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नीतीश के हाथ से वक्फ मसले पर फिसल गया मुस्लिम वोट बैंक, चुनाव पर पड़ेगा इसका बड़ा असर, तेजस्वी, इमरान प्रतापगढ़ी, कन्हैया, पप्पू यादव को बुलाया

चुनाव पर पड़ेगा इसका बड़ा असर, तेजस्वी, इमरान प्रतापगढ़ी, कन्हैया, पप्पू यादव को बुलाया
भाजपा के साथ जाने से नीतीश से अल्पसंख्यक नाराज
नीतीश के पास कोई रास्ता ही नहीं बचा, अपनों के भी अलग सुर
 

अभिषेक पुरोहित
abhi

RNE Special.

बिहार में विधानसभा चुनाव की बयार अभी से ही तेज हो गई है। हालांकि अभी तक चुनाव आयोग ने चुनाव की तिथियां तय नहीं की है मगर मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य आरम्भ कर दिया है। चुनाव आयोग ने भी पटना में ही डेरा डाला हुआ है। ये तो लगभग तय है कि नवम्बर या दिसम्बर में विधानसभा के चुनाव होंगे।

एनडीए व महागठबन्धन के बीच रोज राजनीति बयानों के वार पलटवार हो रहे है। इन सबके बीच दोनों गठबंधनों के दल आपस मे भी उलझ रहे है। वहीं अब प्रशांत किशोर भी अपनी पार्टी को लेकर रोज कोई न कोई शगूफा छोड़ राजनीति को गर्मा रहे है।
 

पटना बना हुआ है राजनीति का केंद्र:
 

अभी तो बिहार की राजधानी पटना ही पूरी राजनीति का केंद्र बनी हुई है। आरजेडी की राष्ट्रीय परिषद का अधिवेशन 5 जुलाई को पटना के बापू भवन में होगा। वहीं कल रविवार को गांधी मैदान में मुस्लिम संगठनों की बड़ी रैली वक्फ कानून के खिलाफ हुई। इसे मुस्लिम समाज की अब तक की सबसे बड़ी रैली बताया जा रहा है।

लालू स्टाइल में उतरे तेजस्वी यादव:
 

मुस्लिम समाज ने अपनी इस बड़ी रैली में केवल तेजस्वी यादव व कांग्रेस के कन्हैया कुमार को बुलाया। क्योंकि इससे पहले जब वक्फ पर एक रैली हुई तो उसका समर्थन भी आरजेडी व तेजस्वी यादव ने किया था। 
 

इस रैली में पहली बार तेजस्वी का अंदाज अपने पिता लालू यादव जैसा दिखा। जिस तरह लालू यादव आम जनता की भाषा में भाषण देते है, वही तरीका तेजस्वी ने अपनाया। लालू की तरह अपने भाषण में तेजस्वी बोले - ' मुसलमानों से उसका हक कोई छीन लेगा, बाप का राज है क्या ?' इस तरह से पहली बार बोलते दिखे तेजस्वी।
 

आरजेडी व कांग्रेस पर भरोसा:
 

मुस्लिम समाज ने इस बड़ी रैली में तेजस्वी के अलावा कन्हैया कुमार को भी बुलाया। कन्हैया ने भी अपने तीखे तेवर से भाजपा पर हमला बोला। इमरान प्रतापगढ़ी ने भी भाजपा पर हमला बोला। पप्पू यादव के तेवर भी तीखे थे। कुल मिलाकर इस समुदाय ने जताया कि वो नीतीश से नाराज है और महागठबंधन के साथ है।

नीतीश के हाथ से फिसल गये मुस्लिम:
 

रविवार की रैली की भीड़, तेजस्वी को उसमें तरजीह व मुस्लिम नेताओं के तेजस्वी के पक्ष में और नीतीश के विरोध में दिए भाषणों से लगता है अब मुस्लिम वोट बैंक नीतीश के हाथ से खिसक गया है। इसका नीतीश की जेडीयू पर तो असर पड़ेगा मगर सहयोगी भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
 

चुनाव का समीकरण बदलेगा इससे:
 

मुस्लिम वोट बैंक के बदलने से चुनावी समीकरण भी बदलेगा। ये वोट बैंक नीतीश के कोर वोट बैंक में शामिल था। लालू के बराबर नीतीश का भी इस समुदाय पर प्रभाव था। इस बार खेल नीतीश के लिए उलटा पड़ा महसूस हो रहा है।


नीतीश के भाजपा के साथ जाने से मुस्लिम इस बार खास नाराज हुआ है। जेडीयू के मुस्लिम नेता कांग्रेस व आरजेडी की तरफ मुड़ गये है  और नीतीश का खुलकर विरोध कर रहे है। खासकर वक्फ संशोधन बिल में भाजपा का साथ देने के कारण वे नीतीश से नाराज है। इसका चुनाव परिणाम पर असर तो पड़ेगा।
 

नीतीश के पास भी रास्ता नही बचा:
 

नीतीश की भी मजबूरी है। भाजपा के साथ रहने के अलावा उनके पास कोई रास्ता भी नहीं बचा। यहां तक कि उनके सांसद अब उनसे ज्यादा मोदी सरकार की तरफ झुके हुए है। 
नीतीश के खास सहयोगी व मंत्री अशोक चौधरी के बयान से दो दिन से नीतीश ज्यादा परेशानी में है। जेडीयू में होने के बाद भी वे सीएम के लिए भाजपा के सम्राट चौधरी की वकालत कर रहे है।