
जनरंजन: विधानसभा में अब किरोड़ी भी होंगे बड़ा मुद्दा, विपक्ष रहेगा हमलावर, आखिर इस्तीफा कहां अटका
RNE Special.
राज्य विधानसभा का बजट सत्र 31 जनवरी से आरम्भ हो रहा है। इस बार इसके हंगामेदार रहने की संभावना है। राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के समय बनाये 3 संभाग व 9 जिले समाप्त कर दिए। इन जिलों व संभागों की जनता तो पहले से ही आंदोलन पर उतारू है। विपक्ष भी सड़कों पर उतरा हुआ है।
महात्मा गांधी स्कूल:
ठीक इसी तरह पिछली कांग्रेस सरकार ने अंग्रेजी माध्यम की जो महात्मा गांधी स्कुलें खोली थी, उन पर भी तलवार लटकी हुई है। सरकार ने मंत्रियों की कमेटी बनाकर उनकी रिव्यू चालू कर दी है। इस कमेटी की पहली बैठक में अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों के नामांकन व सुविधाओं पर प्रजेंटेशन लिया गया। अनेक स्कूल में नामांकन कम है तो सुविधाएं भी पूरी नहीं है। उस बैठक में कमेटी के मुखिया उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने साफ कहा कि जहां नामांकन कम है और सुविधाओं का अभाव है, उन अंग्रेजी स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदल दिया जायेगा। जब ये दोनों चीजें अंग्रेजी माध्यम में नहीं है तो फिर हिंदी में कैसे उपलब्ध हो जायेगी।
जाहिर है, बाद में ये स्कुलें बंद होगी। इस अर्थ में बंद होगी कि उनको दूसरी स्कूलों में मर्ज किया जायेगा। इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार को विधानसभा में पूरी तरह से घेरेगा। उसकी अपने शासनकाल की ये महात्त्वाकांशी योजना है।
अब किरोड़ी बाबा का मुद्दा:
विपक्ष को बैठे बिठाए अब कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने भी एक मुद्दा थमा दिया है। वे विधानसभा अध्यक्ष देवनानी का स्वास्थ्य पूछने गये और विधानसभा की कार्यवाही से छुट्टी का आवेदन थमा आये। 31 जनवरी से अधिवेशन शुरू है और 3 फरवरी से वे अनुपस्थित रहेंगे। जाहिर है, न तो अपने विभाग के सवालों के जवाब देंगे और न कार्यवाही में भाग लेंगे।
उनके इस निर्णय पर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मैंने अध्यक्ष को वजह बता दी है। किरोड़ी के इस निर्णय से राजनीति फिर गर्मा गई है। उनको इस्तीफा दिए अब तो ये कहना चाहिए कि महीनों हो गए, पर न सीएम ने निर्णय किया और न पार्टी ने। ये बड़ी अबूझ पहेली हो गई है।
समारोह व तबादलों में शामिल:
किरोड़ी बाबा का निर्णय अजूबा इस कारण है कि वे समारोहों में तो शामिल हो रहे हैं और सक्रिय दिख रहे हैं। अभी जब तबादलों का दौर चला तो उसमें भी शामिल थे, मगर विभाग के काम नहीं कर रहे। इसे अटपटा माना जा रहा है।
किरोड़ी की वजह:
लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेवारी लेते हुए उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया। बाद में उनके भाई को दबाव के चलते दौसा सीट से पार्टी ने टिकट दिया मगर वो किरोड़ी की मेहनत के बाद भी हार गये। तब किरोड़ी ने जयचन्दों को हार का कारण बताया।
इस्तीफे प्रकरण में उनकी मुलाकात पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृहमन्त्री अमित शाह, सीएम, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सहित कई नेताओं से बात हो गई मगर मामला सुलझा नहीं। पेच कई बातों पर फंसा हुआ है। सरकार के कई निर्णयों से भी वे सार्वजनिक नाराजगी जता चुके हैं।
विपक्ष होगा अब हमलावर:
विधानसभा के बजट सत्र में किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे पर विपक्ष हमलावर रहेगा। दूसरा सत्र है और वे उसमें उपस्थित नहीं होंगे। इस बार विपक्ष ज्यादा हंगामा करेगा। इस कारण माना जा रहा है कि विधानसभा का ये सत्र बहुत हंगामेदार रहेगा।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।