अंता चुनाव : भाजपा सरकार व कांग्रेस की प्रतिष्ठा दाव पर
Oct 24, 2025, 09:56 IST
अब मंत्रिमंडल विस्तार, नियुक्तियां, प्रदेश कार्यकारिणी 14 के बाद ही
RNE SPECIAL .
मधु आचार्य ' आशावादी '
राज्य में केवल एक विधानसभा सीट अंता पर उप चुनाव है। यह उप चुनाव वहां के भाजपा विधायक को सजा मिलने के बाद अयोग्य घोषित होने पर हो रहा है। इस कारण यह सीट राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। कांग्रेस के पास यहां खोने को कुछ नहीं है। भाजपा की तरफ से सीएम भजनलाल व पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है।
मगर व्यक्तिगत रूप से यह उप चुनाव कुछ बड़े नेताओं की साख का मूल्यांकन अवश्य करेगा। इस कारण हार - जीत का उन पर स्वाभाविक रूप से असर भी पड़ेगा। भाजपा व कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर चुनाव परिणाम अवश्य असर डालेगा।
अंता में गहलोत बनाम राजे
अंता की यह सीट परिसीमन के बाद बनी है। व्यक्तिगत रूप से इस सीट पर सदा अशोक गहलोत या वसुंधरा राजे के उम्मीदवारों के मध्य ही मुकाबला होता रहा है। प्रमोद जैन भाया जीतते थे, जो गहलोत गुट के है। भाजपा की तरफ से प्रभुलाल सैनी व कंवरलाल मीणा जीते जो वसुंधरा गुट के है। इस बार भी यहां दोनों नेताओं के ही समर्थक मैदान में है, इस कारण परिणाम का दोनों पर ही असर पड़ेगा।
इन दोनों नेताओं की अपनी अपनी पार्टी के भीतर स्थित कुछ ज्यादा अनुकूल भी नहीं है, जिससे परिणाम का कुछ ज्यादा ही असर पड़ेगा। गहलोत अब पार्टी के भीतर पहले जितने ताकतवर नहीं है तो राजे को भी पार्टी ने अलग थलग किया हुआ है। उनको इस बार सीएम भी नहीं बनाया।
भाजपा सरकार की प्रतिष्ठा दाव पर
पिछली बार 7 सीटों पर उप चुनाव हुए तो भाजपा ने 5 सीट जीतकर परचम फहराया। कांग्रेस से 3 सीटें छीनी। इस कारण इस बार भी भजनलाल सरकार की प्रतिष्ठा दाव पर है। भाया का टिकट गहलोत का है, तो उनकी साख भी अंता से जुड़ी हुई है।
दो बागी, दोनों दे रहे परेशानी
इस सीट पर दोनों पार्टियों से एक एक बागी मैदान में है। कांग्रेस से बगावत करके नरेश मीणा चुनाव लड़ रहे है तो भाजपा से बगावत करके पूर्व विधायक रूपाराम मेघवाल मैदान में उतरे हुए है।
परंपरागत वोट बैंक को झटका
भाजपा व कांग्रेस को दोनों निर्दलीय ज्यादा ही परेशान कर रहे है। दोनों ही दोनों पार्टियों के परंपरागत वोट बैंक को झटका दे रहे है।
भाजपा के बागी मेघवाल सीधे तौर पर भाजपा को नुकसान पहुंचा रहे है तो साथ ही कांग्रेस को भी झटका दे रहे है। एससी वोट भाजपा का इस वर्ग का उम्मीदवार न होने पर कांग्रेस की तरफ जाता है, इस कारण ये निर्दलीय कांग्रेस को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
नरेश मीणा की ताकत मीणा जाती का बड़ा वोट बैंक है। जो पिछली बार भाजपा के साथ गया था, क्योंकि भाजपा उम्मीदवार मीणा था। इस बार भाजपा को घाटा होगा। वहीं मीणा भाजपा से प्रत्याशी न हो तो यह वोट बैंक कांग्रेस का रहता है। मगर नरेश के कारण इस बार कांग्रेस को नुकसान होगा। इस तरह दोनों निर्दलीय दोनों दलों को नुकसान पहुंचा रहे है।
निकट का मुकाबला है अंता में
अंता सीट पर दोनों निर्दलीयों के कारण कांटे की टक्कर की स्थिति है। जो पार्टी अपने वोट बैंक को अधिक बचा लेगी वो पार्टी फायदे में रहेगी। जीत - हार भी अधिक वोटों से होने की संभावना नहीं है।
अब बाकी राजनीतिक काम बाद में
अंता के चुनाव परिणाम के बाद ही अब राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार व पुनर्गठन होगा। राजनीतिक नियुक्तियां भी एकबारगी टल गई है। प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी अब तो इस उप चुनाव के बाद ही होगा। इन तीनों कामों पर उप चुनाव के परिणाम की छाप भी रहेगी।

