Dhankhad पर विपक्ष की चार्जशीट : विपक्ष को विरोधी मानते, बोलने नहीं देते, खुद को RSS का एकलव्य बताते, सरकार की तारीफ करते
अविश्वास पर INDIA ब्लॉक की प्रेस कॉन्फ्रेंस :
RNE Network New Delhi.
“सभापति प्रतिपक्ष के नेताओं को विरोधी के तौर पर देखते हैं। विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं। उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं।”
यह कहना है कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे का। यह बात उन्होंने राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक की ओर से बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।
धनखड़ के व्यवहार पर ये बोले खडगे :
खडगे ने कहा, सदन में जर्नलिस्ट, लेखक, प्रोफेसर सहित कई फील्ड में काम कर चुके लोग हैं। कइयों को 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं को भी सभापति प्रवचन सुनाते हैं। आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, अगर सभापति ही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा। तीन साल में धनखड़ का आचरण पद की गरिमा के विपरीत रहा है। कभी सरकार की तारीफ के कसीदे पढ़ते हैं, कभी खुद को RSS का एकलव्य बताते हैं। ऐसी बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती। जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं।
उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचारकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है।
आरोप : INDIA ब्लॉक की बात “Nothing will go on the record” :
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना UBT नेता संजय राउत बोले- सदन में मैं 22 साल से हूं और 4 चेयरमैन मैंने देखे हैं। आज जो हालात देख रहा हूं, पहले कभी नहीं देखा। हमारे चेयरमैन साहब मजा लेते हैं। वो संसद नहीं, सर्कस चला रहे हैं।
सपा के जावेद अली खान बोले, अपोजिशन के नेता कोई भी बात कहना चाहें, तो सभापति का आदेश हो जाता है कि नथिंग विल गो ऑन द रिकॉर्ड। देश के दूसरे सबसे बड़े पद के खिलाफ हम अविश्वास प्रस्ताव लाएं, ये अच्छा नहीं लगता।
राजद नेता मनोज झा बोले- सत्तापक्ष जिस तरह की शब्दावली का इस्तेमाल कर रहे है, उससे दुख हो रहा है। कल को सरकार बदलती है तो क्या हम डेमोक्रेसी को कायम रख पाएंगे।
TMC नेता नदीम उल हक ने आरोप लगाया- जो व्यवहार हमारे चेयरमैन का है, हम उससे खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। हमें बोलने का मौका नहीं मिल रहा है। सत्तापक्ष को पूरा मौका मिलता है।
DMK नेता तिरुचि शिवा ने कहा- विपक्ष के नेता बोलते हैं तो माइक भी बंद कर दिया जाता है। सत्ता पक्ष बोलता है तो वो अगले दिन सुर्खियों में आता है। यानी हम जो बोलते हैं, वो सुना नहीं जाता है। हमारी बात लोगों तक पहुंचती ही नहीं है।