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एक तरफ संकल्प से सिद्धि, दूसरी तरफ तबादलों से भीगेगा बीकानेर

  • बड़े प्रशासनिक फेरबदल की सुनाई दे रही आहट
  • शिक्षा व उच्च शिक्षा में भी थोक में तबादलों के आसार
  • भाजपा कार्यकारिणी तो एक बार फिर टल ही गई, पुरानों से संकल्प भी, सिद्धि भी

अभिषेक आचार्य

RNE Special.

केंद्र में मोदी सरकार के 11 साल पूरे हो गए है। इसका देशव्यापी जश्न पार्टी मना रही है। राजस्थान में भी यह जश्न कुछ अधिक जोश से मनाया जा रहा है, क्योंकि यहां भी भाजपा की ही सरकार है। बीकानेर चूंकि संभाग मुख्यालय है, इसलिए यहां ज्यादा गतिविधियां होनी स्वाभाविक है। गतिविधियां चल भी रही है।

बीकानेर के लिए, बीकानेर क्या पूरे राज्य के लिए ही यह अजूबा है कि भाजपा में नए अध्यक्ष तो बन गए मगर उनकी कार्यकारिणी अभी तक नहीं बनी है। प्रदेश में भी अध्यक्ष तो मदन राठौड़ बन गए मगर उनको भी पुरानी कार्यकारिणी से ही काम चलाना पड़ रहा है। उसी तरह बीकानेर शहर में सुमन छाजेड़ व देहात में श्याम पंचारिया अध्यक्ष बन गए मगर इनको भी पुरानी कार्यकारिणी से ही काम चलाना पड़ रहा है।

संकल्प से सिद्धि अभियान:

राष्ट्रीय भाजपा ने 11 साल मोदी सरकार के पूरे होने पर देश भर में ‘ संकल्प से सिद्धि ‘ अभियान चलाया है। इसके लिए अलग से जिले में संयोजक तो बनाया है मगर काम तो संगठन की छांव में ही होना है। जिसके पास पुराने पदाधिकारी है। इस अभियान में जनता तक मोदी सरकार की उपलब्धियों व विकास कार्यो को लोगों तक पहुंचाना है।

इस अभियान में पार्टी को उन लोगों का सम्मान भी करना है, जिन्होंने आपातकाल में अपना समय जेल में बिताया। इस बहाने कांग्रेस शासन के आपातकाल को भी एक बार फिर कंडेम कर उस कमजोरी को राजनीतिक फायदे के लिए जिंदा करना है।

आसान नहीं है ये काम:

भाजपा ने अपना ध्येय तो संकल्प से सिद्धि तक में अच्छा तय किया है मगर इस बार मैदान खाली नहीं है। विपक्षी दल कांग्रेस भी बराबर 11 साल की नाकामियों को बताने का अभियान चलाए हुए है तो साथ मे संविधान बचाओ, जयहिंद रैली आदि का भी आयोजन कर रही है। बीकानेर में भी कांग्रेस संगठन बिसनाराम सियाग, यशपाल गहलोत, डॉ बी डी कल्ला, गोविंद मेघवाल, भंवर सिंह भाटी, वीरेंद्र बेनीवाल के जरिये 11 साल की नाकामियों को उजागर करने में लगा है। भाजपा की यदि नई कार्यकारिणी होती तो वो दुगुने जोश से काम करती। अभी तो भाजपा का काम आसान नहीं।

इस बीच तबादलों का भी मौसम:

ये मौसम राजनीतिक रूप से राज्य में तबादलों का भी है। क्योंकि भाजपा सरकार बनने के बाद सभी विभागों में तबादले हो गये, शिक्षा व उच्च शिक्षा में रह गये। इनमें तबादला इसी माह में संभव है, क्योंकि बाद में तो शिक्षा सत्र आरम्भ हो जायेगा।

शिक्षा व उच्च शिक्षा विभाग में इस बार बड़ी संख्या में तबादले होने तय लगते है। क्योंकि पिछले शासन में बाहर गए लोगों को वापस आना है। उनको राजनीतिक रूप से बाहर किया गया था तो वे इस राज में वापस आने की उम्मीद तो रखते ही है। यह स्थिति शिक्षा व उच्च शिक्षा विभाग में एक समान है। इन दोनों विभागों में तबादलों की अच्छी बारिश होना तय है। सूचियां बनी हुई है। जिनको बीकानेर आना है वे उत्साहित है, जिनको जाने का अंदेशा है वे चिंतित है।

थोक के भाव मे शिक्षा विभाग में हर बार की तरह इस बार भी तबादले होने है। सबसे ज्यादा कर्मचारी भी तो इसी विभाग में ही है। यहां दबाव भी खूब रहता है। विधायकों की अपनी लंबी लंबी सूचियां है।

प्रशासन में भी बड़ा फेरबदल:

इस बार जिले के प्रशासन में भी बड़े फेरबदल की तैयारी है। आईएएस, आरएएस, पुलिस महकमा आदि में बड़े पैमाने पर तबादले होने के आसार है। जिसकी तैयारी हो चुकी है। वैसे तो पूरे राज्य में ही प्रशासन व पुलिस में बड़े तबादले होने निश्चित ही है। सीएम व मंत्रियों के स्तर पर, फीडबैक के आधार पर सूचियां तैयार है। भले ही संकल्प से सिद्धि अभियान में भाजपा कार्यकारिणी न बने, तबादलों की बारिश होना तय है।