भाजपा व जेडीयू में शह - मात का खेल, पप्पू व कन्हैया को आगे कर तेजस्वी पर दबाव
आरजेडी तोड़ रही है जेडीयू के नेताओं को
चिराग व मांझी की चुप्पी गुल खिलायेगी
मधु आचार्य ' आशावादी '
RNE Special.
राजनीतिक दृष्टि से देश में सबसे जागरूक प्रदेश बिहार को माना जाता है। बिहार से ही कई राजनीतिक आंदोलन व क्रांतियां जन्मी है। आजादी के बाद भी बिहार के राजनेता देश के परिदृश्य में छाए रहे है।
जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर, लालू यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान आदि को राजनीति का बड़ा खिलाड़ी देश मानता रहा है। बिहार में राजनीति के बड़े खिलाड़ी हर जिले में मिलेंगे।
इसी बिहार में अब शीघ्र ही विधानसभा के चुनाव होने है। चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है, मगर हर दल चुनावी बिसात बिछा उस पर अपने मोहरे चलने लगा है।
भाजपा - जेडीयू में शह - मात खेल:
राज्य में कुछ समय पहले ही जेडीयू के स्वयंभू नेता व पलटूराम के नाम से चर्चित नीतीश कुमार ने पलटी मार भाजपा व एनडीए के अन्य दलों के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई। जबकि वे चुनाव महागठबन्धन के साथ मिलकर जीते थे।
अब भाजपा व जेडीयू में शह - मात का खेल चल रहा है। भाजपा के नेता बारबार बयान देकर नीतीश को विचलित कर रहे है कि सीएम तो चुनाव परिणाम के बाद ही तय होगा। जबकि नीतीश इस शर्त के साथ ही पलटी मारकर भाजपा के साथ आये थे कि सीएम जेडीयू का यानी वही होंगे। अब दोनों साथ में चुनाव लड़ रहे है, मगर एक दूसरे को मात देने की चालें भी चल रहे है। झगड़ा सीएम पद का है।
पप्पू व कन्हैया से तेजस्वी पर दबाव:
वहीं दूसरी तरफ महागठबन्धन में भी कांग्रेस व आरजेडी मिलकर लड़ रहे है मगर एक दूसरे पर दबाव भी बना रहे है। आरजेडी सदा से ही कन्हैया कुमार व पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के खिलाफ रही है।
मगर कांग्रेस ने अपनी पार्टी की तरफ से इन दोनों नेताओं को ही आगे किया है। जिस कारण से आरजेडी के तेजस्वी यादव दबाव में है। कांग्रेस दबाव बना इस बार गठबन्धन में ज्यादा सीटें लेने की फिराक में है। ताकि महागठबन्धन को बहुमत मिले तो वो डिप्टी सीएम का पद व महत्त्वपूर्ण मंत्रालय ले सके।
जेडीयू के तीर सम्राट चौधरी पर:
एनडीए गठबंधन में होने के बावजूद जेडीयू के नेता अब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर तीर चला रहे है। उनके नाम बदलने की बात को वे मुद्दा बना रहे है ताकि भाजपा दबाव में रहे।
इसकी भी अपनी वजह है। नीतीश के खास व जेडीयू कोटे के मंत्री अशोक चौधरी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घिरे हुए है। भाजपा नेता कह रहे है कि आरोपों पर अशोक चौधरी को जवाब देना चाहिए। तो जेडीयू सम्राट चौधरी पर जवाब में तीर चला रही है।
जेडीयू में आरजेडी की तोड़फोड़:
इधर आरजेडी अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए जेडीयू में लगातार तोड़फोड़ कर रही है। आरजेडी की नजर जेडीयू के मुस्लिम नेताओं पर ज्यादा है। इस बड़े वोट बैंक को वो नीतीश से पूरी तरह छीन लेना चाहती है।
चिराग व मांझी की चुप्पी के अर्थ:
बिहार की राजनीति में नीतीश की चिराग पासवान व जीतनराम मांझी से नाराजगी जगजाहिर है। ये दोनों नीतीश के लिए चुप रहकर परेशानी पैदा कर रहे है। उनकी चुप्पी नीतीश और जेडीयू को बड़ा नुकसान पहुंचाएगी।
मांझी तो सीटों का दावा कर चुके है और न देने पर 100 सीट लड़ने का बयान दे चुके। वे क्षेत्रीय दल का दर्जा चाहते है। चिराग जितनी सीटें मांग रहे है, उतनी मिलनी मुश्किल है। चिराग समर्थक उनको सीएम भी चाहते है। इस हालत में चिराग की पार्टी जहां नहीं लड़ेगी, वहां जेडीयू का नुकसान ही करेगी।