कांग्रेस के बागियों की घर वापसी मुश्किल, रंधावा हुए सख्त
प्रदेश प्रभारी रंधावा ने किसी को भी नहीं दी हरी झंडी
राहुल की सख्त गाइड लाइन को पार नहीं कर रहे रंधावा
राज्य के नेता भी रंधावा के सामने हो गए है चुप
कुछ और लंगड़े घोड़े अब घर बिठाए जायेंगे
अभिषेक आचार्य
RNE Special.
राजस्थान के एक दर्जन से अधिक कांग्रेस के बागी नेता अब घर वापसी के लिए छटपटा रहे है। जयपुर से दिल्ली तक वे लगातार दौड़ लगा रहे है कि कैसे भी हो, उनकी कांग्रेस में वापसी हो जाये। मगर इन नेताओं को अब तक सफलता नहीं मिल सकी है।
इन एक दर्जन बागी नेताओ में कई पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक भी शामिल है। जो पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से बागी हुए थे या फिर लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने बगावत की थी। अब वे ही वापस पार्टी में आने के लिए हाथ पांव मार रहे है।
इस कारण से कर रहे कोशिश:
ये बागी कांग्रेस नेता घर वापसी के लिए जो जी तोड़ कोशिश कर रहे है, उसकी भी वजह है। विधानसभा व लोकसभा के चुनाव तो हो गए। अब स्थानीय निकाय व पंचायत राज के चुनाव निकट है, इस कारण इनको घर वापसी की जल्दी भी है। इन चुनावों के लिए ये नेता अपने को तैयार कर रहे है।
ये नेता चाह रहे है घर वापसी:
कांग्रेस के जिन नेताओ को घर वापसी की हड़बड़ाहट है उनमें कई दिग्गज पूर्व विधायक शामिल है। बाड़मेर के दिग्गज मुस्लिम नेता अमीन खान ने लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार उमेदाराम का विरोध किया और निर्दलीय रवींद्र सिंह भाटी का समर्थन किया , पार्टी ने उनको बाहर किया। अब वे घर वापसी चाहते है।
बाड़मेर के ही कई बार के विधायक मेवाराम जैन को पार्टी ने बाहर निकाला था। वे भी घर वापसी चाहते है। इन दोनों के अलावा बनवारी लाल बैरवा भी इस सूची में शामिल है। कुल मिलाकर एक दर्जन कद्दावर नेता घर वापसी चाहते है।
रंधावा ने नहीं दी है हरी झंडी:
कांग्रेस के कई बड़े नेता इन बागियों को वापस पार्टी में लेने की बात भी कह रहे है। कुछ के पक्ष में पीसीसी चीफ भी है। मगर कुछ नेता इनके विरोध में भी है। मगर इस बीच कांग्रेस के राज्य प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने अपना वीटो लगाकर किसी के लिए भी हरी झंडी नहीं दी है। इस कारण सब की गाड़ी पर ब्रेक लगा हुआ है।
राहुल की सख्त गाइड लाइन:
दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सभी राज्य प्रभारियों को स्पष्ट कहा हुआ है कि जिन लोगों ने पार्टी को छोड़ा है या बगावत की है तो उसे किसी भी सूरत में वापस पार्टी में नहीं लिया जाये। राहुल की इस गाइड लाइन को रंधावा पार करना नहीं चाहते, इस कारण ही राज्य के दिग्गज नेताओं की भी इस मामले में सिफारिश नहीं मान रहे है।
राज्य के नेता भी अब चुप है:
राहुल की सख्त गाइड लाइन व रंधावा के निर्णय पर राज्य के बड़े कांग्रेस नेता भी चुप हो गए है। उनको पता है कि अब जिद की तो शिकायत रंधवा के जरिये सीधे राहुल तक पहुंचेगी। इस कारण वे चुप्पी साधे हुए है।
लंगड़े घोड़े घर बिठाने की तैयारी:
कांग्रेस के राज्य प्रभारी रंधावा ने उन प्रदेश पदाधिकारियों की सूची को फाइनल कर लिया है जो लंगड़े घोड़े की श्रेणी में आते है। मतलब या तो वे भाजपा को लेकर सॉफ्ट है या फिर निष्क्रिय है। इन नेताओं को अब प्रभारी रंधावा एक साथ पदों से हटाएंगे। उसकी पूरी तैयारी हो चुकी है।