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S.L.Bhyrappa का 94 की उम्र में, भारतीय साहित्य को इस कन्नड़ उपन्यासकार की बड़ी देन

 
RNE NETWORK.
ख्यातनाम कन्नड़ उपन्यासकार, दार्शनिक एस.एल.भैरप्पा का बुधवार को 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पद्म भूषण, पद्म श्री, सरस्वती सम्मान जैसे पुरस्कारों से सम्मानित भैरप्पा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देशभर के साहित्य जगत ने शोक जताया है।

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PM Modi ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है "श्री एस.एल. भैरप्पा जी के निधन से, हमने एक ऐसे प्रखर व्यक्तित्व को खो दिया है जिन्होंने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया और भारत की आत्मा में गहराई से उतर गए। एक निडर और कालजयी विचारक, उन्होंने अपनी विचारोत्तेजक रचनाओं से कन्नड़ साहित्य को गहन रूप से समृद्ध किया। उनके लेखन ने पीढ़ियों को चिंतन, प्रश्न करने और समाज के साथ अधिक गहराई से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
हमारे इतिहास और संस्कृति के प्रति उनका अटूट जुनून आने वाले वर्षों तक लोगों को प्रेरित करता रहेगा। इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति।"
साहित्य अकादमी दिल्ली की ओर से भैरप्पा के निधन पर शोक संदेश जारी हुआ हैं। अकादमी के सचिव के.श्रीनिवासराव ने कहा, साहित्य अकादेमी को अत्यंत दुख और आघात के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि प्रख्यात उपन्यासकार, दार्शनिक, पटकथा लेखक, बहुमुखी विद्वान और साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य डॉ. एस. एल. भैरप्पा का निधन हो गया है। 
उनके अधिकांश प्रमुख उपन्यास (जैसे वंशवृक्ष, तत्त्वालोके निनादे मगने, पर्व, और सार्थ) प्राचीन भारतीय दार्शनिक परंपराओं में गहराई से निहित हैं और उन्होंने प्राचीन ग्रंथों, परंपराओं और ऐतिहासिक कथाओं के प्रति जनमानस में गहन रुचि को पुनः सृजित किया। 
उन्होंने अकेले ही भारत में उपन्यास लेखन में क्रांति ला दी और उनकी कृतियाँ, जो भारत की विविध दार्शनिक विचारधाराओं पर आधारित थीं, विशेष रूप से युवा वर्ग में अत्यधिक लोकप्रिय हुईं, जिसके परिणामस्वरूप कई युवाओं ने दर्शनशास्त्र को गंभीरता से अपनाया। उनका निधन भारतीय साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है। साहित्य अकादेमी इस सौम्य प्रतिभा के निधन पर शोक व्यक्त करती है और भारतीय साहित्यिक समुदाय के साथ मिलकर डॉ. एस.एल. भैरप्पा को श्रद्धांजलि अर्पित करती है।