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दहशतगर्द बनकर नाम कमाना चाहता था अपराधी

 
आरएनई,स्टेट ब्युरो। जगह-जगह फायरिंग कर लोगों को धमकाने तो कहीं लूट की वारदात को अंजाम देने वाले नरेंद्र गुर्जर को पुलिस ने मंगलवार रात नरसिंहगढ़ के जंगल से गिरफ्तार कर लिया है। जिले में की गई वारदातों के बाद वह भोपाल, विदिशा और सतना जिले तक फरारी काटता रहा। लौट कर आने के बाद एक बार फिर वह वॉट्सऐप कॉलिंग के जरिए लोगों को धमका रहा था। दहशतगर्द बनकर नाम कमाना चाहता था अपराधीपुलिस की साइबर टीम की मदद से उसकी और उसके साथी अभिषेक की लोकेशन ट्रेस करते हुए जब दबिश दी तो बदमाशों ने पुलिस फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि आरोपी नरेंद्र और अभिषेक द्वारा किए गए फायरिंग से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करते हुए न्यायालय में पेश किया। एसपी धर्मराज सिंह द्वारा पूरे मामले की प्रेस वार्ता आयोजित करते हुए आरोपी की गिरफ्तारी की जानकारी दी गई। पुलिस ने बताया कि नरेंद्र गुर्जर एक फरवरी से एक के बाद एक वारदात को अंजाम दे रहा था। जिसमें सबसे पहले उसने अपने ही गांव में पहुंच कर चचेरे भाई पर फायर किया। इसके बाद कुरावर में आकर एक मोबाइल दुकान संचालक पर गोली चलाई। हालांकि दोनों ही बार उसका निशाना चूक गया। दहशतगर्द बनकर नाम कमाना चाहता था अपराधीपुलिस जिस समय उसकी तलाश कर रही थी। इसी बीच उसने नरसिंहगढ़ के एक पेट्रोल पंप पर पहुंच कर कर्मचारियों की कनपटी पर बंदूक रखी और उनके पास रखी हुई नकदी लेकर भाग गया। सुठालिया रोड पर एक दंपती पर फायर लगभग 15000 रुपए लूट लिए थे। साइबर और तीन थाने की टीमें कर रही थी तलाश : पुलिस को संदेह था कि कहीं कोई बड़ी वारदात ना कर दे। यही कारण है कि सुठालिया नरसिंहगढ़ और कुरावर पुलिस के साथ ही साइबर की टीम लगातार आरोपों की तलाश कर रही थी। दहशतगर्द बनकर नाम कमाना चाहता था अपराधीदहशतगर्द बनकर नाम कमाना चाहता था नरेंद्र गुर्जर इससे पहले नरसिंहगढ़ जेल में रह चुका है। उस पर जिले भर में 13 मामले दर्ज हैं। जिनमें हत्या का प्रयास शासकीय कार्य में बाधा, धमकाना, फिरौती मांगना, आर्म्स एक्ट जैसे प्रकरण शामिल हैं। नरसिंहगढ़ में जिस समय वह जेल में था उसकी पहचान ग्वालियर और सतना से जुड़े हुए कुछ आरोपियों से हुई। यहीं से उसने तय किया कि दहशत फैलाकर क्षेत्र में नाम कमाना है। इसके बाद उसने लोगों को डरा धमका कर पैसा ऐंठने का काम शुरू कर दिया। दहशतगर्द बनकर नाम कमाना चाहता था अपराधी