Bikaner: "धरती धोरा री.." को प्रदेश गीत घोषित करने की मांग
Sep 11, 2025, 18:44 IST
Sardul Rajasthani Reaserch Institute में कन्हैया लाल सेठिया को याद किया
RNE BIKANER
सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में पद्मश्री राजस्थानी कवि कन्हैयालाल सेठिया की 106 वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में
धरती धोरां री राजस्थानी गीत को राजस्थान के प्रदेश गीत घोषित करने की मांग उठी।
राजकीय संग्रहालय परिसर स्थित संस्था सभाकक्ष में राजस्थानी के ख्यातनाम कवि पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया की 106वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की । समारोह के मुख्य अतिथि व्यंगकार-सम्पादक डाॅ.अजय जोशी थे तथा मुख्य वक्ता साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार थे।
राजेन्द्र जोशी ने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया रचित गीत "धरती धोरां री.." को राजस्थान के प्रदेश गीत की मान्यता देकर विशिष्ट अवसरों पर इसके गायन का प्रोटोकॉल शासन को निर्धारित करना चाहिए । जोशी ने कहा कि उन्होंने जीवन पर्यन्त राजस्थानी की सेवा करते हुए कालजयी रचनाएं पाठको को दी। सेठिया ने 14 हिन्दी , 19 राजस्थानी पुस्तको सहित उर्दू एवं संस्कृत भाषा में कलम चलाई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व्यंगकार-सम्पादक डाॅ.अजय जोशी ने कहा कि कन्हैया लाल जी सेठिया ने कालजयी रचनाओं का सृजन किया । उन्होंने आज की पीढ़ी को उनके सृजन से प्रेरित होकर राजस्थानी में अच्छा से अच्छा साहित्य सृजित करना चाहिए और इस भाषा को और अधिक समृद्ध बनाना चाहिए।
मुख्य वक्ता राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि राजस्थानी व हिंदी साहित्य के सशक्त कवि-साहित्यकार व स्वतंत्रता सैनानी कन्हैयालाल सेठिया, 'पद्म श्री सम्मान', 'सूर्यमल मीसण️ शिखर पुरस्कार', 'पृथ्वीराज राठौड़ पुरस्कार', 'मूर्तिदेवी साहित्य पुरस्कार', 'डॉ. तेस्सीतोरी स्मृति स्वर्ण पदक' आदि कई सम्मानों से सम्मानित सेठियाजी को 2005 में राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
पुस्तकालयाध्यक्ष विमल शर्मा ने शोधार्थियों का आह्वान किया कि उनकी रचनाओं पर अधिकाधिक शोधकार्य होना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि राजकीय संग्रहालय के संग्रहाध्यक्ष राकेश शर्मा ने कहा कि कन्हैया लाल जी सेठिया ने कालजयी रचनाओं का सृजन किया उनकी कविताओं में गेयता होती थी और कथ्य और शिल्प की दृष्टि से बेहतरीन रही है । उन्होंने कहा कि पाथळ अर पीथळ में बहुत चर्चित रचना 'अरे घास की रोटी...' आज भी बहुत लोकप्रिय हैं।
कार्यक्रम में अतिथियों के साथ अनेक लोगो ने सेठियाजी के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित की।
कार्यक्रम का संचालन शंकर दत्त हर्ष ने किया।