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साहित्य अकादेमी और व्यंग्य यात्रा का संयुक्त आयोजन: हिंदी व्यंग्य पर हुई परिचर्चा

 

RNE Network.

 साहित्य अकादेमी ने आज व्यंग्य पत्रिका 'व्यंग्य यात्रा' के संयुक्त तत्त्वावधान में “हिंदी व्यंग्य का संक्रमण काल" विषय पर एक परिसंवाद का आयोजन किया।

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उद्घाटन सत्र में अपना आरंभिक वक्तव्य देते हुए प्रेम जनमेजय ने कहा कि व्यंग्य को हमेशा एक वंचित विधा माना जाता रहा है जो कि गलत है। आगे उन्होंने कहा कि इसी वंचित विधा को हमेशा कई महत्त्वपूर्ण लेखकों ने अपनाकर इसके लिए कवच का काम किया है। जिनमें भारतेंदु से लेकर हरिशंकर परसाई, शरद जोशी एवं रवींद्रनाथ त्यागी प्रमुख हैं। उन्होंने प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह और विश्वनाथ त्रिपाठी का नाम लेते हुए कहा कि इन्होंने भी हमेशा व्यंग्य का पक्ष लिया। वर्तमान समय में व्यंग्य विधा में ठहराव का उल्लेख करते हुए उन्होंने इस पर गंभीर विचार विमर्श करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सत्र की अध्यक्षता कर रहे हैं साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि असली व्यंग्यकार तो वे हैं जो चपत तो खुद को लगाते है लेकिन उसकी छाप समाज के गाल पर छपती है। अपनी बात को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि शब्द हमेशा विरोध में खड़े रहते हैं। भाषा की तुर्शी को बनाए रखने के लिए व्यंग्य बहुत ज़रूरी है। कार्यक्रम के आरंभ में सभी का स्वागत करते हुए साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने व्यंग्य की उपस्थिति को प्राचीन ग्रंथो से जोड़ते हुए बताया कि हमारे पुराने वैदिक साहित्य से लेकर आधुनिक समय तक व्यंग्य साहित्य हमेशा स्थान पाता रहा है।
परिसंवाद का प्रथम सत्र “इक्कीसवीं सदी की दस्तक : परिदृश्य और चुनौतियां” विषय पर केन्द्रित था, जो ज्ञान चतुर्वेदी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस सत्र में यशवंत व्यास, प्रभात रंजन, गौतम सान्याल और राकेश पाण्डेय ने अपने विचार रखे। ज्ञान चतुर्वेदी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि आज के व्यंग्य लेखकों को हरिशंकर परसाई की तीसरी/चौथी कॉपी बनने से बचना होगा। उन्हें अपनी मौलिक शैली, भाषा, मुहावरे गढ़ने होंगे।
द्वितीय सत्र “व्यंग्य का विस्तृत आकाश” विषय पर केन्द्रित था, जिसकी अध्यक्षता लीलाधर मंडलोई ने की। इस सत्र में प्रताप सहगल, गिरीश पंकज, संजीव कुमार और रमेश सैनी ने क्रमशः नाटक, कविता, आलोचना और उपन्यास के सन्दर्भ में अपने वक्तव्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रमों का सञ्चालन और औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन अकादेमी के उपसचिव देवेन्द्र कुमार देवेश द्वारा किया गया।
शाम को व्यंग्य यात्रा द्वारा संयोजित ‘व्यंग्य रचना पाठ’ सत्र भी आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता सुभाष चंदर ने की। सत्र का संचालन रणविजय राव ने किया। इस सत्र में आलोक पुराणिक, कृष्ण कुमार आशु, बलराम अग्रवाल, संदीप अवस्थी, फारूक अफरीदी, राजेश कुमार, प्रेम विज, एम एम चंद्रा, अलंकार रस्तोगी, अर्चना चतुर्वेदी, स्वाति चौधरी ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।