Movie prime

कविता की मुख्य खुराक प्रेम और संघर्ष है, दिल्ली के कवि सीमांत सोहल का लेखक से मिलिये कार्यक्रम

 

RNE Network.

वरिष्ठ कवि सीमांत सोहल (दिल्ली) ने कहा है कि कविता की मुख्य खुराक प्रेम और संघर्ष है। यही शिल्प और संवेदना के साथ कविता की ताकत बनते हैं और कवि को समृद्ध करते हैं।
 

वे रविवार को अग्रसेन नगर स्थित जैन पब्लिक स्कूल में सृजन सेवा संस्थान के मासिक कार्यक्रम ‘लेखक से मिलिए’ की 133वीं कड़ी में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यूं तो आरंभ में वे गजल, कहानी और व्यंग्य भी लिखते रहे, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने महसूस किया कि वे कविता में ही ज्यादा सहज हैं। इसलिए अपनी साहित्यिक यात्रा को केवल कविता तक सीमित कर लिया।   इस मौके पर सीमांत ने अपनी अनेक कविताएं सुनाई, इनमें जहां अध्यात्म का भाव था, वहीं मनुष्य की पीड़ा को भी बहुत गहराई से शब्द देने का प्रयास किया गया था। उनकी कविताओं में जहां निर्गुण भाव था, वहीं गुरुनानक देव की वाणी को भावभूमि बनाकर उन्होंने सीधे पाठक से संवाद करने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी एक कविता में कहा, ‘‘काजी बोले-अल्लाह एक/पंडित बोले-ईश्वर एक/ बाबा पूछे-काजी कौन?/ पंडित कौन?’’ आज के क्रूरतम समय में कुछ अच्छा और अलग सोचते हुए उनकी कल्पना के संसार में एक कविता थी, ‘‘चिडिय़ा को/ बेखौफ उड़ते देखना/मछली को/कांटे के डर के बिना तैरते देखना/बाघ को/बिना शिकार की/इच्छा घूमते देखना/इस भीषण समय में/ऐसे दो-चार कल्पित दृश्य/कैनवास पर होने ही चाहिएं।’’

कार्यक्रम में ऋतुसिंह, संदीपकुमार व कृष्ण कुमार इत्यादि ने उनसे कुछ सवाल किए, जिनका उन्होंने सहजता से जवाब दिया।
 

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि समाजसेवी अनिल धूडिय़ा ने कहा कि उन्होंने सीमांत सोहल को जितना पढ़ा, उससे कहीं अधिक आज रूबरू पाकर महसूस किया। सचमुच संवेदना को कविता का रूप देकर पाठक को चमत्कृत करने की ताकत रखते हैं सीमांत। उन्होंने सृजन सेवा संस्थान को भी शहर में इस तरह का माहौल बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने पर सराहना की।
 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जैन सभा के अध्यक्ष नरेश जैन ने कहा कि कवि की कल्पना तक पहुंचना संभव नहीं होता। वे अपने हिसाब से दुनिया को देखते हैं। उन्होंने भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम निरंतर करते रहने और उसमें यथासंभव सहयोग करने की बात कही।
 

इससे पहले, सृजन के सचिव कृष्णकुमार ‘आशु’ ने सीमांत का परिचय दिया। संचालन अरुण ‘उर्मेश’ ने किया। आभार अध्यक्ष सुरेंद्र सुंदरम ने व्यक्त किया। इस मौके पर राजेश चड्ढा (सूरतगढ़), अरुण खामख्वाह, गौरीशंकर बंसल, सुरेंद्रकुमार, सुनीता धूडिय़ा, सतीश शर्मा, डॉ. ओपी वैश्य, डॉ. आरपी गौड़, भीमकुमार, जगदेवसिंह बराड़, ललित चराया, बबीता काजल सहित अनेक साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी मौजूद थे।
 

सीमांत को सृजन साहित्य सम्मान:
 

कार्यक्रम के दौरान सीमांत सोहल को उनके साहित्य में दिए गए योगदान पर सृजन साहित्य सम्मान अर्पित किया गया। सृजन के संरक्षक विजय कुमार गोयल, कार्यक्रम अध्यक्ष नरेश जैन, विशिष्ट अतिथि अनिल धूडिय़ा एवं आकाशवाणी के सेवानिवृत्त वरिष्ठ उद्घोषक राजेश चड्ढा ने उन्हेंं शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक एवं पुस्तक भेंट करके सम्मानित किया।

FROM AROUND THE WEB