पीएम से मुख्यमंत्री के मिलने के बाद नियुक्तियों के लिए नेता सक्रिय, विधायकों में भी मंत्री पद के लिए लॉबिंग तेज हुई
कुछ विधायकों को संगठन में लाने की भी योजना
मधु आचार्य ' आशावादी '

RNE Special.
दो दिन पहले राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। सीएम की उनसे तीन महीनें में यह तीसरी मुलाकात थी। दिसम्बर में राज्य की भाजपा सरकार को 2 साल पूरे हो रहे है। जाहिर है, उससे पहले अब मंत्रिमंडल के रिक्त 6 पद भरने व राजनीतिक नियुक्तियां करने की प्राथमिकता है।

दो साल से 6 मंत्रियों के पद रिक्त पड़े है और नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियां भी नहीं मिल रही है। ये एक लंबी अवधि है, जिससे अब भाजपा के नेता व कार्यकर्ता भी उकताने लगे है। जिलों से लेकर प्रदेश स्तर तक की राजनीतिक नियुक्तियां अटकी हुई है।
अब नेता हुए सक्रिय:
पीएम से जब सीएम ने मुलाकात की तो राजनीतिक सक्रियता बढ़ गयी। क्योंकि कई वरिष्ठ नेता भी राजनीतिक नियुक्तियों की प्रतीक्षा में है। कुछ चुनाव हार गए तो कुछ को टिकट नहीं मिला, अब उनको भी राज में भागीदार तो करना ही पड़ेगा।
ठीक इसी तरह कुछ संभाग व जिला स्तर के नेता भी नियुक्तियों की आस लगाए हुए है। इनको संगठन से इस कारण अलग रखा गया क्योंकि वे काफी वर्षों से पदाधिकारी बन रहे है। अब जब उनकी राजनीतिक नियुक्ति भी नहीं हो रही है तो उनमें उदासीनता आना स्वाभाविक भी है।
अक्सर राजनीतिक दल नियुक्तियां देरी से करते है ताकि कार्यकर्ता या नेता विचलित होकर उखड़े नहीं। मगर अब तो देरी की भी इंतिहा हो गयी है। जिसका असर भाजपा के सदस्यता अभियान पर भी पड़ा था।
विधायकों में भी हलचल:
मंत्रिमंडल विस्तार होना तय है और कम नहीं 6 पद भरे जाने है। इस कारण विधायकों में इन दिनों ज्यादा हलचल है। लॉबिंग हो रही है। कुछ राजनीति के जानकारों का मानना है कि मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ पुनर्गठन भी होना है। इस हालत में हलचल कुछ ज्यादा ही है।
अनेक पहली बार विधायक बने नेता भी मंत्री पद पाने की होड़ में है। वहीं वसुंधरा राजे समर्थक विधायक अपने नेता के भरोसे मंत्री पद की आस लगाए हुए है। आलाकमान ने सभी गुटों को साधकर मंत्रिमंडल विस्तार की बात भी सीएम से कही है। उससे राजे समर्थक विधायकों की उम्मीदें भी जागी है। उप चुनाव में जीतने वाले विधायक भी मंत्री पद की आस लगाए हुए है।
पुनर्गठन पर असमंजस:
मंत्रिमंडल के पुनर्गठन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ का मानना है कि मंत्री कुछ हट भी सकते है। इस तरह की खबरों के मध्य मंत्री भी दिल्ली में जाकर अपनी कुर्सी सुरक्षित करने के लिए लॉबिंग करने में लगे हुए है।
संगठन में लाने की कवायद:

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने एक बार बयान दिया था कि कुछ मंत्रियों व विधायकों को संवथन में लाया जा सकता है। तब से ही मंत्रियों व विधायकों में हलचल मची हुई है। यदि ये होता है तो फिर राज्य की भाजपा में बड़ा फेरबदल होगा।

