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भाजपा 20 से अधिक टिकट इस बार काटेगी, आरजेडी ने स्टार प्रचारक तय कर अलग संकेत दिये

कांग्रेस के बड़े नेताओं को जिले आवंटित कर सक्रिय किया
जेडीयू , चिराग, मांझी के लिए सीट संख्या उलझी पहेली
प्रशांत किशोर के बड़े दावे, जेडीयू व आरजेडी पर कर रहे हमला
 

अभिषेक आचार्य
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RNE Special.
 

बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियां तेज हो गयी है। हालांकि बिहार में दल पिछले 3 महीने से सक्रिय है। बिहार में इस बार मुख्य मुकाबला दो गठबंधनों, एनडीए व महागठबन्धन, के बीच है। इन दोनों के समीकरण को बिगाड़ने का काम राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर कर रहे है। अब वो किसका नुकसान करेंगे, ये तो आने वाला समय ही बतायेगा।
 

                                                                                                                                   चुनावी खबरों की डायरी

भाजपा 20 के टिकट काटेगी:

भाजपा की कोर कमेटी की बैठक हो चुकी। जिसमें प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान व राज्य भाजपा के नेता शामिल थे। उस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए और रणनीति तय की।

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सर्वे रिपोर्ट के बाद भाजपा ने 20 से अधिक मौजूदा विधायकों के टिकट काटने का अंतिम फैसला बताते है, कर लिया। एन्टीनकम्बेंसी को रोकने के लिए नए चेहरे 20 से अधिक सीटों पर उतारे जायेंगे।
 

आरजेडी ने स्टार प्रचारक तय किये:
 

इसी बीच आरजेडी ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी है। जिसको देखकर लगता है कि आरजेडी इस चुनाव में अलग दाव खेल रही है।

आरजेडी की इस सूची को देखकर साफ हो गया है कि वो इस चुनाव में ' एम - वाई ' यानी ' मुस्लिम - यादव ' समीकरण पर ही केंद्रित नही है। इस बार एम, वाई के साथ ओबीसी व अति पिछड़ा वर्ग को भी केंद्रित किया गया है। सूची इस रणनीति को अभिव्यक्त कर रही है।
 

कांग्रेस के बड़े नेताओं को जिले दिए:
 

कांग्रेस ने इस बार अपने देश के बड़े बड़े नेताओं को केवल जिलों का प्रभारी बनाकर यह संकेत दिया है कि वो चुनाव को लेकर बहुत गंभीर है और हर सूरत में अपना खोया जनाधार पाना चाहती है।
 

कांग्रेस नेता हरीश चौधरी, अजय राय, अविनाश पांडे जैसे राज्यों के प्रभारियों को केवल जिले का प्रभार देना यह साबित करता है कि कांग्रेस गम्भीरता से चुनाव लड़ रही है।
 

जेडीयू, चिराग, मांझी का दबाव:
 

एनडीए गठबंधन के सामने सीट बंटवारा एक बड़ी समस्या बन चुका है। जेडीयू, चिराग व मांझी को संतुष्ट करना इतना आसान नहीं है।

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जेडीयू हर हाल में भाजपा से एक सीट ज्यादा चाहती है। वहीं मांझी अपने दल को क्षेत्रीय दल का दर्जा दिलाने के लिए अधिक सीटों की मांग कर रहे है। चिराग भी अपेक्षा से अधिक सीटें मांग रहे है ताकि बाद में सीएम का दावा किया जा सके।
 

प्रशांत किशोर के दावे:

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राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी अपनी पार्टी को सभी सीटों पर लड़ा रहे है। उनका दावा अजीबोगरीब है। वे कहते है कि उनको या तो 10 से कम सीटें मिलेगी या इतनी अधिक मिलेगी कि कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। अब देखना है वे किस गठबन्धन को ज्यादा नुकसान पहुंचाते है।

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