की भरमार का असर यह है कि सूचनाओं, खबरों की गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल रही है। ‘आरएनई’ इस अंधीदौड़ से खुद को अलग रखते हुए बगैर दबाव, लोभ या पूर्वाग्रह के पत्रकारिय मूल्यों, सिद्धांतों को निभाते हुए पाठक सर्वोपरि मानते हुए अपनी दिशा में आगे बढ़ रहा है।

स्वस्थ पत्रकारिता का ककहरा :

इस मौके पर डेस्क इंचार्ज एडवोकेट मनोज आचार्य ने कहा, सौभाग्यशाली हैं कि पत्रकारिता की प्रारंभिक कक्षा में हमें अनुभवी मार्गदर्शन मिला है। आज पत्रकारितों को ‘पीत’ ‘काली’ ‘विज्ञापन वाली’ आदि नामों से आगे बढ़ते हुए अलग-अलग नेताओं या पार्टियों वाली मीडिया कहा जाने लगा है। उस दौर में स्वस्थ पत्रकारिता का मिल रहा मार्गदर्शन हमारा सौभाग्य है। इस रास्ते पर चलने का पूरा प्रयास करेंगे। संवाद में RNE के डिजिटल कंटेन्ट क्रिएटर अभिषेक पुरोहित, रितेश जोशी, पवन अग्रवाल, द्वारकादास आचार्य ने भागीदारी निभाई।

हम संकल्प लेते हैं :

आरएनई के संपादक धीरेन्द्र आचार्य ने स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देने के साथ ही आज के दौर में पत्रकारिता के सामने आ रही चुनौतियों के बीच अपने जिम्मेदारी पूरी तरह निभाने का संकल्प दिलवाया। बाल कलाकार चिरंजीवी आचार्य, सिद्धार्थ आचार्य ने देशभक्ति के उद्घोष लगवाये। इस मौके पर मित्रायु कैफे संचालक एस.के.मारू, विकास स्वामी, अमन, राहुल आदि मौजूद रहे।