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Malti Joshi : हिंदी-मराठी की ख्यातनाम कहानीकार मालती जोशी का 90 की उम्र में निधन

RNE Network.

हिंदी और मराठी भाषा की प्रतिष्ठित कहानीकार मालती जोशी का कल दिल्ली में निधन हो गया। वे 90 वर्ष की थी। उनकी विशिष्ठ कहानी शैली थी और जिसके कारण उनको साहित्य में एक अलहदा पहचान मिली थी।

मालती -जोशी की कहानी शैली अलग और खास थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि उनकी इस शैली पर देश के अनेक विश्वविद्यालयों में शोध हुआ। मालती जोशी को उनके साहित्यिक अवदान के लिए 2018 में पद्मश्री सम्मान मिला । उनकी हिंदी और मराठी में 60 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई थी।

इसलिए मालती की कहानियों में “मैं” :

मालती जोशी जी कि कहानियां मन को छूने वाली होती हैं। अपनी कहानियों के बारे में, वे कहती, “जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों को, स्मरणीय क्षणों को मैं अपनी कहानियों में पिरोती रही हूं। ये अनुभूतियां कभी मेरी अपनी होती हैं कभी मेरे अपनों की। और इन मेरे अपनों की संख्या और परिधि बहुत विस्तृत है। वैसे भी लेखक के लिए “पर भाव” तो रहता ही नहीं है। अपने आसपास बिखरे जगत का सुख-दु:ख उसी का सुख-दु:ख हो जाता है। शायद इसीलिये मेरी अधिकांश कहानियां “मैं” के साथ शुरू होती हैं।’

जया बच्चन, गुजलार ने मालती की कहानियां फिल्माई :

मालती जोशी का जन्म ४ जून १९३४ को औरंगाबाद में हुआ था। आगरा विश्वविद्यालय से १९५६ में हिन्दी विषय से एम.ए. की शिक्षा ग्रहण की। अब तक अनगिनत कहानियां, बाल कथाएं व उपन्यास प्रकाशित कर चुकी हैं। अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी किया जा चुका है।

कई कहानियों का रेडियो व दूरदर्शन पर नाट्य रूपान्तर भी प्रस्तुत किया जा चुका है। कुछ पर जया बच्चन द्वारा दूरदर्शन धारावाहिक सात फेरे का निर्माण किया गया। कुछ कहानियां गुलज़ार के दूरदर्शन धारावाहिक “किरदार” में तथा “भावना” धारावाहिक में शामिल की जा चुकी हैं। इन्हें हिन्दी व मराठी की विभिन्न व साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित व पुरस्कृत किया जा चुका है। मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा वर्ष १९९८ के भवभूति अलंकरण सम्मान से विभूषित किया जा चुका है।

श्रद्धांजलि : 

उनके निधन पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, अकादमी अध्यक्ष माधव कौशिक, सचिव के श्रीनिवास राव, डॉ अर्जुन देव चारण, चंद्रभान ख्याल, मधु आचार्य आशावादी, संजय पुरोहित, ब्रजरतन जोशी, माधव हाड़ा आदि ने शोक व्यक्त किया और इसे साहित्यिक जगत की बड़ी क्षति बताया।