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Okhla : आप केअमानतुल्लाह, कांग्रेस की अरीबा और भाजपा के मनीष में बना त्रिकोण

  • ओखला सीट पर इस बार कांटे की टक्कर
  • मुस्लिम बहुल मतदाताओं की ये है सबसे बड़ी सीट
  •  पहले कांग्रेस और अब दो बार से आप का वर्चस्व
  • कांग्रेस ने आप के समीकरण बिगाड़े

अभिषेक आचार्य

दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अब परवान पर है। मतदान तो 5 फरवरी को है मगर माहौल अभी से तकड़ा राजनीतिक बना हुआ है। इस बार हर सीट पर कांटे की लड़ाई हो रही है। कांग्रेस ने इस बार पूरी ताकत लगाकर आप और भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। दिल्ली की ओखला सीट इसी कारण सबसे अधिक चर्चा में है।

ये सीट पिछले दो चुनाव से आम आदमी पार्टी बड़े अंतर से जीतती रही है। जबकि पहले ये कांग्रेस की परंपरागत सीट थी। दो चुनावों से कांग्रेस दिल्ली में बहुत बुरी तरह से हार रही है। विधानसभा में उसका एक भी सदस्य नहीं पहुंच पा रहा है। इस बार जब आप ने उससे समझौता नहीं किया तो कांग्रेस पूरे दमखम के साथ उतरी है।

सर्वाधिक मुस्लिम मतदाता यहीं:

दिल्ली की ओखला सीट पर सर्वाधिक मुस्लिम मतदाता है। बताया जाता है कि यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 55 फीसदी है। इसी वजह से पहले यहां कांग्रेस का और अब आप का मुस्लिम उम्मीदवार ही जीतता आ रहा है। भाजपा हर बार गैर मुस्लिम उम्मीदवार उतार ध्रुवीकरण की कोशिश करती है मगर सफल नहीं होती। बड़े अंतर से चुनाव हारती है।

इस बार की टक्कर:

आप ने इस बार फिर यहां से अमानातुल्लाह खान को चुनाव में उतारा है जो पिछले दो चुनाव लगातार जीते हैं, वो भी बड़े अंतर से। आप ने इसी कारण उम्मीदवार नहीं बदला।

कांग्रेस की नजर भी इस बार अपनी इस परंपरागत सीट पर है। दो चुनाव से पहले यहां से कांग्रेस का ही विधायक था। इस बार उनकी पुत्री और युवा सामाजिक कार्यकर्ता अरीबा खान को कांग्रेस ने उतार मुकाबला रोचक बना दिया है। वे नगर निगम पार्षद का चुनाव इसी क्षेत्र से आप उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराकर जीती हुई है। अरीबा मूल रूप से बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की भतीजी है। राजनीति परिवार से है, इस कारण उनको मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है।

चूंकि ये मुस्लिम मतदाताओं के बाहुल्य की सीट है तो ओवैसी की एमआईएम ने भी यहां से सफाउर रहमान को मैदान में उतारा है। ओवैसी कुछ समय पहले इस विधानसभा क्षेत्र का दौरा भी करके गये है।

भाजपा ने यहां गैर मुस्लिम उम्मीदवार मनीष चौधरी को टिकट दिया है। जो मुस्लिम मतों के विभाजन पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं और ध्रुवीकरण के बल पर जीत की गणित बना रहे हैं।

ओखला की स्थिति:

ओखला विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से समस्याग्रस्त है। यहां सड़कों व ड्रेनेज की बड़ी समस्या है। गलियों में नालियों का पानी बाहर बहता है जिससे लोगों का चलना भी मुश्किल हो जाता है। इस क्षेत्र में आधुनिक सुविधाओं का अभाव साफ नजर आता है।

वर्तमान राजनीतिक स्थिति:

दो बार से यहां आप के अमानातुल्लाह खान विधायक हैं तो उनके खिलाफ स्वाभाविक रूप से एन्टीनकम्बेंसी भी है। लोग काम न होने से नाराज भी है। उनको ईडी, सीबीआई के कई मामलों में जेल भी जाना पड़ा। बाद में जमानत से बाहर आये। पहले बड़े वोटों से जीते थे, मगर इस बार पूरा जोर लगाना पड़ा है।

कांग्रेस ने अरीबा खान जैसे युवा महिला चेहरे को उतार के मास्टर स्ट्रोक लगाया है। उनके पिता इसी सीट से पहले विधायक थे और वे खुद सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय है। पार्षद के रूप में भी लोकप्रिय है। वे राजनीतिक परिवार से है और ये कांग्रेस की परंपरागत सीट है।

भाजपा ने गैर मुस्लिम मनीष चौधरी को उतारकर वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश पहले के चुनावों की तरह की है। हालांकि इस सीट पर अधिकतर मुस्लिम उम्मीदवार ही जीता है, ध्रुवीकरण नहीं हो सका है। इस बार भाजपा को ओवैसी के उम्मीदवार से उम्मीद है, वो जितने मुस्लिम वोट काटेगा, भाजपा को उतना ही फायदा होगा।

रोचक है मुकाबला:

मुस्लिम बहुल ओखला सीट पर इस बार मुकाबला रोचक है। क्योंकि युवा कांग्रेस उम्मीदवार अरीबा अच्छी वक्ता है और आप से पहले निगम चुनाव में दो दो हाथ कर चुकी है। टिकट मिलने के दिन से वे आप और केजरीवाल पर हमलावर है।

अमानातुल्लाह को भी तेज तर्रार नेता माना जाता है। वे अपनी एन्टीनकम्बेंसी को जितना थामेंगे फायदे में रहेंगे। भाजपा के मनीष चौधरी यदि ध्रुवीकरण में सफल रहे तो मुकाबले में आ जाएंगे। कुल मिलाकर मुस्लिम मतदाताओं के बहुलता वाले इस इलाके में आप की राह इतनी आसान नहीं लगती।