लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर पर मंत्री अर्जुनराम ‘पूरब और पश्चिम’ के मनोज कुमार बन गये
- LONDON : अर्जुनराम ने गांधी प्रतिमा के आगे ‘रघुपति राघव..’ गाया, दुनिया ने सुर मिलाया
धीरेन्द्र आचार्य
RNE Network.
वर्ष 1970 में एक फिल्म आई ‘पूरब और पश्चिम’। अपने जमाने की सुपर-डुपर हिट फिल्म। इस फिल्म का सबसे मजबूत भावनात्मक पक्ष था मनोज कुमार (भरत) का विदेश की धरती पर अपने देश का गुणगान कर भटके भारतीयों के साथ ही विदेशियों को भी यह अहसास करवाना की ‘भारत’ श्रेष्ठ है। इसी कवायद में मनोज कुमार लंदन के पार्क में खड़े होकर गाते हैं ‘रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम…।’ देखते ही देखते हिप्पी बन चुके भारतीयों के साथ ही विदेशी भी उनके साथ सुर मिला देते हैं।
इस फिल्म का जिक्र अभी इसलिये कर रहा हूं क्योंकि आज फिर लंदन में एक ऐसा ही वाकया हुआ और सुखद बात यह है यह वाकया फिल्मी नहीं था। मौका था 02 अक्टूबर 2024 यानी गांधी जयंती का। जगह थी लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर का वह हिस्सा जहां विशालकाय काले पत्थर से बनी बापू की प्रतिमा लगी थी। यहां अचानक, धोती, कुर्ता और पगड़ी पहने एक भारतीय ने तान छेड़ दी, ‘रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम…।’
यह तान छेड़ने वाले शख्स थे भारत के केन्द्रीय मंत्री और बीकानेर के सांसद अर्जुनराम मेघवाल। टैविस्टॉक स्क्वायर में उस वक्त बापू की प्रतिमा के सामने कई देशों के लोग मौजूद थे।
भारत से आये केन्द्रीय मंत्री ने जब गाना शुरू किया और साथ में हाथ के इशारे से कोरस के लिये संगत मांगी तो लोग पहले झिझके फिर साथ में सुर मिला दिया। लगा ‘पूरब और पश्चिम‘ का “भारत कुमार” 54 साल बाद “रील से रियल” बनकर खड़ा हो गया है।
दरअसल अर्जुनराम मेघवाल लंदन के वेस्टमिंस्टर में परिसर में शुरू हुए विधिक वर्ष समारोह के उद्घाटन में शिकरत करने गये थे। यह समारोह भारत और यूके के बीच विधिक क्षेत्र में आपसी सहयोग संबंध बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस दौरान वे लंदन के भारतीय उच्चायोग ‘भारत भवन’ भी गये।
बकौल अर्जुनराम ये वही भवन है जिसे स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा ने विदेशी धरती पर भारत की स्वतंत्रता के संकल्प को प्रज्वलित रखने के लिए बनाया था। नाम है ‘इंडिया हाउस।’
मेघवाल जब भी लंदन जाते हैं तो उस ‘आंबेडकर मेमोरियल हाउस’ जाना कभी नहीं भूलते जहां रहकर बाबा साहब डा.भीमराम आंबेडकर ने शिक्षा ग्रहण की थी। इस बार भी गए।
अलबत्ता इस वक्त बात जब टैविस्टॉक स्क्वायर की हो रही है तो यह बताना जरूरी है कि इस बगीचे के बीचोबीच 1968 में महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित की गई जिसे फ्रेडा ब्रिलियंट ने गढ़ा था।
इससे एक साल पहले 1967 में हिरोशिमा-नागासाकी के परमाणु विस्फोट में जान गंवाने वालों की याद में यहां एक चेरी का पेड़ लगाया गया था।
ह्यूग कोर्ट ने 1994 में यहां एक ऐसा स्मारक पत्थर लगवाया जो दुनियाभर में कर्तव्यनिष्ठ रहते हुए प्रतिबद्धता दिखाने, त्याग या बलिदान करने वालों के सम्मान में था। ऐसे में इस चौक को दुनियाभर में अघोषित रूप से शांति पार्क भी कहा जाता है।
यही वजह है कि यहां से एक बार फिर भारत के केन्द्रीय मंत्री की ओर से गांधी प्रतिमा के सामने खड़े होकर ‘…सबको सन्मति दे भगवान’ प्रार्थना होना के दुनिया के लिये मोदी सरकार के एक प्रतिनिधि का बड़ा संदेश भी है। वह भी उस वक्त में जब विदेश में जाकर “भारत की छवि बनाने-बिगाड़ने” के मुद्दे पर देश में बहस छिड़ी है।