परिवार को जोड़ती है बेटियां, उनके जन्म पर उत्सव मनाये- श्री भँवरदास महाराज
आरएनई, नोखा।
श्री जसनाथ जी महाराज की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में रायसर रोड़ पर आयोजित हो रही राम कथा के षष्ठम् दिवस में श्री श्री 1008 रोड़ा पीठाधीश्वर महंत श्री भँवरदास जी महाराज ने रामकथा में रामजी के बाल अवस्था के व रामजी की वंशावली के प्रकारों का प्रसंग सुनाया। महाराज जब राम-सीता विवाह की कथा सुनाई तो श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि जब अयोध्या में भगवान राम का जन्म होने वाला था, तब समस्त अयोध्या नगरी में शुभ शकुन होने लगे।
भगवान राम का जन्म होने पर अयोध्या नगरी में खुशी का माहौल हो गया। चारों ओर मंगल गान होने लगे। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने भी पृथ्वी लोक पर आकर धर्म की स्थापना की। महाराज ने कहा कि आज का व्यक्ति ईश्वर की सत्ता को मानने से भले ही इंकार कर दे, लेकिन एक न एक दिन उसे ईश्वर की महत्ता को स्वीकार करना ही पड़ता है।
संसार में जितने भी असुर उत्पन्न हुए सभी ने ईश्वर के अस्तित्व को नकार दिया और स्वंय भगवान बनने का ढोंग करने लगे, लेकिन जब ईश्वर ने अपनी सत्ता की एक झलक दिखाई तो सभी का अस्तित्व धरा से ही समाप्त हो गया। अधर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो लेकिन धर्म के मार्ग पर चलने वाले के आगे अधिक समय तक नहीं टिक सकता।
महाराज श्री ने कहा कि भगवान किसी को भी सुख और दुख नही देते,इंसान अपने कर्मो से ही सुख और दुख की प्राप्ति करता है व मनुष्य को हमेशा सद्कार्य करने चाहिए। आज की कथा में मुख्य यजमान हड़मानाराम व तुलछाराम व कानाराम भादु सपत्नीक बैठे। व्यवस्थाओं कोलेकर सिमिति के भगवानाराम भादु,मगनाराम भादु,केशुराम भादु,सुखराम भादु,श्रवण कुमार भादु,ओमप्रकाश भादु,अशोक भादु,मघाराम भादु सहित अनेक कार्यकर्ता लगे रहे।कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए।