
चिकित्सा सचिव ने उम्मीद जगाई: दो बजे तक जांच, जिला हॉस्पिटल, सैटेलाइट में पीबीएम जैसी सेवाएं!
RNE Bikaner.
आमतौर पर वीसी से ही प्रदेशभर के हालात जानने वाले राजस्थान के ब्यूरोक्रेट्स अब सीएम भजनलाल के दबाव में जिलों में जाना शुरू हुए हैं। इसी कड़ी में चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार 40 डिग्री से अधिक तापमान में बीकानेर आये। लगभग चार घंटे तक डॉक्टर्स की मीटिंग ली। हॉस्पिटल का मुआयना किया। इस दौरान कई बार जहां हालात पर नाराजगी जताई। जिन मुद्दों पर नाराजगी जताई वे ऐसे हैं जो पहले से ही लंबित हैं। मसलन, एसएसबी की खराब निर्माण क्वालिटी। यह ऐसा मुद्दा है जो खुद मेडिकल कॉलेज और पीबीएम प्रशासन बार-बार पत्र के जरिये सरकार से लेकर केन्द्रीय एजेंसी तक को बता रहे हैं। ऐसे में चिकित्सा सचिव ने फोन पर हस्तक्षेप कर जल्द कमियां सुधारने को कहा। इसके साथ ही आश्वासन दिया सरकार से हरसंभव सहयोग मिलेगा।क्या आउटडोर समय तक जांच होगी:
चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार ने पीबीएम हॉस्पिटल में आउटडोर समय तक ब्लड सैंपल कलेक्ट करने पर बात की। यहां मरीजों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्हें जांच के लिए ही कई दिन इंतजार करना पड़ता है क्योंकि दोपहर 12 बजे तक ही सैंपल लिये जाते हैं। हॉस्पिटल में आने वाले मरीज पर्ची की लाइन, डॉक्टर को दिखाने की लाइन में लगने के बाद जब डॉक्टर को दिखा चुके होते हैं तब तक 12 बज जाते हैं और जांच नहीं हो पाती। ऐसे में अब सैंपल कलेक्शन का समय आउटडोर समय तक यानी गर्मी में दोपहर दो बजे तक और सर्दी में तीन बजे तक कर दिया जाए तो मरीज को एक ही दिन में डॉक्टर को दिखाने और जांच करवाने की सुविधा मिल सकेगी।जिला हॉस्पिटल-गंगाशहर में पीबीएम की यूनिट:
एसडीएम जिला हॉस्पिटल और गंगाशहर सैटेलाइट हॉस्पिटल को इसी लिहाज से डवलप किया गया था ताकि पीबीएम पर मरीज भार कम हो और इन हॉस्पिटलों में सभी विभागों की सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं मिल सके। ऐसा अब तक संभव नहीं हो पाया है। चिकित्सा सचिव ने एक बार फिर इस मुद्दे पर काम करने को कहा है। मेडिकल कॉलेज की एक-एक यूनिट इन हॉस्पिटलों में शिफ्ट करने की बात कही गई है। ऐसे में देखना यह है कि यह विचार निर्णय तक पहुंचने के साथ अमली जामा पहन पाता है या नहीं! वजह, पहले भी इस पर काम हो चुका है लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात रहे हैं।छुट्टी के दिन पूरे समय खुले आउटडोर:
रविवार या राजकीय अवकाश के दिन हॉस्पिटल के आउटडोर महज दो घंटे के लिए खुलते हैं। इस दौरान बहुत कम मरीज सेवाओं का लाभ ले पाते हैं। ऐसे में अब छुट्टी के दिन भी कम से कम 06 घंटे तक आउटडोर सेवाएं चालू करने पर बात हुई है। यह विचार निर्णय में बदलता है मरीजों के लिए बहुत बड़ा राहतकारी कदम होगा।