मंत्रिमंडल विस्तार व पुनर्गठन पर भी पड़ेगा इसका प्रभाव, राजनीतिक नियुक्तियों को भी इससे मिलेगी दिशा
जिला अध्यक्ष उसके होंगे, जो प्रदेश नेतृत्त्व संभालेगा
हनुमान और नरेश का भविष्य भी तय हो जायेगा
मधु आचार्य ' आशावादी '

अंता विधानसभा उप चुनाव के लिए कल मतदान होगा। 14 को मतगणना होकर चुनाव परिणाम घोषित होगा। इस एक सीट के परिणाम से न तो भाजपा सरकार हटेगी और न ही कोई नई सरकार बनेगी। कुल मिलाकर सरकार पर इस चुनाव परिणाम का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
हां, भाजपा और कांग्रेस की राजनीति को अंता का चुनाव परिणाम गहरे तक प्रभावित करेगा। दोनों दलों ने इस उप चुनाव को इस कारण ही प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया हुआ है, क्योंकि उनको पता है कि दलगत राजनीति इससे प्रभावित होगी। कई नेताओं का अपनी अपनी पार्टी में भविष्य निर्धारित होगा। इस वजह से दोनों पार्टियों के नेता अपने अपने दल में शह और मात का खेल खेल रहे है। दोनों दलों का केंद्रीय नेतृत्त्व भी अंता पर नजर गड़ाए हुए है। उसे भी बड़े निर्णय लेने है, वे निर्णय जो उन्होंने होल्ड कर रखे है।

मंत्रिमंडल विस्तार पर असर:
अंता उप चुनाव के परिणाम के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार व पुनर्गठन होना है। 6 मंत्रियों के पद सरकार बनी तब से रिक्त पड़े हुए है। कुछ मंत्रियों को संगठन में भेजने व कुछ के विभागों में बदलाव की भी चर्चा चल रही है।
केंद्रीय नेतृत्त्व ने सभी गुटों को साथ लेने की बात सीएम से कही है। जाहिर है, वसुंधरा गुट से भी कुछ मंत्री बनाये जाएंगे। अंता की सीट पर वसुंधरा की ही प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। इस कारण माना जा रहा है कि परिणाम का मंत्रिमंडल विस्तार व पुनर्गठन पर असर पड़ेगा।
राजनीतिक नियुक्तियां पर प्रभाव:
ठीक इसी तर्ज पर अब सरकार को जिले से लेकर प्रदेश तक की राजनीतिक नियुक्तियां भी करनी है। उस पर भी असर पड़ेगा। जिस गुट की अंता में कमजोरी रहेगी या अच्छाई रहेगी, उस अनुपात में उनके समर्थकों को लाभ मिलेगा। संगठन की प्रदेश कार्यकारिणी में पदाधिकारी बनने का भी यही पैमाना रहेगा।
कांग्रेस संगठन का ढांचा बनेगा
कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की घोषणा 30 अक्टूबर को होनी थी, मगर उसे होल्ड कर लिया गया। अब अंता चुनाव के बाद ही उनके नाम तय होंगे। अंता में उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया गहलोत गुट के है। मगर यहां गहलोत, पायलट व डोटासरा, तीनों सक्रिय है।

परिणाम से ही आलाकमान संगठन की नियुक्तियां तय करेगा। चुनाव के परिणाम पर आलाकमान की पूरी नजरें है।
जिलाध्यक्षों का आधार:
जिसे आलाकमान प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्त्व देगा, उसके अनुसार ही फिर जिलाध्यक्ष तय होंगे। ताकि अध्यक्ष को पूरे संगठन को अपनी नीतियों के अनुसार चलाने का अवसर मिले। इस बार जिलाध्यक्षो की घोषणा भी एआईसीसी से ही होनी है। कांग्रेस के संगठन का पूरा स्वरूप अंता चुनाव तय करेगा।
हनुमान व नरेश का भविष्य:
अंता के चुनाव से रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल व निर्दलीय नेता नरेश मीणा के भविष्य का भी निर्धारण होगा। हनुमान का विधानसभा में एक भी विधायक नहीं है। वे नरेश का अंता में भी समर्थन कर रहे है। इससे पहले वे खींवसर हार चुके है। इस वजह से उनके राजनीतिक भविष्य से भी अंता का चुनाव जुड़ा हुआ है।

नरेश मीणा इससे पहले देवली उणियारा में भी कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय लड़ चुके है। वहां वे हारे थे। अब अंता में फिर बागी बनकर निर्दलीय लड़ रहे है। उनके राजनीतिक भविष्य का भी अंता काफी कुछ निर्धारण करेगा। कुल मिलाकर अंता विधानसभा उप चुनाव का परिणाम प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव लाएगा या बदलाव की नींव रखेगा।

