मतदाता सूची गहन परीक्षण के मामले में कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन, विपक्ष का अर्से बाद हो रहा प्रदर्शन
नये जिलाध्यक्ष झोंक रहे है पूरी ताकत
मधु आचार्य ' आशावादी '

RNE Special.
मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण, वोट चोरी जैसे मुद्दो को लेकर कांग्रेस 14 दिसम्बर को दिल्ली में रैली आयोजित कर रही है। अर्से बाद विपक्ष यूं प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतर रहा है। एक तरह से लगातार चुनावी परीक्षा में विफल हो रही कांग्रेस के लिए ये एक बड़ा टास्क है। प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस गंभीर भी बहुत है।

राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश चूंकि दिल्ली के निकट पड़ते है इस कारण इन राज्यों से अधिक भीड़ की उम्मीद कांग्रेस को है और इन राज्यों में पार्टी ने पूरी ताकत भी झोंकी है। राज्यों के लिए प्रभारी तो लगाए है, साथ ही राज्य संगठन को भी विशेष दायित्त्व दिए गए है।

राजस्थान में प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने जयपुर में इसको लेकर बैठक भी की। जिसमें पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा के अलावा पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, सभी जिलाध्यक्ष, सांसद, विधायक, वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इन सबको दिल्ली रैली में भीड़ ले जाने की जिम्मेदारी दी गयी।
अलग पड़ी कांग्रेस की बड़ी कोशिश:
पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र और अभी बिहार में करारी हार के बाद कांग्रेस विपक्ष के खेमे में भी अलग थलग पड़ गयी है। दोष उसी पर मढ़ा जा रहा है। यहां तक कि विपक्षी दल भी हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ने से बाज नहीं आ रहे है।
इंडिया गठबंधन की कमान भी कांग्रेस के हाथों से लेने की सरेआम कोशिशें हो रही है। टीएमसी के नेता और उनके शुभचिंतकों ने बिहार में हार के बाद सार्वजनिक रूप से कहना आरम्भ कर दिया है कि इंडिया गठबंधन की कमान ममता दीदी को दे दी जानी चाहिए।

वहीं समाजवादी पार्टी के नेता भी गठबन्धन अखिलेश यादव के हाथों में देने की पैरवी करने लग गए है। जबकि कांग्रेस को अलग करके दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा और उसे सरकार गंवानी पड़ी। यह तथ्य है कि भाजपा के बाद यदि किसी पार्टी के सर्वाधिक सांसद, विधायक, सदस्य, संगठन है तो वह कांग्रेस पार्टी का है। कांग्रेस के बिना राष्ट्रव्यापी विपक्ष की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन:
14 दिसम्बर की रैली के जरिये कांग्रेस बड़ा शक्ति प्रदर्शन कर रही है। यह शक्ति प्रदर्शन न केवल केंद्र की भाजपा सरकार के सामने है अपितु उन विपक्षी दलों के सामने भी है जो इंडिया गठबन्धन में कांग्रेस को अलग थलग करना चाहते है। इस कारण ही कांग्रेस ने इस रैली में पूरी शक्ति झोंकी है।

राज्य में नए अध्यक्षों की परीक्षा:
कांग्रेस ने संगठन सृजन अभियान के तहत नये जिला अध्यक्ष बनाये है। बनते ही उनकी पहली परीक्षा आ गयी है। इस परीक्षा में सफल रहने वाले अध्यक्ष ही आगे का रास्ता तय कर पायेंगे। इस तरह कई मायनों में 14 दिसम्बर की रैली खास है।

